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अफगानी मासूमों की ये 10 कब्रें चीख-चीखकर पाकिस्तानी हैवानियत की गवाही दे रही हैं!

अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत के गुरबुज जिले में गम और गुस्सा है. 10 कब्रें एक साथ खोदी गईं और इनमें मासूमों को सुपुर्द-ए-खाक किया गया. अफगानियों ने कहा कि अब अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को चुप नहीं रहना चाहिए, अब वे कोई भी कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं.

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पाकिस्तान के हमले में 10 अफगानियों की मौत हुई है. (Photo: AP)
पाकिस्तान के हमले में 10 अफगानियों की मौत हुई है. (Photo: AP)

अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत में छोटी-छोटी 10 कब्रें कतार से खोदी गई हैं. थोड़ी ही देर में यहां गमजदा लोगों का हुजूम उमड़ गया. 10 मासूमों के जनाजे यहां पहुंचे. इनमें से तो सैमुल्लाह की बेटी आलिया मात्र एक महीने की थी और नूर असलम का बेटा मोहिबुल्लाह मात्र 16  महीने का था.  रोते-चीखते, दहाड़ें मारते लोग कभी गुस्से से उबल रहे थे तो कभी मासूमों के जनाजों पर सिर पटक रहे थे. 

दुख और दर्द में भरे इन लोगों का गुस्सा पाकिस्तान सेना के खिलाफ है. पाकिस्तानी वायुसेना ने 25 तारीख की आधी रात को खोस्त प्रांत के गुरबज जिले में एयर स्ट्राइक किया था. इस हमले में एक ही परिवार के 10 लोग मारे गए. इनमें 9 तो बच्चे हैं. 

महीने भर की बच्ची को जालिमों ने मारा

पाकिस्तान की ओर से आधी रात को सो रहे लोगों पर किए गए हमले में बड़ी दर्दनाक कहानी सामने आई है. इस हमले में नूर असलम नाम के अफगानी नागरिक के 7 बच्चे मारे गए हैं. इनमें 16 महीने का मोहिबुल्लाह, 3 वर्ष का होजबुल्लाह, 5 वर्ष का शम्सुल्लाह, 7 साल का असदुल्लाह, 13 वर्ष का दादुल्लाह, और 11 साल की बेटी पलवासा और 7 पर्ष की दूसरी बेटी आइसा शामिल हैं. 

इसके अलावा इसी परिवार के समीउल्लाह की 3 साल की बेटी आसिया और 1 महीने की बेटी आलिया भी इस हमले में मारी गई है. पाकिस्तान के हमले में 35 साल की जनत खेल की बेटी रजिया की भी मौत हो गई है.

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इनमें से कोई भी दहशतगर्द नहीं था. ज्यादातर तो बच्चे ही थे. जो अपने घरों के अंदर सोते हुए मारे गए.  

गुरबज जिले का भूगोल

गुरबुज जिला अफगानिस्तान के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित खोस्त प्रांत का एक जिला है. यह प्रांत की दक्षिणी सीमा पर बसा हुआ है. भौगोलिक रूप से यह पश्चिम में तानी जिले, उत्तर में मंडोजई और खोस्त जिलों से घिरा है, जबकि पूर्व और दक्षिण में पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वा प्रांत सीमा साझा करता है. यह क्षेत्र पहाड़ी और जंगली इलाकों से युक्त है, जो अफगान-पाक सीमा के निकट होने के कारण रणनीतिक महत्व रखता है.

गम और गुस्से के बीच मासूम बच्चों को दफनाया गया. (Photo: AP)

खोस्त प्रांत की कुल जनसंख्या लगभग 6.48 लाख है. इसमें गुरबुज जिला भी शामिल है. जहां 99 प्रतिशत पश्तून जातियां रहती है, ये लोग सुन्नी इस्लाम का पालन करते हैं.

अफगानिस्तान की मीडिया एजेंसी टोलो न्यूज के अनुसार  पीड़ित के रिश्तेदार शरियत खान ने कहा, "कल रात की बमबारी में सिर्फ़ एक बच्चा और एक बच्ची ही जिंदा रह पाए, इस परिवार के बाकी सभी सदस्य कुल दस शहीद हो गए." 

चश्मदीदों ने बताया कि हमला रात में हुआ जब गुरबुज जिले के लोग सो रहे थे.

पाक हमले में पूरा घर मलबे में बदल गया. (Photo: AP)

घटना के एक गवाह वलीउर रहमान ने कहा, "बमबारी आधी रात को हुई. जब हम पहुंचे तो शहीदों और घायलों की लाशें मलबे में दबी हुई थीं. दस लोग मारे गए और तीन दूसरे घायल हो गए."

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कोई भी कुर्बानी देने को तैयार

पीड़ितों के रिश्तेदारों ने बेगुनाह आम लोगों को निशाना बनाने वालों को 0इंसानियत और इंटरनेशनल उसूलों का उल्लंघन बताया और दुनिया भर की संस्थाओं से अपील की कि वे इंसानियत के खिलाफ ऐसे जुर्मों के सामने चुप न रहें.

पीड़ितों के रिश्तेदारों में से एक अब्दुल अलीम ने कहा, "जब भी पाकिस्तान इस इलाके में बमबारी करता है, तो आम लोग ही निशाना बनते हैं. हम इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हैं और इंटरनेशनल कम्युनिटी से बेगुनाह लोगों की जान जाने के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराने की अपील करते हैं."

पीड़ितों के एक और रिश्तेदार अकबर जान ने कहा, "पाकिस्तान हम पर रॉकेट और बम गिराता है, फिर भी झूठा दावा करता है कि हम उनकी सेना को कथित डूरंड लाइन के पार भेज रहे हैं. यह बर्ताव शर्मनाक है. लेकिन अगर ये हरकतें जारी रहीं, तो हम कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं."

पाकिस्तान की बेशर्मी 

इस बीच पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान अफगान तालिबान को खारिज कर रहा है और उसे इस ग्रुप से कोई और अच्छी उम्मीद नहीं है, जबकि लगातार तनावपूर्ण रिश्ते कम होने का कोई संकेत नहीं दे रहे हैं. 

पाक हमले में मारे गए बच्चों के कपड़े दिखाता अफगानी नागरिक. (Photo: AP)

ख्वाजा आसिफ से जब पूछा गया कि क्या पाकिस्तान इस हमले की जिम्मेदारी लेने से बच रहा है? इस पर ख्वाजा आसिफ ने कहा, "इस समय दोनों चीजें नहीं हैं. हम रिएक्ट करते हैं और जवाबी कार्रवाई करते हैं, लेकिन आम लोगों को हमारा तरीका बिल्कुल नहीं है. हमारे पास एक डिसिप्लिन्ड फोर्स है जिसके अपने ट्रेडिशन और कोड ऑफ़ कंडक्ट हैं; हम तालिबान जैसे कोई बिखरे हुए ग्रुप नहीं हैं, जिनका न तो कोई कोड ऑफ़ कंडक्ट है, न धर्म और न ही ट्रेडिशन."

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बता दें कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच शांति बहाली की तीन कोशिशें फेल हो चुकी हैं.

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