
सूडान विश्व स्तर पर सबसे बड़े मानवीय संकट से जूझ रहा है और यहां के लोग इंटरनेशनल कम्युनिटी की निष्क्रियता की कीमत चुका रहे हैं, जबकि देश में लगातार तीसरी साल भी गृह युद्ध जारी है. गैर सरकारी संगठनों और संयुक्त राष्ट्र की ओर से यह बात कही गई है.
सूडानी सेना और अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSF) के बीच खार्तूम में लड़ाई शुरू होने के दो साल बाद, पश्चिमी दारफुर इलाके में शरणार्थी शिविरों पर पैरामिलिट्री रैपिड सपोर्ट फोर्सेज के हमलों में सैकड़ों लोगों के मारे जाने की आशंका है. सूडान के 50 मिलियन (5 करोड़) लोगों के लिए नतीजे विनाशकारी रहे हैं. कथित तौर पर हज़ारों लोग मारे गए हैं और लाखों लोग अकाल का सामना कर रहे हैं. लगभग 13 मिलियन लोग विस्थापित हुए हैं, जिनमें से 4 मिलियन पड़ोसी देशों में चले गए हैं.
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ऑक्सफैम की रीजनल एडवोकेसी मैनेजर एलिस नालबैंडियन ने कहा कि सूडान के हालात अब पहले से भी बदतर हैं. देश सबसे बड़ा मानवीय संकट, सबसे बड़ा विस्थापन संकट, सबसे बड़ी भुखमरी... इन सभी तरह के गलत रिकॉर्ड तोड़ रहा है. सूडान में रेड क्रॉस प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख डैनियल ओमैली ने कहा कि संघर्ष में अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का बड़े पैमाने पर उल्लंघन हुआ है. देश में चाहे वे कहीं भी हों, सभी नागरिक एक- दो या अधिक पक्षों के बीच फंसे हुए हैं. वे हर चीज का खामियाजा भुगत रहे हैं, यह संख्या वाकई हैरान करने वाली है.
सूडानी सेना और RSF के बीच संघर्ष
पिछले महीने सूडान की सेना ने खार्तूम में राष्ट्रपति भवन पर फिर से कब्ज़ा कर लिया और उसने राजधानी के ज्यादातर हिस्से पर काबू पा लिया. लेकिन देश के अधिकांश हिस्सों में संघर्ष जारी है. संयुक्त राष्ट्र की ओर से बताया गया कि दारफ़ुर में RSF के हमलों में 400 से अधिक लोग मारे गए हैं, जहां गुट एल फ़शर पर कब्ज़ा करने की कोशिश कर रहा है, जो इस क्षेत्र की आखिरी राज्य राजधानी है.
पिछले हफ़्ते के आखिर से RSF ने एल फशर और पास के ज़मज़म और अबू शौक विस्थापन शिविरों पर ज़मीनी और हवाई हमले शुरू कर दिए हैं. संयुक्त राष्ट्र के एक प्रवक्ता ने एजेंस फ़्रांस-प्रेस को बताया कि संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने 148 हत्याओं की पुष्टि की है और विश्वसनीय स्रोतों से रिपोर्ट हासिल की है कि मृतकों की कुल संख्या 400 से ज्यादा है.
आधी आबादी भुखमरी का शिकार
रॉयटर्स ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के माइग्रेशन ऑर्गनाइजेशन के आंकड़ों से पता चलता है कि वीकेंड से लेकर अब तक सिर्फ ज़मज़म कैंप से ही 4 लाख लोग विस्थापित हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने एक बयान में कहा कि बड़े पैमाने पर हुए हमलों ने क्षेत्र में नागरिकों के लिए बढ़ते खतरे की मेरी चेतावनियों के बावजूद अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निष्क्रियता की कीमत को साफ तौर पर दिखा दिया है.
