पाकिस्तान के बलूचिस्तान में जबरदस्त भूकंप के बाद अरब सागर में एक नए टापू ने जन्म लिया है. भूकंप से अरब सागर में हलचल शुरू हुई और कुछ ही सेकेंड बाद वहां एक टापू दिखने लगा.
जिस टापू की तस्वीर आप ऊपर देख रहे हैं, उसने बुधवार को ही अपनी पहली सुबह देखी है. इस टापू को अभी कोई नाम नहीं मिला है, लेकिन इसकी चर्चा दुनिया भर में है. यह पाकिस्तान के सबसे चर्चित बंदरगाह ग्वादर से महज 350 फीट दूर है. इसका क्षेत्रफल 40 वर्गफीट है और वैज्ञानिकों के लिए यह कई बड़े बदलावों का इशारा है.
नक्शे पर नए सदस्य की दावेदारी
मंगलवार शाम 5 बजे पाकिस्तान के बलूचिस्तान में 7.8 की तीव्रता का भूकंप आया, जिससे हजारों किलोमीटर दूर भारत के कई शहर भी कांप उठे. भूकंप का केंद्र धरती की सतह से करीब 15 किलोमीटर नीचे था. कुदरत की विनाशलीला में 80 लोगों की मौत हो गई.
दहशत और मातम के इसी माहौल में अरब सागर अपने भीतर मची हलचल से जूझ रहा था. कुछ सेकेंड की उथल-पुथल के बाद सागर की लहरों पर एक नई आकृति उभरने लगी. देखते ही देखते करीब 40 वर्गफीट जमीन अरब सागर के नक्शे पर अपनी जगह और पहचान बना चुकी थी. धरती के नक्शे पर एक नया सदस्य अपनी दावेदारी पेश कर चुका था.
खतरे की घंटी तो नहीं
भूकंप के केंद्र बलूचिस्तान के अवारन से इस टापू तक की भौगोलिक स्थितियों का विश्लेषण अभी बाकी है. टापू का बनना लोगों के लिए भले ही एक दिलचस्प घटना हो, लेकिन बलूचिस्तान में आया भूकंप, भूगर्भशास्त्रियों के लिए ये किसी बड़े बदलाव की आहट हो सकती है. जमीन के ऊपर उठने का मतलब है, जलस्तर बढ़ना और यह तटीय शहरों के लिए खतरे की घंटी भी हो सकता है.
कुल मिलाकर कहानी अभी बहुत दूर तक जानी है. नामकरण के साथ-साथ इस नन्हे-मुन्ने टापू की पूरी कुंडली तैयार होनी है.