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प्राइवेट बंकर हटेंगे, हथियार होंगे जमा.... 133 मौतों और एक महीने की जंग के बाद पाकिस्तान के दो कबीलों में समझौता

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के एक जिले में दशकों पुराने जमीन से जुड़ा झगड़ा, दो समुदायों में जंग की वजह बन गया था. कई हफ्तों तक सड़कें जाम रहीं, इस दौरान जिले में खाने की चीजों और दवाओं की कमी की भी खबरें आईं थीं.

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दो समुदायों में झड़पों के बाद समझौता (फाइल फोटो)
दो समुदायों में झड़पों के बाद समझौता (फाइल फोटो)

पाकिस्तान (Pakistan) में खैबर पख्तूनख्वा के कुर्रम जिले में सांप्रदायिक हिंसा के बीच संघर्ष विराम कराने के बाद दो पक्षों के बीच शांति समझौता हो गया है. एजेंसी के मुताबिक, खैबर पख्तूनख्वा सरकार के प्रवक्ता बैरिस्टर मुहम्मद अली सैफ ने बताया कि अलीजई और बागान जनजातियों के प्रतिनिधियों ने 14 प्वॉइंट के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें सभी निजी बंकरों को नष्ट करने और हैवी हथियार प्रशासन को सौंपने पर सहमति जताई गई है,

दोनों जनजातीय समुदायों के बीच सांप्रदायिक झड़पों के बाद 21 नवंबर से 2 दिसंबर के बीच 133 लोग मारे गए. जनजातीय परिषद के सदस्य मलिक सवाब खान ने पुष्टि की है कि दोनों पक्षों के 45 प्रतिनिधियों ने समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते में युद्धविराम, किलेबंदी को खत्म करने और हथियार प्रशासन के पास जमा करने बातें कही गई हैं.

समझौते में क्या शर्त रखी गई?

सरकारी प्रवक्ता सैफ ने बताया कि एक पक्ष ने कुछ दिन पहले शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जबकि दूसरे पक्ष ने बुधवार को हस्ताक्षर किए.

उन्होंने कहा, "हम शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए कुर्रम के लोगों को बधाई देते हैं. इससे जल्द ही जिले में रोजमर्रा की जिंदगी पूरी तरह से आसान हो जाएगी. शांति समझौता कुर्रम में शांति और समृद्धि के एक नए दौर की शुरुआत करेगा." उन्होंने आगे कहा कि ग्रैंड जिरगा (आदिवासी परिषद) शांति समझौते की दिशा में काम कर रहा है, जिससे अशांत जिले में सड़कें फिर से खुल सकेंगी.

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खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन खान गंडापुर ने समझौते पर हस्ताक्षर का स्वागत करते हुए कहा कि शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रांतीय सरकार की कोशिशों के अच्छे नतीजे सामने आए हैं. उन्होंने इसे कुर्रम में हमेशा के लिए समाधान की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है. बुधवार को जारी बयान में गंडापुर ने कहा, "मैं इस अहम बदलाव का इस्तकबाल करता हूं और सभी को बधाई देता हूं. यह समझौता स्थायी समाधान के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगा.

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जमीन को लेकर झगड़ा

दशकों पुराने जमीन से जुड़े झगड़े से उपजे संघर्षों की वजह से कई हफ्तों तक सड़कें जाम रहीं, जिसके दौरान जिले में खाने की चीजों और दवाओं की कमी की खबरें आईं. आदिवासी परिषद के सदस्य खान ने कहा कि रास्तों को फिर से खोलने और शांति स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है.

उन्होंने आगे कहा कि समझौते का उल्लंघन करने वालों को अधिकारियों को सौंप दिया जाएगा और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ बातचीत करके कानून व्यवस्था बनाए रखने की कोशिश की जाएगी. 

दोनों जनजातियों के बीच संघर्ष 22 नवंबर को पाराचिनार के पास पैसेंजर वैन के काफिले पर हमले के बाद शुरू हुआ था, जिसमें 47 लोग मारे गए थे. गंभीर रूप से घायल कई यात्रियों की मौत हो गई, जिसके बाद काफिले में मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर 57 हो गई.

 
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