अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया की प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की 2.2 अरब डॉलर की फंडिंग तत्काल प्रभाव से रोक दी है. ट्रंप ने यह फैसला यहूदियों के खिलाफ बढ़ती नफरत और फिलिस्तीन के समर्थन में हो रहे प्रदर्शनों को रोकने में यूनिवर्सिटी के असफल रहने का आरोप लगाकर लिया है. ट्रंप ने इसे संघीय कानून का उल्लंघन बताते हुए कहा कि ऐसी यूनिवर्सिटी को सरकारी फंडिंग का अधिकार नहीं है.
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में यहूदी छात्रों और प्रोफेसरों के खिलाफ भेदभाव हो रहा है. ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को मिलने वाले 9 अरब डॉलर के फंड की समीक्षा शुरू कर दी थी.
इसके साथ ही ट्रंप सरकार ने हार्वर्ड को कुछ नीतिगत बदलाव करने को कहा था, जिसका पालन नहीं करने पर फंडिंग रोकने की धमकी दी थी. यह मामला तब और गरमाया जब हार्वर्ड के प्रोफेसर्स ने ट्रंप के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराते हुए इसे असंवैधानिक और यूनिवर्सिटी की स्वायत्तता पर हमला बताया.
हार्वर्ड पर क्यों लगे यहूदी विरोधी होने के आरोप
हार्वर्ड को डेमोक्रेटिक मूल्यों का गढ़ माना जाता रहा लेकिन हाल के सालों में वहां कुछ खास विचारधाराओं का सपोर्ट या कुछ का विरोध दिख रहा है. खासकर 7 अक्टूबर को हमास के इजरायल पर हमले के बाद से इजरायल भी हमास के गढ़ यानी गाजा पट्टी पर हमलावर है. इसे लेकर अमेरिका के कई कॉलेजों में प्रोटेस्ट शुरू हो गए.
ये प्रदर्शन फिलिस्तीन के समर्थन में और तेल अवीव के विरोध में थे. कई जगहों पर 'गैस द ज्यूज' यानी यहूदियों को गैस चैंबर में डालो जैसी नफरत भरी बातें सुनाई दीं. बहुत से यहूदी स्टूडेंट्स ने शिकायत की कि उन्हें डराया-धमकाया जा रहा है. इसी बात पर ट्रंप प्रशासन नाराज हो गया कि इतने बड़े संस्थान भी यहूदियों की सेफ्टी पक्की नहीं कर पा रहे.
ट्रंप सरकार के खिलाफ हार्वर्ड के प्रोफेसर्स ने दर्ज कराया केस
अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर्स ने ट्रंप सरकार के खिलाफ मैसाचुसेट्स की फेडरल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट केस दायर किया है. प्रोफेसर्स के दो समूहों ने यूनिवर्सिटी फंड को रोकनी की धमकी के खिलाफ यह केस दर्ज किया है. हार्र्ड का कहना है कि ट्रंप का यह फैसला अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन का उल्लंघन करता है. आरोप है कि यूनिवर्सिटी फंड में कटौती करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है.
हार्वर्ड ने इस धमकी को अपनी अकादमिक स्वतंत्रता और स्वायत्तता पर हमला बताया है. यूनिवर्सिटी का कहना है कि वह सभी छात्रों की सुरक्षा और समानता के लिए प्रतिबद्ध है.
ट्रंप को हार्वर्ड से दिक्कत क्या है?
राष्ट्रपति ट्रंप लंबे समय से अमेरिका की यूनिवर्सिटिज में प्रचलित ‘वोक’ संस्कृति और डायवर्सिटी, इक्विटी, और इन्क्लूजन (DEI) प्रोग्राम्स के खिलाफ रहे हैं. उनका मानना है कि ये कार्यक्रम भेदभाव बढ़ाते हैं और मेरिट आधारित सिस्टम को कमजोर करते हैं.
हार्वर्ड पर विशेष रूप से आरोप है कि इनके DEI कार्यक्रम से ‘रिवर्स डिस्क्रिमिनेशन’ को मजबूती मिली है, विशेष रूप से गैर-यहूदी और गैर-माइनॉरिटी समूहों के खिलाफ. ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड से इन कार्यक्रमों को खत्म करने की मांग की है. ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड से भर्ती और दाखिले में पूरी तरह मेरिट बेस्ड सिस्टम अपनाने को कहा है.
ट्रंप का तर्क है कि हार्वर्ड जैसे बड़े विश्वविद्यालय जिन्हे अरबों डॉलर की फंडिंग मिलती है, उनकी जवाबदेही सुनिश्चित होनी चाहिए. उनका कहना है कि अगर हार्वर्ड उनकी नीतियों का पालन नहीं करता तो उसे सरकारी सहायता क्यों मिले? बता दें कि यह कदम ट्रंप की उस पॉलिसी का हिस्सा है, जिसमें वे सरकारी खर्च को कम करने और उन संस्थानों को निशाना बनाना चाहते हैं, जिन्हें वे लिबरल मानते हैं.
बता दें कि यूनिवर्सिटी को मिलने वाली नौ अरब डॉलर की फंडिंग रिसर्च, स्टूडेंट स्कॉलरशिप और कई साइंस प्रोजेक्ट्स के लिए बेहद जरूरी है.