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'मोदी सरकार ने बिल्कुल ठीक किया', किस बात पर बोले मनमोहन सिंह?

मनमोहन सिंह ने अपने हालिया इंटरव्यू में कई मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी है. भारत की जी-20 मेजबानी को लेकर उन्होंने कहा है कि उनके जीवनकाल में यह आयोजन हो रहा है जिसे लेकर वो काफी खुश हैं. वहीं, रूस-यूक्रेन युद्ध और जी-20 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के न आने पर भी उन्होंने टिप्पणी की है.

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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कई मुद्दों पर खुलकर बात की है (Getty Images)
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कई मुद्दों पर खुलकर बात की है (Getty Images)

जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत का रुख, जी-20 की मेजबानी, चीन के साथ सीमा विवाद और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के जी-20 में न आने समेत कई मुद्दों पर खुलकर बात की है. महमोहन सिंह ने रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत के रुख को उचित ठहराते हुए कहा है कि भारत ने शांति की अपील करते हुए अपने आर्थिक हितों और संप्रभुता को प्राथमिकता देकर बिल्कुल ठीक काम किया है. वहीं, जी-20 की मेजबानी को लेकर मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत उनके जीवनकाल में जी-20 की मेजबानी कर रहा है, जिसे लेकर उन्हें खुशी है. 

रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर क्या बोले महमोहन सिंह?

मनमोहन सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत के रुख को सही ठहराते हुए कहा, 'रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर, नई विश्व व्यवस्था को संचालित करने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है. भारत ने शांति की अपील करते हुए अपनी संप्रभुता और आर्थिक हितों को प्राथमिकता देकर सही काम किया है.'

जी-20 से पहले भारत के भविष्य पर बात करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि वो भारत के भविष्य को लेकर चिंतित होने से ज्यादा आशावादी हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य को लेकर यह आशावाद इस बात पर निर्भर करता है कि भारत एक सौहार्दपूर्ण समाज बने.

'मुझे खुशी है कि जी-20...'

मनमोहन सिंह साल 2004- 2014 तक, दस साल भारत के प्रधानमंत्री रहे जिस दौरान उन्होंने कई जी-20 शिखर सम्मेलनों में हिस्सा लिया. इंटरव्यू के दौरान उनसे पूछा गया कि अब घरेलू राजनीति में विदेश नीति की भूमिका बदली है अथवा बढ़ी है?

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जवाब में उन्होंने कहा, 'मुझे बहुत खुशी है कि रोटेशन के तहत जी-20 की अध्यक्षता भारत को मिली है और यह मेरे जीवनकाल में ही हो रहा है. विदेश नीति भारत के शासन ढांचे का एक अहम हिस्सा रहा है लेकिन यह कहना उचित होगा कि विदेश नीति आज घरेलू राजनीति के लिए पहले की तुलना में और भी अधिक प्रासंगिक और महत्वपूर्ण हो गई है.'

Photo- Reuters

मनमोहन सिंह ने कहा कि दुनिया में भारत की स्थिति भारत की घरेलू राजनीति का मुद्दा होना चाहिए लेकिन पार्टी या व्यक्तिगत राजनीति के लिए कूटनीति और विदेश नीति के इस्तेमाल में संयम बरतना चाहिए.

बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत की स्थिति पर बात करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष, पश्चिमी देशों और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बाद अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था अब बहुत अलग हो गई है. इस नई विश्व व्यवस्था को चलाने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है. आजादी के बाद से हमने जिन संवैधानिक मूल्यों को अपनाया, उससे एक शांतिपूर्ण लोकतंत्र कायम हुआ और एक बड़ी और बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में भारत को विश्व स्तर पर बहुत अधिक सम्मान हासिल है.

रूस और पश्चिम के बीच भारत के संतुलन बनाने पर क्या बोले मनमोहन सिंह?

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाकर उसे अलग-थलग करने की पूरी कोशिश की है. हालांकि, भारत ने पश्चिमी गुट में शामिल होने के बजाए शांति की अपील करते हुए रूस के साथ अपने व्यापारिक, राजनयिक संबंधों को जारी रखा.

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राष्ट्रीय हितों को देखते हुए भारत ने रूस से तेल की खरीद रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ा दी. पहले तो पश्चिमी देशों ने भारत के इस कदम का विरोध किया लेकिन भारत के ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के तर्क के बाद उन्हें समझ आ गया कि भारत किसी तरह के दबाव में आने वाला नहीं है.

भारत ने रूस के साथ अपने संबंधों को बरकरार रखते हुए अमेरिका समेत सभी पश्चिमी देशों के साथ संबंधों को मजबूत किया है. जी-20 शिखर सम्मेलन में भी भारत संतुलन बनाने की पूरी कोशिश करेगा. 

संतुलन बनाने की भारत की कोशिशों की तारीफ करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा, 'जब दो या दो से अधिक शक्तियां किसी संघर्ष में उलझ जाती हैं तो बाकी के देशों पर किसी एक पक्ष को चुनने का भारी दबाव होता है. मैं मानता हूं कि भारत ने शांति की अपील करते हुए अपनी संप्रभुता और आर्थिक हितों को प्राथमिकता देकर सही काम किया है. जी-20 सुरक्षा से जुड़े संघर्ष को सुलझाने का मंच कभी नहीं रहा. यह जरूरी है कि जी-20 सुरक्षा मुद्दों को परे रखते हुए जलवायु, असमानता और वैश्विक व्यापार के क्षेत्र में सहयोग पर फोकस रखे.'

Photo- Reuters

भारत-चीन तनाव पर भी बोले मनमोहन सिंह?

भारत और चीन ब्रिक्स के साथ-साथ जी-20 के सदस्य हैं. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में तो हिस्सा लिया था लेकिन वो जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले रहे हैं. दोनों देशों के बीच का सीमा विवाद उनके न आने की एक वजह बताई जा रही है.

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पिछले कुछ सालों से भारत चीन के बीच नियंत्रण रेखा पर तनाव का माहौल है. अभी हाल ही में चीन ने एक नक्शा जारी कर विवाद को और बढ़ा दिया है. चीन ने अपने नए नक्शे में अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों और अक्साई चिन को अपना हिस्सा बताया जिस पर भारत ने सख्त आपत्ति जताई थी. इसी तनाव के बीच चीन ने कह दिया कि शी जिनपिंग जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने भारत नहीं आ रहे बल्कि उनकी जगह चीन के प्रीमियर ली केचियांग भारत आएंगे.

इस तनाव पर बात करते हुए मनमोहन सिंह से पूछा गया कि वो नरेंद्र मोदी सरकार को भारत-चीन रिश्तों को लेकर क्या सलाह देना चाहेंगे?

जवाब में मनमोहन सिंह ने कहा, 'प्रधानमंत्री जटिल राजनयिक समस्याओं से कैसे निपटें, इस संबंध में मेरा उन्हें सलाह देना उचित नहीं होगा. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि चीनी राष्ट्रपति ने जी-20 शिखर सम्मेलन में नहीं आने का फैसला किया है. मुझे विश्वास है और मैं आशा करता हूं कि प्रधानमंत्री भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे और द्विपक्षीय रिश्तों को सामान्य करेंगे.'

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