अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार (स्थानीय समयानुसार) चीन पर टैरिफ बढ़ाकर 125 प्रतिशत करने के अपने फैसले का बचाव किया. उन्होंने कहा कि किसी न किसी को यह करना ही था. दरअसल, व्हाइट हाउस में NASCAR, INDY और IMSA चैंपियंस के साथ बैठक के दौरान ट्रंप ने कहा कि कोई और अमेरिकी नेता इतना साहसिक कदम नहीं उठा पाता. उन्होंने यह भी बताया कि चीन के साथ पहले का व्यापार असंतुलित था और यह असहनीय हो गया था.
राष्ट्रपति ट्रंप ने दावा किया कि पिछले साल चीन ने अमेरिका के साथ व्यापार से 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई की थी, जिसे उन्होंने अपनी आक्रामक टैरिफ नीति के जरिए उलट दिया है. उन्होंने कहा, “कोई और राष्ट्रपति ऐसा नहीं करता. किसी को यह कदम उठाना ही था. यह रुकना जरूरी था क्योंकि यह टिकाऊ नहीं था.”
75 देशों के लिए पारस्परिक टैरिफ पर 90 दिनों की रोक के बारे में ट्रंप ने कहा, “मैंने उन देशों के लिए 90 दिन की छूट दी जिन्होंने जवाबी कार्रवाई नहीं की, लेकिन जिन्हें चेतावनी दी गई थी कि अगर उन्होंने जवाबी कार्रवाई की तो हम टैरिफ को दोगुना कर देंगे. यही मैंने चीन के साथ किया क्योंकि उन्होंने जवाब दिया था.”
ट्रंप ने विश्वास जताया कि दीर्घकाल में यह व्यापारिक स्थिति अमेरिका के लिए अद्भुत साबित होगी. उन्होंने कहा कि वर्ष के अंत तक, या संभवतः उससे पहले, एक ऐसा समझौता हो जाएगा जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था.
यूरोपीय संघ (EU) के साथ व्यापारिक स्थिति पर भी उन्होंने कहा कि EU अमेरिका के साथ निष्पक्ष नहीं रहा है. उन्होंने कहा, “हर किसी के साथ समझौता होगा और वे निष्पक्ष होंगे. लोग हमारे देश का फायदा उठा रहे थे और हमें दशकों से लूट रहे थे.”
अमेरिकी ट्रेज़री सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने बताया कि आने वाले 90 दिनों में इन देशों के साथ अलग-अलग समझौतों पर वार्ताएं होंगी. उन्होंने इसे ‘बेस्पोक’ (customized) वार्ताएं बताया. हालांकि जब उनसे पूछा गया कि क्या यह टैरिफ विराम शेयर मार्केट में गिरावट के कारण है, तो उन्होंने कहा कि यह अन्य देशों द्वारा बातचीत की इच्छा के कारण है.
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलीन लेविट ने कहा कि यह राष्ट्रपति ट्रंप की एक सोची-समझी रणनीति है. उन्होंने मीडिया की आलोचना करते हुए कहा, “मीडिया यह समझने में असफल रहा कि राष्ट्रपति ट्रंप क्या कर रहे हैं. आपने कहा कि बाकी दुनिया चीन की ओर झुक रही है, लेकिन हुआ इसके बिल्कुल उलट. आज पूरी दुनिया अमेरिका को कॉल कर रही है, चीन को नहीं, क्योंकि उन्हें हमारे बाजारों की ज़रूरत है.”