पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को शुक्रवार को बड़ी राहत मिली है. अल कादिर ट्रस्ट मामले में लाहौर हाईकोर्ट में उनकी जमानत पर सुनवाई हुई और कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी. इसके साथ ही इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें सभी मामलों में जमानत दे दी. लाहौर के 4 केस में भी एक में इमरान खान को जमानत मिल चुकी है. इमरान खान को 17 मई तक के लिए राहत मिली है. यानी तब तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकती है. इस्लामाबाद हाईकोर्ट शुक्रवार शाम को जब यह फैसला कर रही थी, उस दौरान कोर्ट के बाहर इस्लामाबाद और पंजाब पुलिस दोनों मौजूद थीं. यहां दोनों के बीच पूर्व पीएम की गिरफ्तारी को लेकर बहस भी हुई थी.
बहरहाल, पाकिस्तान में अभी भी अस्थिर हालात में हैं. पीटीआई ने प्रदर्शनकारियों से विरोध-प्रदर्शन जारी रखने के लिए अपील की है. पूर्व पीएम को राहत जरूर मिल गई है, लेकिन सवाल ये उठता है कि वह कौन से मामले हैं, और उनमें क्या हुआ है जो इमरान खान के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है.
गिरफ्तारी से भड़की हिंसा
इससे पहले 9 मई को इमरान खान को राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) ने अल कादिर ट्रस्ट केस में इमरान खान को अरेस्ट कर लिया था. एनएबी ने इमरान को कई बार समन भेजा था, लेकिन वे पेश नहीं हो रहे थे. इसके बाद इमरान खान के समर्थक भड़क गए और उन्होंने खैबर पख्तूनख्वां, इस्लामाबाद, रावलपिंडी, क्वेटा, लाहौर सहित कई जगहों पर जमकर उत्पात मचाया. इसके बाद उनकी गिरफ्तारी का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और कोर्ट ने इमरान की गिरफ्तारी को अवैध करार देते हुए उन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि उन्हें 12 मई को इस्लामाबाद हाईकोर्ट के सामने पेश किया जाए.
इमरान के खिलाफ 121 से अधिक एफआईआर दर्ज हैं. उनके खिलाफ जो प्रमुख मामले दर्ज हैं उनमें तोशाखाना केस,अल कादिर ट्रस्ट मामला, महिला जज को धमकी, 9 मई को हुए दंगे के बाद देशद्रोह का मामला, ईशनिंदा और आतंकवाद को उकसाने का मामला शामिल है. तोशाखाना और महिला जज से अपमान वाले केस में तो उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ था. इनमें से कुछ मामले ऐसे हैं जिनसे पार पाना पीटीआई प्रमुख के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.एक नजर प्रमुख मामलों पर-
इमरान खान, उनकी पत्नी बुशरा बीबी और उनके करीबी सहयोगी जुल्फिकार बुखारी और बाबर अवान ने अल-कादिर प्रोजेक्ट ट्रस्ट का गठन किया था, जिसका उद्देश्य पंजाब के झेलम जिले की सोहावा तहसील में 'गुणवत्तापूर्ण शिक्षा' प्रदान करने के लिए अल-कादिर यूनिवर्सिटी की स्थापना करना था. आरोप है कि दान की गई जमीन के दस्तावेज में हेरफेर किया गया. यूनिवर्सिटी के लिए इमरान और उनकी बीवी ने जमीन को गैर कानूनी तरीके से हड़प लिया और दोनों ने पाकिस्तान के सबसे अमीर शख्स मलिक रियाज को गिरफ्तारी के नाम पर धमकाकर अरबों रुपये की जमीन अपने नाम करा ली. आरोपों के मुताबिक,-
-दस्तावेजों में ट्रस्ट के कार्यालय का पता बानी गाला हाउस, इस्लामाबाद बताया गया. बाद में 2019 में बुशरा बीबी ने एक निजी रियल एस्टेट फर्म बहरिया टाउन के साथ दान प्राप्त करने के लिए एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. ट्रस्ट ने अपने सौदे के हिस्से के रूप में बहरिया टाउन से 458 कनाल, 4 मरला और 58 वर्ग फुट की जमीन हासिल की.
