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टीपू सुल्तान की तलवार का नहीं मिला खरीददार, लंदन में क्रिस्टी ने नीलामी में रखी थी 15 करोड़ की बोली

मैसूर के टीपू सुल्तान की एक निजी तलवार को लंदन में कोई खरीददार नहीं मिला है. ये तलवार ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल रहे कॉर्नवालिस को गिफ्ट में दी गई थी. अब उनके परिवार ने इस तलवार और अन्य सामान की नीलामी रखी थी. यह तलवार टीपू सुल्तान के निजी कवच ​​की दो तलवारों में से एक थी. टीपू की हार के तुरंत बाद दोनों तलवारें 1799 में चार्ल्स मार्क्वेस प्रथम और द्वितीय अर्ल कॉर्नवालिस को दी गई थी.

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टीपू सुल्तान की तलवार को लंदन में नीलामी के लिए रखा गया. (Photo- Courtesy)
टीपू सुल्तान की तलवार को लंदन में नीलामी के लिए रखा गया. (Photo- Courtesy)

मैसूर के टीपू सुल्तान की एक निजी तलवार के लिए नीलामी में कोई खरीददार नहीं मिला है. ये तलवार लंदन की क्रिस्टी की नीलामी में बेचने के लिए रखी गई थी. नीलामी में इस तलवार के लिए जो बेस प्राइज रखी गई थी, वो भी हासिल नहीं हो पाई है. इस तलवार को पूर्व ब्रिटिश गवर्नर जनरल कॉर्नवालिस को गिफ्ट में दिया गया था. इसकी अनुमानित कीमत 15 करोड़ से 20 करोड़ रुपए रखी गई थी. ऊंची कीमत होने की वजह से तलवार की बोली नहीं लग सकी है.

इस तलवार को मिडिल ईस्ट के एक म्यूजियम द्वारा खरीदे जाने की उम्मीद थी, लेकिन इसकी रिजर्व बोली नहीं लगाई जा सकी. टीपू सुल्तान की हार के बाद 1799 में उनकी निजी कवच की दोनों तलवारें गिफ्ट की गई थीं. इनमें एक तलवार चार्ल्स मार्क्वेस प्रथम और दूसरी तलवार अर्ल कॉर्नवालिस को दी गई थी. कॉर्नवालिस को 1786 में ब्रिटिश भारत का गवर्नर जनरल और कमांडर इन चीफ बनाया गया था. उन्होंने तीसरे एंग्लो-मैसूर युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना को लीड किया था. 

'कॉर्नवालिस के परिवार ने बिक्री के लिए रखी है तलवार'

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, ये टीपू सुल्तान की बेडरूम वाली तलवार थी. पहली तलवार इसी साल 23 मई को बोनहम्स में 141 करोड़ में बिकी थी. अब कॉर्नवालिस के परिवार ने अपने आलीशान घर और दो तलवारें बिक्री के लिए रखी हैं. दूसरी तलवार रत्न जड़ित और मीनाकारी वाली है. कॉर्नवालिस को 1805 में दोबारा भारत में जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन नौकरी के दौरान मुश्किल से दो महीने में उनकी मृत्यु हो गई थी.

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'ऊंचे दाम होने से नहीं मिल सका खरीददार'

माना जा रहा है कि हाल के इजरायल-गाजा युद्ध और उच्च ब्याज दरों की वजह से ऊंचे दामों पर किसी ने खरीददारी में रुचि नहीं दिखाई. इसलिए नीलामी में बोलियां नहीं लगाई जा सकी हैं. इस नीलामी में टीपू सुल्तान की सेना के दो अन्य हथियारों को भी रखा गया था. टीपू सुल्तान के लिए बनाया गया फ्लिंटलॉक मस्कटून अभी तय बोली तक नहीं पहुंच सका.
 

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