अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता में आते ही देश में रह रहे अवैध प्रवासियों पर व्यापक कार्रवाई शुरू तो कर दी, लेकिन उन्हें देश से जिस तरीके से निकाला जा रहा है, उस प्रक्रिया की काफी आलोचना हो रही है. अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें जिन इमिग्रेशन डिटेंशन सेंटर यानी हिरासत केंद्रों में रखा जा रहा है, उनकी हालत बेहद खराब बताई जा रही है. हाल ही में प्रकाशित एक मानवाधिकार रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के तीन इमिग्रेशन हिरासत केंद्रों में कैद लोगों ने बताया है कि उन्हें बेहद ही खराब परिस्थितियों में रखा जा रहा है जहां इलाज, दवा उपलब्ध नहीं है और ऐसे हालत में रह रहे दो लोगों की मौत हो चुकी है.
सोमवार को प्रकाशित जांच रिपोर्ट में फ्लोरिडा के मियामी में या उसके नजदीक स्थित तीन हिरासत केंद्रों- क्रोम नॉर्थ सर्विस प्रोसेसिंग सेंटर, ब्रोवार्ड ट्रांजिशनल सेंटर और फेडरल डिटेंशन सेंटर में रह रहे कैदियों का जिक्र है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पुरुषों के लिए बनाए गए हिरासत केंद्रों में महिलाओं को रखा जा रहा है और वहां क्षमता से अधिक लोग ठूस-ठूसकर रखे गए हैं.
रिपोर्ट के लेखकों ने कहा कि हिरासत केंद्र में लोगों को अमानवीय स्थिति में रखा जाना राष्ट्रपति ट्रंप के निर्वासन कैंपेन की खतरनाक खामियों को दिखाता है. हिरासत केंद्रों की क्षमता से अधिक अवैध प्रवासी भरे हुए हैं जिसे देखते हुए प्रशासन फ्लोरिडा के 'एलीगेटर अल्काट्राज' को प्रवासियों के लिए खोलने की मांग कर रहा है और नया इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने की मांग भी तेज हो गई है.
92 पेज की रिपोर्ट मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच के एसोसिएट संकट एवं संघर्ष निदेशक बेल्किस विले ने अमेरिकन्स फॉर इमिग्रेंट जस्टिस और सैंक्चुरी ऑफ द साउथ के साथ मिलकर लिखी है. विले का कहना है कि हिरासत में लिए गए लोगों के साथ जानवरों से भी बुरा बर्ताव किया जा रहा है.
अलजजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डिटेंशन सेंटर्स से संबंधित मानवाधिकार रिपोर्ट वर्तमान और पूर्व कैदियों की गवाही, उनके परिवार के लोगों की गवाही, वकीलों, इमिग्रेशन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) एजेंसी के आंकड़ों पर आधारित है. रिपोर्ट में तीनों हिरासत केंद्रों में चिकित्सा सुविधा के अभाव का ब्योरा दिया गया है.
हिरासत में कैद एक अवैध प्रवासी ने बताया कि अप्रैल के अंत में 44 साल की हैती की एक नागरिक मैरी एंज ब्लेज ब्रोवार्ड ट्रांजिशनल सेंटर में बुरी तरह बीमार पड़ गईं. वो मदद के लिए चिल्ला रही थीं लेकिन गार्डों ने उनकी आवाज को अनसुना कर दिया.
रिपोर्ट के अनुसार, कैदी ने बताया, 'मैरी की हालत देख हम भी मदद के लिए चिल्लाने लगे, लेकिन गार्डों ने हमारी बात अनसुनी कर दी.' आधे घंटे से भी ज्यादा देर बाद एक रेस्क्यू टीम आई तब तक मैरी के शरीर में कोई हलचल नहीं बची थी, वो मर चुकी थी.
कैदी ने बताया कि हिरासत केंद्र में उन्हें भी सजा दी गई. दरअसल, इस महिला कैदी ने मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित इलाज की मांग की थी जिसके बाद उन्हें दंडित किया गया. उन्होंने बताया कि इस तरह की सहायता मांगने पर कैदियों को अकसर एकांत कारावास में डाल दिया जाता है.
एक अन्य मामले में, 44 साल के यूक्रेनी नागरिक मैक्सिम चेर्न्याक की पत्नी ने बताया कि उनके पति ने फरवरी में डॉक्टर से मिलने का अनुरोध किया था. क्रोम डिटेंशन सेंटर में रहते हुए उन्हें बुखार, सीने में दर्द और अन्य लक्षण दिख रहे थे. लेकिन उन्हें डॉक्टर से नहीं दिखाया गया. बहुत दिनों बाद जब वो किसी तरह डॉक्टर से मिले तो पता चला कि उनका ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ा हुआ है.
उनकी पत्नी के अनुसार, सही तरीके से उनका इलाज नहीं हुआ. बाद में हालत बिगड़ी और चेर्न्याक को उल्टी, लार टपकने की दिक्कत शुरू हो गई. उन्हें टॉयलेट का भी एहसास नहीं होता था और वो पड़े-पड़े मल त्याग कर देते थे.
एक बार उनकी हालत बेहद खराब हो गई बावजूद इसके, गार्डों ने उनके पास आने में 15-20 मिनट लगा दिया. ऐसे में भी गार्डों ने चेर्न्याक पर अवैध सिंथेटिक ड्रग्स लेने का आरोप लगाया. हालांकि, उनके एक साथी कैदी ने इस दावे का खंडन किया है कि वो ड्रग्स लेते थे. खराब हालत की वजह से चेर्न्याक को स्ट्रेचर पर ले जाया गया. डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया और दो दिन बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
रिपोर्ट में बताया गया कि फ्लोरिडा के क्रोम डिटेंशन सेंटर में अत्यधिक भीड़भाड़ है. भीड़ के कारण कैदियों को बिस्तर, साबुन और चीजें नहीं मिल पा रही हैं और कैदी जमीन पर सो रहे हैं.
फ्लोरिडा के पुरुष डिटेंशन सेंटर में रखी गई हैं महिला कैदी
क्रोम डिटेंशन सेंटर केवल पुरुष कैदियों के लिए है लेकिन इसमें महिलाओं को भी रखा गया है. वहां कैद महिलाओं ने बताया कि उन्हें नहाने की इजाजत नहीं है और वो खुले शौचालय का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर हैं. इन शौचालयों के इस्तेमाल के वक्त पुरुष उन्हें आसानी से देख सकते हैं.
अर्जेंटीना की एक महिला ने बताया, 'अगर पुरुष कुर्सी पर खड़े होते, तो वे हमारे कमरे और शौचालय में साफ देख सकते थे. हमने नहाने की अनुमति मांगी, लेकिन हमसे बताया गया कि यह संभव नहीं है क्योंकि सेंटर केवल पुरुषों के लिए है तो यहां महिलाओं के नहाने की व्यवस्था नहीं है.'
कैदियों ने बताया कि उनके साथ गार्ड बल प्रयोग करते हैं, खाना पूरा नहीं मिलता, लंबे समय तक बेड़ियों में जकड़ा रखा जाता है और भारी गर्मी, ठंड में रहना पड़ता है. उन्होंने बताया कि छह लोगों के लिए बने कमरे में 30 से 40 लोगों को ठूंस-ठूंस कर भर दिया गया और उन्हें बाल्टी लेकर टॉयलेट आदि जाने के लिए मजबूर किया गया.