तालाब में उगने वाली जलकुंभी जो एक तरह का खरपतवार है, ये अब सिरदर्द नहीं बल्कि उपयोगी साबित होगा. एक किसान ने इस अभिशाप माने जाने वाले खरतपवार को जैविक खाद में बदल दिया है.गांवों में अक्सर यह देखा जाता है कि जहां भी पानी का ठहराव होता है जैसे कि तालाब या पोखर. वहां खुद ही कई तरह के खरपतवार उग जाते हैं. इसमें जलकुंभी पूरे तलाब या पोखरों में भर जाती है. यह पौधा किसी काम का नहीं माना जाता है.
जलकुंभी को माना जाता है अभिशाप
किसान खुद ही जलकुंभी को तालाब से निकालते हैं. इसे निकालने में बड़ी मुश्किल आती है, ऊपर से इस बात की कोई गारंटी नहीं रहती कि अगले साल ये खरपतवार नहीं उगेगें. इसे खरपतवार नाशक की सहायता से भी नष्ट किया जाता है, लेकिन यह कार्बनिक पदार्थ में परिवर्तित हो जाती है.
जलकुंभी जो कि एक तरह का खरपतवार है. अधिकांश लोग इसे अब तक अभिशाप ही मानते आए हैं. लेकिन, किसान तक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देविनेनी मधुसूदन जो कि एक प्रगतिशील किसान हैं, उन्होंने जलकुंभी का उपयोग करके जैविक खाद बनाई है. इस खाद की कीमत केवल 5 रुपये प्रति कलोग्राम है.
जलकुंभी से बन रही है उच्च श्रेणी की खाद
डीजल इंजन द्वारा संचालित मशीन से पहले तो बड़ी आसानी से जलकुंभी को बाहर निकाला जाता है. इसके बाद इसे कई टुकड़ों में काट लिया जाता है, फिर इन सभी टुकड़ों के उपयोग से उच्च श्रेणी की खाद बनाई जाती है.
इस अनोखी मशीन को गोदास नरसिम्हा ने बनाया है. उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी और इस मशीन को बनाने में लग गए थे. वहीं उन्होंने कहा की सरकार को इसमें मदद करनी चाहिए जिससे कई किसानों को इसका फायदा होगा.