पाकिस्तान ने कहा है कि वो अमेरिका के साथ रिश्ते सुधारने के लिए चीन के साथ अपने रिश्तों की बलि नहीं दे सकता. दरअसल, हाल ही में अमेरिकी राजनयिक डोनाल्ड लू ने कहा था कि पाकिस्तान में निवेश के मामले में चीन बीता हुआ कल है जबकि अमेरिका भविष्य. इसे लेकर गुरुवार को पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान 'जीरो सम रिलेशनशिप' में विश्वास नहीं करता. इसका मतलब ये हुआ है कि वो किसी एक देश से रिश्ते रखने को लिए दूसरे देश से संबंधों को कमजोर नहीं करेगा.
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में एक सवाल के जवाब में कहा, 'हमारे लिए अमेरिका और चीन दोनों ही देशों के साथ रिश्ते महत्वपूर्ण हैं. हम ऐसी स्थिति में रहने में विश्वास नहीं करते जहां किसी देश से रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए दूसरे देश के साथ रिश्तों की बलि देनी पड़े.'
प्रवक्ता ने कहा कि चीन हमारा सदाबहार रणनीतिक सहयोगी है जिसके साथ पाकिस्तान अपने रिश्ते मजबूत करना जारी रखेगा. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तान अमेरिका के साथ भी मजबूत रिश्ते बनाए रखेगा. मुमताज बलोच ने कहा कि पाकिस्तान रचनात्मक बातचीत में विश्वास करता है.
उन्होंने कहा, 'हम इस रिश्ते को समानता, सम्मान और एक-दूसरे के घरेलू मुद्दों में अहस्तक्षेप की नींव पर विकसित करना चाहेंगे.'
मुमताज बलोच का यह बयान तब आया है जब हाल ही में बाइडेन प्रशासन ने आर्थिक रूप से बदहाल पाकिस्तान की मदद के लिए यूएस कांग्रेस (अमेरिकी संसद) से 10.1 करोड़ डॉलर की राशि मांगी है. इसे लेकर राजनयिक डोनाल्ड लू ने में कहा था, 'निवेश के मामले में चीन अब इतिहास बन गया है और हम भविष्य हैं.'
इसी संबंध में पाकिस्तानी प्रवक्ता से सवाल किया गया था कि क्या पाकिस्तान को अमेरिका की नई मदद इस शर्त के साथ दी जा रही है कि वो देश में चीन के प्रभाव को कम करेगा.
पाकिस्तान के लिए अमेरिकी मदद
मंगलवार को डोनाल्ड लू ने घोषणा की थी कि बाइडेन प्रशासन ने यूएस कांग्रेस से 10.1 करोड़ डॉलर की सहायता राशि की मांग की है ताकि पाकिस्तान आतंकवाद का मुकाबला कर सके, आर्थिक बदहाली से उबर पाए और उसे कर्ज से राहत मिले.
विदेश मामलों पर यूएस हाउस समिति की एक उप समिति के समक्ष बोलते हुए लू ने कहा कि इसका मकसद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करना और वहां लोकतंत्र और मानवाधिकारों को बढ़ावा देना है.