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उन्होंने कहा कि इन हमलों ने शहर में पहले से ही गंभीर सुरक्षा और मानवीय संकट को और बढ़ा दिया है, जो पिछले साल मई से आरएसएफ की विनाशकारी घेराबंदी से जूझ रहा है. एल फशर, दारफुर के कई इलाकों में से एक है, जहां अकाल की घोषणा की गई है, जिससे करीब 6.37 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. सूडान की 50 मिलियन आबादी में से लगभग आधी आबादी यानी 24.6 मिलियन लोगों के पास पर्याप्त भोजन नहीं है.
'सूडान पर दुनिया का ध्यान नहीं'
सूडान के लिए विश्व खाद्य कार्यक्रम की कम्युनिकेशन हेड लेनी किन्ज़ली ने कहा कि अन्य संघर्षों, पत्रकारों की पहुंच में कमी और अपदस्थ तानाशाह उमर अल-बशीर के शासन के दिनों से सूडान का अंतरराष्ट्रीय अलगाव हुआ है, इन सबका अर्थ है कि सूडान को वह ध्यान नहीं मिल रहा है जिसकी उसे जरूरत थी.
उन्होंने कहा कि हमें सूडान पर अंतरराष्ट्रीय ध्यान का वह स्तर नहीं दिखता, जैसा कि हम अन्य संकटों पर देखते हैं. संकटों के बीच प्रतिस्पर्धा नहीं होनी चाहिए. लेकिन दुर्भाग्य से हम देख रहे हैं कि दुनिया में जो कुछ भी चल रहा है, अन्य संघर्ष, अन्य मानवीय संकट और अन्य चीजें सुर्खियां बन रही हैं, दुर्भाग्य से सूडान को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है.
बशीर के तख्तापलट से शुरू हुआ संघर्ष
युद्ध की शुरुआत 2018 के आखिर में हुई थी, जब सूडानी तानाशाह बशीर के खिलाफ़ लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था. सूडान के सेना प्रमुख जनरल अब्देल फत्ताह अल-बुरहान ने आरएसएफ प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डागालो के साथ मिलकर अप्रैल 2019 में बशीर को तख्तापलट के ज़रिए सत्ता से बेदखल कर दिया था.
इसके बाद 2021 में उन्होंने फिर से गठबंधन किया और सूडान को लोकतंत्र में बदलने के लिए नागरिक सरकार को हटा दिया. हालांकि, हमदान डागालो को लंबे समय से अपने लिए सर्वोच्च सत्ता की लालसा की थी और दो साल से भी कम समय में दोनों के बीच टकराव युद्ध में बदल गया. आरएसएफ एक अर्धसैनिक बल है, जो 2000 के दशक के मध्य में दारफुर इलाके में नरसंहार करने के आरोपी जंजावीद अरब मिलिशिया से विकसित हुआ था.
आरएसएफ और सहयोगी मिलिशिया की ओर से किए गए हमलों में युद्ध के पहले साल में दारफुर में हजारों लोग मारे गए थे. पश्चिम से भागकर चाड आए मसलित शरणार्थियों ने बताया कि महिलाओं और लड़कियों के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और लड़कों को सड़क पर गोली मार दी गई. नवंबर 2024 में जारी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार मिलिशिया लड़ाकों ने कहा कि वे महिलाओं को 'अरब बच्चे' पैदा करने के लिए मजबूर करेंगे.
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आरएसएफ और सूडानी सेना दोनों पर संघर्ष के दौरान युद्ध अपराध करने का आरोप लगाया गया है. इस साल जनवरी में अमेरिका ने औपचारिक रूप से घोषणा की कि आरएसएफ ने नरसंहार किया है, जो 30 साल से भी कम समय में दूसरी बार था, जब सूडान में नरसंहार किया गया था. संयुक्त अरब अमीरात (UAE) पर आरएसएफ को हथियार देकर संघर्ष को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है.
पिछले साल युद्ध के मैदान में कथित तौर पर मिले अमीराती पासपोर्ट जमीन पर संभावित गुप्त आतंकवादियों की ओर इशारा करते हैं. हालांकि यूएई ने युद्ध में किसी भी तरह की भागीदारी से इनकार किया है.