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अपने बच्चों को अमेरिकी बॉर्डर पर क्यों छोड़ रहे भारतीय, अब ट्रंप प्रशासन ने दिखाई सख्ती

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक बार हिरासत में आने के बाद उम्मीद है कि बच्चों की मौजूदगी से माता-पिता को भी बाद में अमेरिकी में दाखिल होने में मदद मिलेगी, अक्सर ऐसे परिवार के फिर से एकजुट होने के आधार पर शरण के लिए अप्लाई करते हैं. ज्यादातर मामले में इसकी इजाजत मिल भी जाती है.

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बच्चों को बॉर्डर पर छोड़ रहे माता-पिता (फोटो-AI)
बच्चों को बॉर्डर पर छोड़ रहे माता-पिता (फोटो-AI)

अमेरिका जाने के लिए अवैध डंकी रूट के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन नागरिकता हासिल करने के लिए भारतीय माता-पिता अपने बच्चों को अमेरिकी बॉर्डर पर छोड़कर आ रहे हैं. दुनियाभर के उन हजारों पेरेंट्स में भारतीय भी शामिल हैं जो बच्चों और खुद के लिए नागरिकता की उम्मीद में अपने बच्चों को मेक्सिको-अमेरिका या कनाडा-अमेरिका बॉर्डर पर छोड़ देते हैं. वित्तीय वर्ष 2024 में ऐसे 500 से ज़्यादा भारतीय नाबालिगों को अमेरिका में पकड़ा गया है. लेकिन अब, ट्रंप प्रशासन उन 'अकेले बच्चों' पर सख्ती बरत रहा है जिन्हें उनके माता-पिता अमेरिकी सीमा पर छोड़ दे रहे हैं.

नागरिकता पाने की उम्मीद

आंकड़ों के मुताबिक अमेरिकी नागरिकता के लिए ऐसा रास्ता असामान्य नहीं है, लेकिन बच्चों से जुड़े जोखिमों के कारण इसे समझना मुश्किल है. भारतीयों सहित कई माता-पिता अपने 12-17 साल की उम्र के बच्चों को बॉर्डर पर छोड़ गए हैं. कुछ बच्चे तो इतने छोटे थे कि उनको पेरेंट्स का पता और नाम लिखी एक पर्ची के साथ बॉर्डर पर छोड़ा गया था. ऐसे मामलों में माता-पिता पहले से ही अवैध रूप से अमेरिका में मौजूद होते हैं और फिर नाबालिग बच्चों को भी बुलाते हैं.

कैसे काम करता है ये प्रोसेस

'टाइम्स ऑफ इंडिया' की एक रिपोर्ट के मुताबिक आव्रजन विश्लेषकों का मानना है कि यह कुछ भारतीय परिवारों की ओर से अमेरिकी शरण पाने की संभावनाओं को बेहतर बनाने की अपनाई गई एक सोची-समझी रणनीति को दिखाता है. कई मामलों में बच्चों को अकेले या अनजान ग्रुप के साथ भेजा जाता है, और फिर उन्हें अमेरिकी जांच चौकियों के पास छोड़ दिया जाता है.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि एक बार हिरासत में आने के बाद उम्मीद है कि बच्चों की मौजूदगी से माता-पिता को बाद में एंट्री पाने में मदद मिलेगी, अक्सर वे परिवार के फिर एकजुट होने के आधार पर शरण के लिए अप्लाई करते हैं. अवैध इमिग्रेशन के एक जानकार ने बताया कि माता-पिता अक्सर बच्चों का इस्तेमाल अमेरिका में अपने प्रवास को वैध बनाने के लिए करते हैं.

मानवीय आधार पर मिलती है नागरिकता

उन्होंने बताया, 'आमतौर पर माता-पिता पहले अवैध रूप से अमेरिका में दाखिल होने में सफल हो जाते हैं. बाद में वे अपने बच्चों के लिए अन्य अवैध प्रवासियों के साथ यात्रा करने का इंतजाम करते हैं. जब बच्चे सीमा पर पकड़े जाते हैं, तो परिवार शरण के लिए आवेदन करते हैं और अक्सर उन्हें मानवीय आधार पर रहने की इजाजत मिल भी जाती है.'

अमेरिका स्थित एक सूत्र ने बताया कि इनमें से कई बच्चों को औपचारिक रूप से 'छोड़ा हुआ' नहीं कहा गया है, जुवेनाइल कोर्ट के फैसले के बाद छह से आठ महीने के भीतर ग्रीन कार्ड मिलने की संभावना ज्यादा होती है. सूत्र ने बताया, 'जब कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ जाती है और बच्चे ग्रीन कार्ड हासिल कर लेते हैं, तो अमेरिका में उनके रिश्तेदार आमतौर पर गोद लेने की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं.'

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US ने 2500 नाबालिगों को रोका

साल 2022 से 2025 तक ढाई हजार से अप्रवासी भारतीय नाबालिगों को अमेरिका में दाखिल होने रोका गया है. 'द गार्जियन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग अब उन बच्चों का 'वेलफेयर चेक' भी कर रहा है जो अकेले अमेरिका पहुंचे हैं. आलोचकों ने इसे 'बैकडोर फेमिली सेप्रेशन' बताया है.

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यह बात तब सामने आई जब पता चला कि बिना किसी सुरक्षा के नाबालिग, जिनमें भारतीय भी शामिल हैं, अमेरिकी सीमा में दाखिल हो रहे हैं. अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा (यूएससीबीपी) के आंकड़ों से भी यही बात सामने आई है. अक्टूबर 2024 से 25 फरवरी तक 77 भारतीय नाबालिगों को अमेरिकी सीमा पर पकड़ा गया. इन बच्चों को अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर या कनाडा के रास्ते जानबूझ कर छोड़ दिया गया था.

भारतीयों को किया जा रहा डिपोर्ट

डेटा से पता चलता है कि 77 बच्चों में से 53 को मैक्सिको के साथ दक्षिणी बॉर्डर पर पकड़ा गया और 22 को कनाडा से सीमा पार करते समय पकड़ा गया. उन्हें देश के भीतर ही रोका गया. 2022 से 2025 तक कम से कम 1,656 भारतीय नाबालिग अकेले अमेरिका में दाखिल होने की कोशिश करते हुए पाए जाएंगे. वित्त वर्ष 2024 में 517 अप्रवासी भारतीय बच्चों को अमेरिका में अकेले पकड़ा गया. वित्त वर्ष 2023 में सबसे ज़्यादा 730 बच्चों ने ऐसा करने की कोशिश की.

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कोरोना महामारी के दौरान ट्रेवल बैन की वजह से यह संख्या कम रही. साल 2020 में 219 और 2021 में 237 नाबालिग सीमा पर मिले थे. होमलैंड सिक्योरिटी विभाग की अप्रैल 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, अनुमान है कि अमेरिका में 2.2 लाख अवैध भारतीय रह रहे हैं. जनवरी 2025 से अब तक 332 से ज़्यादा भारतीयों को डिपोर्ट किया जा चुका है.

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