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राजस्थान: फसल बीमा के लिए परेशान किसान, प्रीमियम कटने के बाद भी नहीं मिला क्लेम

जयपुर ज़िले के लसाड़िया में किसान फसल बीमा की क्लेम राशि के लिए परेशान हो रहे हैं. उनका कहना है कि 26 लाख किसानों का बीमा हुआ है मगर आठ लाख किसानों का प्रीमियम कटने के बाद भी बीमा कंपनियों तक नहीं पहुंचा है.

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26 लाख किसानों का हुआ है बीमा
26 लाख किसानों का हुआ है बीमा

किसानों को किसी भी तरह के आपदा से बचाने के लिए फसल बीमा योजना लागू की गई थी मगर सरकारी बदइंतजामी ने इसे किसानों पर बोझ बना दिया है. किसानों के खाते से पैसे तो कट जाते हैं. मगर क्लेम की राशि नहीं मिलती है कभी राज्य सरकार के पास अपने हिस्से का देने का फंड नहीं होता तो कभी बीमा कंपनियों का चयन नहीं हो पाता तो कभी राज्य सरकार प्रीमियम की राशि जमा करवाना भूल जाती है.

जयपुर ज़िले के लसाड़िया पंचायत के गणेश गुर्जर के दो चाचा और दादी की मौत हो गई है. तीनों के हिस्से 6-6 बीघा की जमीन है. एक चाचा के ढाई हजार, दूसरे के पंद्रह सौ और दादी के ग्यारह सौ बीमा प्रीमियम कटा है. इसमें एक हेक्टेयर खेत का नौ सौ रुपए फसल बीमा योजना का, जीवनबीमा के तहत बीमा की राशि का ढाई फीसदी दुर्घटना बीमा का और डेढ़ फीसदी राशि जीवन सुरक्षाबीमा की शामिल है. मगर बार-बार बैंकों के चक्कर लगाने के बाद भी जीवन बीमा का क्लेम नहीं मिल रहा है. सेजल चौधरी के भाई की मौत अक्टूबर 2020 में हुई थी. प्रीमियम की राशि हज़ार रुपए जमा करने के बावजूद क्लेम आजतक नहीं मिला.

फागी के सरपंच ओमप्रकाश का कहना है कि दरअसल, गहलोत सरकार के सत्ता में आने के डेढ़ साल बाद तक राजस्थान के किसी भी किसान को फसल बीमा योजना के साथ होने वाला किसान दुर्घटना बीमा योजना और किसान सुरक्षा बीमा योजना नहीं मिला, क्योंकि सरकार बीमा एजेंसी तय नहीं कर पाई और अब 2020-21 के लिए बीमा कंपनी का चयन हुआ तो सरकार किसानों का प्रीमियम जमा कराना हीं भूल गई.

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सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने कहा कि राजस्थान के सहकारी बैंकों से क़रीब 26 लाख किसानों का बीमा हुआ है मगर आठ लाख किसानों का प्रीमियम कटने के बाद सरकार की लापरवाही से बीमा कंपनियों तक नहीं पहुंचा. फसल बीमा योजना का भी यही हाल है. लसाड़िया गांव में जैसे हीं हम पहुंचे, गांव में यह बात फैल गई कि बीमावाले आए हैं. दरअसल गांव में मूंग की सौ फीसदी फसल ख़राब हुई थी मगर 60 फीसदी को क्लेम 2019-20 नहीं मिला है. सहकारी सोसायटियों के ज़रिए बीमा की राशि कटती है और बैंकों के जरिए बीमा कंपनी तक पहुंचती है. ऐसे में इन्हें कोई बताने वाला भी नहीं है कि क्लेम क्यों नहीं मिला. अब सरकार कह रही है कि मामले की जांच कराएंगे.

केंद्र में एनडीए सरकार के आने के बाद 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की गई थी. इसमें किसान फसली लोन लेते वक्त अपना प्रीमियम जमा कराता है जिसमें नियम के अनुसार दो से ढाई फीसदी तक किसान जमा कराता है. 30 से 50 फीसदी तक केंद्र सरकार देती है और 50 फीसदी राज्य सरकार देती है. मगर हकीकत तो यह है कि किसानों की तरफ से दिए गए प्रीमियम की रकम कुल बांटे गए प्रीमियम के 25 फीसदी तक रह रही है.
 

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