एक ओर पाकिस्तान जहां अपनी सीमाओं के बाहर गुप्त जासूसी नेटवर्क चला रहा है, वहीं दूसरी ओर देश के अंदर एक गंभीर मानवीय संकट खड़ा हो गया है. उत्तर वज़ीरिस्तान के मीर अली ज़िले के हुरमज़ इलाके में सोमवार को पाकिस्तान एयर फोर्स द्वारा किए गए एक ड्रोन हमले में एक ही परिवार के चार मासूम बच्चों की मौत हो गई.
स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, यह हमला आतंकियों को निशाना बनाने के नाम पर किया गया था, लेकिन मौके से आई दर्दनाक तस्वीरों में दिखा कि हमले के वक्त बच्चे बाहर खेल रहे थे और बमबारी का शिकार बन गए. इस घटना ने पूरे इलाके में आक्रोश और शोक की लहर दौड़ा दी है और सेना की कार्यप्रणाली व नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
हत्या से विरोध प्रदर्शन को बढ़ावा
हमले वाली जगह से ली गई ग्राफिक तस्वीरें वायरल हो गई हैं, जिससे क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. हुरमुज और आस-पास के इलाकों के निवासी पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए एकत्र हुए, उन्होंने सेना पर अत्यधिक बल प्रयोग करने और आतंकवाद विरोधी अभियानों की आड़ में नागरिकों को अंधाधुंध तरीके से निशाना बनाने का आरोप लगाया.
कार्यकर्ताओं, समुदाय के नेताओं और नागरिक समाज के सदस्यों ने हमले की कड़ी निंदा की है. मानवाधिकार समूहों ने स्वतंत्र जांच की मांग की है और सेना और संघीय सरकार से जवाबदेही की मांग की है.
एक महिला और बच्चों सहित पांच लोग घायल हुए
मारे गए चार बच्चों के अलावा, हमले में एक बच्चा, एक महिला सहित पांच और नागरिक गंभीर रूप से घायल हो गए. उन्हें मीर अली के एक स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया, जहा उनका इलाज चल रहा है.
नागरिकों की मौत के सवालों से बचते नजर आए मंत्री
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हमले के बारे में सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया. जब एक पत्रकार ने मीर अली में पश्तून बच्चों की हत्या पर टिप्पणी के लिए उनसे संपर्क किया, तो वे अचानक चले गए, जिससे सरकार की चुप्पी और कथित उदासीनता पर और आलोचना हुई.
खैबर पख्तूनख्वा के राहत मंत्री हाजी नेक मुहम्मद दावर ने सोमवार को उत्तरी वजीरिस्तान में कथित ड्रोन हमले में बच्चों की मौत और महिलाओं के घायल होने की कड़ी निंदा की. फेसबुक पोस्ट में दावर ने लिखा, "मैंने केपी विधानसभा में पहले ही स्पष्ट रूप से कहा है कि सभी प्रकार के ऑपरेशन और युद्ध ऑपरेशन को नागरिक आबादी से दूर रखा जाना चाहिए, ताकि आम लोगों, खासकर मासूम महिलाओं और बच्चों को नुकसान न पहुंचे."
पाकिस्तान के डॉन अख़बार से बात करते हुए दावर ने कहा, "हम हर मंच पर अपनी आवाज उठाएंगे और जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे."
मौलाना फजलुर रहमान ने ड्रोन रणनीति पर पुनर्विचार का आह्वान किया
पाकिस्तान के जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फ़ज़ल (JUI-F) के प्रमुख मौलाना फ़ज़लुर रहमान ने भी पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में एक सत्र के दौरान इस घटना पर टिप्पणी की. उन्होंने सरकार को "सकारात्मक सलाह" दी, जिसमें सत्ताधारी प्रतिष्ठान और सेना दोनों के भीतर आत्मनिरीक्षण का आग्रह किया गया.
उन्होंने कहा, "शासकों और प्रतिष्ठान को राष्ट्र को शक्ति, आश्वासन और आत्मविश्वास देने के बारे में सोचने की ज़रूरत है. अगर आज भी वज़ीरिस्तान में ड्रोन गिरते हैं, तो हम लोगों को कैसे जवाब देंगे? ये संवेदनशील मामले हैं और इन पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए. हम इस बारे में सोचे बिना राष्ट्रीय एकता बनाए नहीं रख सकते."
उनकी टिप्पणियों से यह भावना और प्रबल हो रही है कि पहले से ही कमजोर जनजातीय क्षेत्रों में सरकार द्वारा बल प्रयोग किए जाने से समुदाय और अधिक अलग-थलग पड़ सकते हैं तथा जनता का विश्वास खत्म हो सकता है.
मीर बलूच ने भी हमले की निंदा की
प्रमुख बलूच लेखक और कार्यकर्ता मीर यार बलूच ने भी हवाई हमले की निंदा की और इसे पाकिस्तान के कट्टरपंथी सैन्य प्रतिष्ठान द्वारा की गई क्रूर कार्रवाई बताया. बलूच ने एक बयान में कहा, "इन बच्चों के सपने थे पढ़ना, हंसना, जीना. लेकिन पाकिस्तान की सेना ने उनसे उनका भविष्य छीन लिया."
उन्होंने पश्तून समुदाय के साथ एकजुटता व्यक्त की और पाकिस्तान के भीतर सभी दमित आवाज़ों से सैन्य ज्यादतियों के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया.
जासूसी के आरोपों के बीच सेना आलोचनाओं के घेरे में
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान की सेना जासूसी गतिविधियों में शामिल होने के कारण पहले से ही अंतरराष्ट्रीय जांच के घेरे में है, जिसमें भारत में जासूसी नेटवर्क चलाने की कोशिशें भी शामिल हैं. ड्रोन हमले ने आंतरिक असंतोष को और बढ़ा दिया है, विपक्षी नेताओं और मानवाधिकार अधिवक्ताओं ने सेना की अनियंत्रित शक्ति और नागरिक सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं.