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'हमने चीखें सुनी हैं...और फैसला किया सिंदूर के घावों को आतंकियों के खून से भरेंगे', पनामा में बोले शशि थरूर

पनामा में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए पाकिस्तान की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि हमने उन महिलाओं की चीखें सुनी और फैसला किया कि हमारी महिलाओं के माथे का सिंदूर उजाड़ने वाले आतंकियों को इसकी कीमत चुकानी होगी और हम इन घावों को आतंकियों के खून से भरेंगे.

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शशि थरूर. (फाइल फोटो)
शशि थरूर. (फाइल फोटो)

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पनामा में एक डेलिगेशन का नेतृत्व करते हुए आतंकवाद के खिलाफ भारत की मजबूत रणनीति और ऑपरेशन सिंदूर के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की आलोचना की और कहा कि अब आतंकवादियों को अपनी हरकतों की कीमत चुकानी होगी.

पनामा में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए थरूर ने पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र कर कहा, 'कुछ महिलाओं ने रोते हुए कहा, 'हमें भी मार डालो' आतंकवादियों ने जवाब दिया, 'नहीं, वापस जाओ और बताओ कि तुम्हारे साथ क्या हुआ. हमने उनकी चीखें सुनीं और भारत ने फैसला किया कि हमारी महिलाओं के माथे का सिंदूर उजाड़ने वाले आतंकियों को इसकी कीमत चुकानी होगी.' 

'हमारे पीएम ने किया स्पष्ट'

उन्होंने आगे कहा, 'हमारे प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि ऑपरेशन सिंदूर जरूरी था क्योंकि इन आतंकवादियों ने 26 महिलाओं के पति और पिता की हत्या कर, उनके वैवाहिक जीवन और जीवन को लगभग नष्ट कर दिया.'

थरूर ने भारत की बदलती रणनीति पर जोर डालते हुए कहा, 'हाल के सालों में हमारी रणनीति में जो बदलाव आया है, वो ये है कि आतंकवादियों को अब एहसास हो गया है कि उन्हें अपने हमले की कीमत चुकानी पड़ेगी. हमने पहली बार सितंबर 2015 में उरी हमले के बाद नियंत्रण रेखा (LoC) को पार कर एक आतंकी ठिकाने पर सर्जिकल स्ट्राइक की. भारत द्वारा की गई ये ऐसी कार्रवाई थी जो पहली कभी नहीं की गई थी. यहां तक कि कारगिल युद्ध के दौरान भी हमने एलओसी पार नहीं की थी, लेकिन उरी हमले के बाद हमने ऐसा किया. फिर जनवरी 2019 में पुलवामा हमला हुआ. इस बार हमने न केवल नियंत्रण रेखा बल्कि अंतरराष्ट्रीय सीमा को भी पार किया और बालाकोट में आतंकी मुख्यालय पर हमला किया. इस बार हमने दोनों सीमाओं को पार किया और पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों, ट्रेनिंग कैंप और आतंकियों के हेडक्वार्टर को तबाह कर दिया.'

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'हमने कई बार दिए हैं सबूत, पर क्या हुआ'

थरूर ने 26/11 मुंबई हमलों का उदाहरण देते हुए पाकिस्तान की जवाबदेही पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, 'न केवल भारत, बल्कि पश्चिमी खुफिया एजेंसियों के पास भी मुंबई हमलों के दौरान पाकिस्तानी हैंडलर द्वारा दिए जा रहे निर्देशों के आवाज की रिकॉर्डिंग थी. हमने सारे सबूत इकट्ठे किए, डोजियर बनाए गए, पर क्या हुआ? क्या इस जघन्य अपराध के पीछे एक भी व्यक्ति पर मुकदमा चला, सजा तो दूर की बात है? पिछले 20 वर्षों में न्यूयॉर्क, लंदन, मैड्रिड और दुनिया के कई हिस्सों में हुए हमलों के लिए पाकिस्तानी आतंकवादियों या पाकिस्तान में ट्रेंड आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया गया है. यही वास्तविकता है, जिसका हम सामना कर रहे हैं.'

'ये मंजूर नहीं'

उन्होंने भारत के दर्द को व्यक्त करते हुए कहा, 'यह मंजूर नहीं है कि हम दर्द, शोक, घाव और नुकसान को सहते रहें और फिर केवल अंतरराष्ट्रीय समुदाय से जाकर कहें कि देखो हमारे साथ क्या हो रहा है. कृपया हमारी मदद करें. कृपया अपराधियों पर दबाव डालें ताकि उनकी पहचान हो और उन पर मुकदमा चलाया जाए.' 

उन्होंने कश्मीर में 1989 से शुरू हुए हमलों का उल्लेख करते हुए कहा, 'हम पिछले चार दशकों से हमले झेल रहे हैं. 1989 में कश्मीर में हुए पहले हमलों से लेकर अब तक, हमने बार-बार निर्दोष नागरिकों को शिकार बनते देखा है.'

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थरूर ने वैश्विक समुदाय से एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की अपील की और भारत के संकल्प को दोहराया कि वह आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा. ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी कार्रवाई अब पहले से कहीं अधिक निर्णायक और प्रभावी होगी.

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