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एक न्यूक्लियर स्टेट में सफल सैन्य ऑपरेशन! क्यों इतिहास के पन्नों में अलग से दर्ज होगा 'ऑपरेशन सिंदूर?

ऑपरेशन सिंदूर अपने तरह का पहला ऑपरेशन है जिसके जरिए भारत ने संकेत दिया है कि उसने आतंकियों और पाकिस्तान सरकार की सांठगांठ को देख लिया है. पाकिस्तान ने तीन दशक से भी अधिक समय से आतंकियों के जरिए भारत के खिलाफ एक छद्म युद्ध छेड़ रखा था और हमला उसी का बदला था.

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हर बार परमाणु हमले की धमकी देने वाले पाकिस्तान को इस बार भारत ने सबक सिखा दिया है (Photo- Reuters)
हर बार परमाणु हमले की धमकी देने वाले पाकिस्तान को इस बार भारत ने सबक सिखा दिया है (Photo- Reuters)

12 मई को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया. 22 मिनट तक चला उनका भाषण उनकी विरासत को परिभाषित करेगा. पाकिस्तान के आतंकवादी और सैन्य ढांचे के खिलाफ भारतीय वायुसेना के हवाई हमलों के 72 घंटे बाद बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि कैसे ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक नया नॉर्मल स्थापित किया है. 

उन्होंने कहा, 'भारत के ड्रोन और मिसाइलों ने सटीक हमला किया. पाकिस्तानी एयरबेस को नुकसान पहुंचाया और पहले तीन दिनों में उन्हें अकल्पनीय क्षति पहुंचाई.'

प्रधानमंत्री मोदी ने स्टेट स्पॉन्सर आतंकवाद से निपटने के लिए तीन-आयामी रणनीति की बात की जिसमें हर तरह के आतंक का मुंहतोड़ जवाब, आतंक के स्पॉन्सरों और आतंकिवादियों के बीच कोई अंतर न करना और परमाणु ब्लैकमेल की आड़ में विकसित हो रहे आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमला करना शामिल है. 

ऑपरेशन सिंदूर अपने तरह का पहला ऑपरेशन है. इसके जरिए भारत ने संकेत दिया है कि उसने भारत पर हमला करने के लिए आतंकवादियों का इस्तेमाल करने की पाकिस्तानी सेना की धोखेबाजी को देख लिया है. पाकिस्तान में भारत के हमले 22 अप्रैल को पहलगाम में 26 भारतीय पर्यटकों के नरसंहार के बाद शुरू हुए थे. लेकिन तीन दशक से अधिक समय से पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ जो छद्म युद्ध छेड़ रखा है... हमला उसी युद्ध का बदला था.

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काम नहीं आई पाकिस्तान की परमाणु हमले की धमकी, भारत ने सिखा दिया सबक

ऑपरेशन सिंदूर भारत का पहला क्रॉस-बॉर्डर आतंकवाद विरोधी मिशन है जिसमें तीनों सेनाओं ने हिस्सा लिया. सेना ने एलओसी पर हमला किया, वायु सेना ने पाकिस्तान के अंदर टार्गेट्स पर हमला किया और भारतीय नौसेना के एक करियर बैटल ग्रुप को कराची के दक्षिण से हमला करने के लिए तैनात किया गया. 

भारत के हमलों में 100 आतंकवादी मारे गए और पाकिस्तान की परमाणु हमले की धमकी कोई काम नहीं आई. और यही कारण है कि ऑपरेशन सिंदूर एक ऐतिहासिक घटना है- जिसे सैन्य रणनीतिकार दशकों तक स्टडी करेंगे. 

भारत वायु सेना के जरिए किसी दूसरे परमाणु शक्ति पर हमला करने वाला पहला परमाणु देश बन गया है. परमाणु हथियारों का इस्तेमाल सिर्फ एक बार किया गया है, जब अमेरिका ने अगस्त 1945 में जापानी शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर बमबारी की थी. 

