बीते साल मई में भी येति एयरलाइंस का विमान हादसे का शिकार हुआ, जिसमें सभी 22 लोगों की मौत हो गई. पोखरा से नेपाल के ही टूरिस्ट प्लेस जमसम जा रही फ्लाइट के क्रैश होने का जिम्मेदार खराब मौसम को बताया गया. लेकिन ये अकेला मामला नहीं. एविएशन सेफ्टी नेटवर्क डेटाबेस के मुताबिक बीते एक दशक में ये 19वां हादसा है, जिसमें से 10 हादसे जानलेवा साबित हुए. इसकी वजह से नेपाल उन देशों में गिना जाने लगा, जो विमान यात्रा के लिए सेफ नहीं.
बेहद खतरनाक लैंडस्केप
साल 2019 में नेपाल सिविल एविएशन अथॉरिटी ने खुद एक सेफ्टी रिपोर्ट जारी की, जिसमें उन्होंने माना कि देश की टोपोग्राफी यानी भौगोलिक बनावट जैसी है, वो विमान उड़ाने में दिक्कत करती है. पूरी दुनिया में जो 14 सबसे ऊंचे पहाड़ हैं, उनमें से 8 पर्वत इसी छोटे से देश में हैं. एवरेस्ट भी इनमें से एक है. ये सैलानियों को तो आकर्षित करता है, लेकिन उतना ही खतरनाक भी है, खासकर उड़ने के लिए. खराब मौसम में ये मुश्किल और बढ़ जाती है.
छोटे विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने का ज्यादा डर
पहाड़ों के बीच बसी जगहों पर जाने के लिए नेपाल एविएशन छोटे हवाई जहाजों पर ज्यादा भरोसा करता है. इससे उड़ान भरने और लैंडिंग में ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती. हालांकि ये भी मुसीबत की एक वजह है. सिविल एविएशन मिनिस्ट्री की मानें तो 19 सीटर या इतनी ही क्षमता वाले विमानों के जल्दी असंतुलित होने और हादसे का शिकार होने की ज्यादा आशंका रहती है.

नेपाल का तेनजिंग हिलेरी एयरपोर्ट, जिसे लुक्ला भी कहते हैं, दुनिया के सबसे भयानक एयरपोर्ट्स में गिना जाता है. हिमालय की बर्फीली चोटियों में माउंट एवरेस्ट के पास बना ये एयरपोर्ट 9,325 फीट की ऊंचाई पर है. काफी छोटा रनवे होने के कारण यहां छोटे विमान ही उतर सकते हैं. इसमें भी एक ओर पहाड़ियां हैं और दूसरी तरफ गहरी खाई है. यही वजह है कि उत्तर-पूर्वी नेपाल के इस एयरपोर्ट को दुनिया का सबसे खतरनाक एयरपोर्ट कहते हैं.
सेफ्टी स्टैंडर्ड पर भी सवाल
नेपाल में चेतावनी के बाद भी लगातार पुराने एयरक्राफ्ट ही काम में लाए जा रहे हैं. खराब मौसम के दौरान ये भरोसेमंद नहीं रहते. यही देखते हुए कुल साल पहले इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइजेशन ने नेपाल से साझेदारी की ताकि वहां विमान दुर्घटनाओं को रोका जा सके. इसके बाद से सेफ्टी स्टैंडर्ड तो बढ़े, लेकिन हादसे तब भी हो रहे हैं.
इंडोनेशिया विमान हादसों में नेपाल से भी आगे
एविएशन सेफ्टी नेटवर्क का ही डेटा बताता है कि इस देश में अब तक 104 विमान हादसे हो चुके. जनवरी 2021 में हुए बड़े हादसे में क्रू सदस्यों समेत सभी 62 यात्रियों की मौत हो गई. अक्टूबर 2018 में भी ऐसी ही दुर्घटना में 189 लोगों की मौत हो गई थी. इंडोनेशियाई एविएशन इंडस्ट्री पर इसके बाद से लगातार सवाल उठने लगे, साथ ही इस देश को बेहद खूबसूरती के बावजूद हवाई यात्रा के लिए सबसे खतरनाक माना जाने लगा.

ज्वालमुखी विजिबलिटी कम करते हैं
दुनिया में सबसे ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखियों का होना भी विमान हादसे की वजहों में गिना जाता रहा. इस देश में कुल 121 वॉल्केनो हैं, जिसमें से ज्यादातर एक्टिव हैं. ये कभी भी फट पड़ते हैं और आसमान में धूल का गुबार छा जाता है. ये धूल फ्लाइट के इंजन में जाकर उसमें बाधा डाल सकती है. साल 2019 में माउंट आगुंग ज्वालामुखी में विस्फोट के बाद बाली द्वीप के दक्षिण से कुछ समय के लिए सारी उड़ानें कैंसल कर दी गई थीं.
विमान दुर्घटनाओं के लिए तकनीकी खराबी के अलावा अक्सर खराब मौमस की बात होती है. इंडोनेशिया में खराब मौसम लगभग रोज की बात है. दुनिया के सबसे ज्यादा द्वीपों से बने इस देश में लगातार समुद्री तूफान आते हैं और बिजली कड़कती रहती है. ये कभी भी हो जाता है. इंडोनेशियाई एविएशन इसे भी अपने यहां हादसों का कारण बताता रहा.