- हालांकि, गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह के अनुसार, इस 458 कनाल भूमि में से इमरान खान ने अपना हिस्सा तय किया और दान की गई 240 कनाल भूमि बुशरा बीबी की करीबी दोस्त फराह गोगी के नाम पर ट्रांसफर कर दी.
- सनाउल्लाह ने दावा किया कि इस जमीन के मूल्य को कम करके आंका गया और इमरान खान ने यूनिवर्सिटी के नाम पर अपना हिस्सा प्राप्त किया. पूर्व पीएम ने मामले को दबाने की कोशिश की.
पाकिस्तान में तोशाखाना एक सरकारी विभाग है, जहां अन्य सरकारों के प्रमुखों, विदेशी हस्तियों द्वारा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सांसदों, नौकरशाहों और अधिकारियों को दिए गए उपहारों को रखा जाता है. इमरान खान पर प्रधानमंत्री रहते हुए तोशाखाने में रखे गए तोहफों को कम दाम पर खरीदने और फिर उन्हें बेचकर लाभ कमाने का आरोप है. इमरान खान पर आरोप है कि साल 2018 में देश के पीएम के तौर पर उन्हें यूरोप और खासकर अरब देशों की यात्रा के दौरान बहुत से कीमती तोहफे मिले थे. कथित तौर पर बहुत से गिफ्ट्स को इमरान ने डिक्लेयर ही नहीं किया, जबकि कई तोहफों को असल के काफी कम कीमत पर खरीद लिया और बाहर जाकर बड़ी कीमत पर बेच दिया.
पूर्व प्रधानमंत्री ने चुनाव आयोग को बताया था कि राज्य के खजाने से इन गिफ्ट्स को 2.15 करोड़ रुपए में खरीदा गया था और इन्हें बेचकर उन्हें करीब 5.8 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था. इन गिफ्ट्स में एक Graff घड़ी, कफलिंक का एक जोड़ा, एक महंगा पेन, एक अंगूठी और चार रोलेक्स घड़ियां सहित कई अन्य उपहार भी थे.
इसी साल मार्च में इमरान खान पर महिला जज को धमकाने और उनका अपमान करने का आरोप लगा, जिसके बाद उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया. इमरान खान ने इस्लामाबाद में जिला अदालत की सेशन जज जेबा चौधरी को धमकी दी थी और जेबा चौधरी को देख लेने को कहा था. इमरान खान ने बाद में एक रैली में कहा था कि जज जेबा चौधरी जानती थीं कि उनकी पार्टी के नेता शाहबाज गिल को जेल में प्रताड़ित किया गया लेकिन उन्हें जमानत नहीं दी. इसके बाद इमरान ने जेबा चौधरी को देख लेने की धमकी दी. बाद में इमरान के इस बयान को धमकी भरा मानते हुए उनके ऊपर आतंकवाद की की धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था. इसी मामले में इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने इमरान को अवमानना का नोटिस भी जारी किया था और बाद में गैर जमानती वारंट भी जारी हुआ.
इमरान खान को जब 9 मई को गिरफ्तार किया गया तो देशभर के कई शहरों में उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए. पीटीआई समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर जमकर उत्पात मचाया. हिंसक समर्थकों ने रावलपिंडी में पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय तक पर हमला कर दिया. इतना ही नहीं लाहौर में आर्मी के कोर कमांडर के घर पर हमला कर तोड़फोड़ की और चोरी कर फरार हो गए. इन हिंसक प्रदर्शनों के बाद इमरान के खिलाफ हिंसा भड़काने, देशद्रोह तथा अन्य गंभीर धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ है. डीआईजी पंजाब ने कहा है कि वह इमरान खान के खिलाफ कम से कम 10 मामलों में गिरफ्तार करने के लिए वहां आए हैं और उनके पास गिरफ्तारी वारंट है.
अब जब शहबाज शरीफ सरकार इमरान खान को अरेस्ट करने पर उतारू हैं, ऐसे में इमरान खान को खुद के खिलाफ देशद्रोह, ईशनिंदा, हिंसा और आतंकवाद जैसे दर्ज मामलों से पार पाना भी मुश्किल होगा. इन मामलों के लेकर उनकी पार्टी हाईकोर्ट भी जा चुकी है.