उसके बाद हुए शीत युद्ध में, सोवियत संघ रूस और अमेरिका दोनों ने 70,000 से ज्यादा परमाणु हथियार रखे थे जिन्हें हमेशा अलर्ट मोड में रखा जाता था. लड़ाई कहीं परमाणु हथियारों की लड़ाई में न बदल जाए इसी वजह से दोनों महाशक्तियों ने कभी सैन्य लड़ाई नहीं लड़ी. इसके बजाए उन्होंने वियतनाम और अफगानिस्तान में छद्म युद्ध लड़ा.

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परमाणु हथियार संपन्न देशों के बीच सैन्य टकराव इससे पहले सिर्फ दो बार हुआ है. 1969 में चीन-सोवियत सीमा युद्ध और 1999 में कारगिल में भारत-पाकिस्तान युद्ध. दोनों ही संघर्ष सीमा तक ही सीमित थे. दोनों पक्षों की वायु सेनाओं ने तनाव बढ़ने के डर से सीमा पार नहीं की.

भारत और पाकिस्तान, जिन्होंने 1947 से तीन युद्ध लड़े थे, ने 1998 में परमाणु हथियारों का परीक्षण किया, ताकि वे खुले तौर पर परमाणु हथियार संपन्न देश बन सकें.

भारत के परमाणु हथियार प्रोग्राम को उसके प्रधानमंत्रियों की देखरेख में बनाया गया. वहीं, पाकिस्तान में 1976 में जनरल जिया के नेतृत्व में सेना ने तख्तापलट कर दिया जिसके बाद के बाद परमाणु प्रोग्राम भी सेना के हाथ में आ गया. पाकिस्तान ने पांच साल पहले 1971 में पहली बार परमाणु विखंडन में सफलता हासिल की थी. पाकिस्तान ने परमाणु बम इसलिए बनाया ताकि उसे भविष्य में भारत से अपनी जमीन न खोनी पड़े.

लेकिन आगे चलकर, उसके परमाणु हथियार उन आतंकवादी छद्म समूहों के लिए मददगार बन गए, जिन्हें पाकिस्तानी सेना ने 1979-1988 के अफगान युद्ध के बाद पालना शुरू किया था. 

अमेरिका की आंखों में धूल झोंक पाकिस्तान पालता रहा आतंकी

पाकिस्तान ने अमेरिका के वैश्विक आतंक युद्ध (Global War On Terror) के दौरान इस दोहरे खेल को बड़े ही निपुणता से अंजाम दिया. अमेरिका ने आतंक के खिलाफ वैश्विक लड़ाई 9/11 के आतंकवादी हमलों के बाद शुरू किया जिसमें 2,977 लोग मारे गए थे. 

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2001 से 2021 के बीच पाकिस्तान ने अमेरिका को बेवकूफ बनाया. अमेरिका ने आतंक के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान को फ्रंटलाइन देश बनाया था लेकिन पाकिस्तान इसी आड़ में तालिबान और अलकायदा को पनाह देता रहा जो अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों को मार रहे थे.

इस दौरान पाकिस्तान ने भारत के साथ और गंदा खेल खेलने की कोशिश की. पाकिस्तानी जनरलों ने धमकी दी कि अगर भारत की सेना पाकिस्तान पर हमला करती है तो पाकिस्तान को परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.

पाकिस्तान का परमाणु परीक्षण और कारगिल युद्ध

जनरल मुशर्रफ ने 1999 में कारगिल की चोटियों पर कब्जा करने के लिए अपनी उत्तरी लाइट इन्फैंट्री की तीन ब्रिगेड भेजीं. 1998 के परमाणु परीक्षणों के लगभग एक साल बाद यह दुस्साहसिक घुसपैठ हुई. वाजपेयी ने घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए भारतीय सेना भेजी, लेकिन अपनी सेना को नियंत्रण रेखा या अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने से मना किया.

दिसंबर 2001 में, पाकिस्तान स्पॉन्सर्ड जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने भारत की संसद पर हमला कर दिया लेकिन वाजपेयी ने कभी सीमा पार करने का आदेश नहीं दिया. ऑपरेशन पराक्रम छह महीने बाद खत्म कर दिया गया.

ऑपरेशन पराक्रम की एक ब्रीफिंग में चिंतित वाजपेयी ने भारतीय सैन्य अधिकारियों से कहा था, 'उनके पास बम हैं…' और संसद हमले में संलिप्तता के बाद भी पाकिस्तानी सेना बिना सजा के बच निकली. 

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प्रधानमंत्री वाजपेयी ने 10 मई 1998 को भारतीय परमाणु हथियार परीक्षणों का आदेश दिया जिसके बाद भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचना का सामना करना पड़ा. लेकिन पाकिस्तान के पास परमाणु हथियारों की बैकिंग वाला ऐसा आतंकी गिरोह था जिसका जवाब वाजपेयी के पास भी नहीं था.

पाकिस्तान में घुसकर भारत ने दिया जवाब

लेकिन दशकों की पाकिस्तान की इस धमकी को 7 मई 2025 को जवाब दे दिया गया. भारतीय वायुसेना के विमान गोला-बारूद लेकर रात से समय ही पाकिस्तान के अंदर घुसे. एक तरफ जहां भारत की ब्रह्मोस मिसाइलें ध्वनि की गति से तीन गुना तेजी से जैश-ए-मोहम्मद के मुख्याल को टार्गेट कर रही थीं, वहीं, नीचे जमीन पर भारत और पाकिस्तान की सेना लड़ रही थी. 

21वीं सदी की सबसे बड़ी एक दिन की लड़ाई में भारत ने सैकड़ों मिसाइलों से पाकिस्तान के अंदर हमला किया. 48 घंटे बाद पाकिस्तान ने भारतीय हवाई ठिकानों पर ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों की बौछार के साथ जवाब दिया. पाकिस्तान ने राजधानी दिल्ली से 258 किमी दूर हरियाणा के सिरसा एयरबेस पर कम से कम एक फतह-2 बैलिस्टिक मिसाइल दागी. सीमाएं पार हो गई थीं क्योंकि इससे पहले एक परमाणु हथियार संपन्न देश ने कभी किसी अन्य परमाणु हथियार संपन्न देश पर बैलिस्टिक मिसाइल नहीं दागी थी.

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पाकिस्तान का यह हमला भारतीय वायुसेना के लिए ऑपरेशन सिंदूर के तीसरे चरण को शुरू करने का कारण बना. 10 मई को सुबह होने से पहले भारत ने नब्बे मिनट तक पाकिस्तान में तबाही मचाई.

भारत ने रणनीतिक मैसेजे देते हुए GHQ-रावलपिंडी, चकलाला एयरबेस, जो पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को संभालने वाले स्ट्रैटेजिक प्लान्स डिविजन के मुख्यालय के करीब है और किराना हिल्स परिसर के पास सरगोधा एयरबेस, जहां पाकिस्तानी सेना अपने परमाणु हथियार रखती है- को भी निशाना बनाया गया. शायद इसी वजह से पाकिस्तान ने अमेरिकी मध्यस्थता के लिए हाथ बढ़ाया. भारत और पाकिस्तान दोनों ने 10 मई को लड़ाई खत्म करने पर सहमति जताई.

'भारत ने पाकिस्तान के दिल पर हमला किया'

प्रधानमंत्री मोदी के 12 मई के बयान से यह साफ हो गया कि ऑपरेशन पराक्रम जैसी बातें अब इतिहास की बातें हैं. उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान ने सीमा पर हमले की तैयारी की थी, लेकिन भारत ने पाकिस्तान के दिल पर हमला किया.'

भारतीय अधिकारियों का कहना है कि 10 मई को भारतीय वायुसेना के हमलों से पाकिस्तानी वायुसेना के 20% बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा और 50 सैन्यकर्मियों की मौत हो गई. इस कारण पाकिस्तानी वायुसेना को अपने पीछे के ठिकानों पर वापस लौटना पड़ा और हाइवे से युद्ध संचालन को सक्रिय करना पड़ा.

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पाकिस्तानी सेना के अकाउंटेंट्स पिछले 72 घंटों में सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर को हुए नुकसान का हिसाब लगा रहे होंगे. इसके सैन्य बुनियादी ढांचे को हुआ नुकसान संभवतः 9 मई को पाकिस्तान को दिए गए IMF के 1 अरब डॉलर (8,500 करोड़ भारतीय रुपये या 28,000 करोड़ पाकिस्तानी रुपये) के कर्ज से भी अधिक होगा.

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