इजरायल और हमास में जंग के बीच 12वें दिन पूरा सैनेरियो चेंज होते दिखने लगा है. मंगलवार शाम गाजा में एक ऐसी घटना हुई, जिससे हर किसी की रूह कांप गई. मध्य गाजा के अल अहली अस्पताल में रॉकेट अटैक में 500 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. आरोप है कि ये अटैक इजरायल ने किया है. हालांकि, इजरायल का दावा है कि इसमें उसका हाथ नहीं है. हमास के लड़ाकों का ही रॉकेट दिशा भटका और अस्पताल में आकर जा गिरा. वहीं, इस घटना से पूरी दुनिया में दुख जताया जा रहा है. क्योंकि अस्पताल में ज्यादातार लोग शरण लिए छिपे थे. इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का आज इजरायल दौरा भी प्रभावित हो गया है.
दरअसल, बाइडेन आज इजरायल और मिडिल ईस्ट दौरे पर पहुंच रहे हैं. उनकी विजिट का मकसद युद्ध में इजरायल के प्रति समर्थन दर्शाना है. इसके अलावा, गाजा पट्टी में मानवीय मदद पहुंचाने के उपाय खोजना है. बाइडेन को जॉर्डन भी जाना है. वहां किंग अब्दुल्ला द्वितीय, इजिप्ट के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल सीसी के साथ वार्ता प्रस्तावित है. पहली बैठक में फिलिस्तीन प्रशासक प्रमुख मोहम्मद अब्बास को भी शामिल होना था. लेकिन, इस हमले के बाद बाइडेन का प्लान पूरी तरह फेल हो गया है. खबर है कि जॉर्डन ने किंग अब्दुल्ला, सीसी, अब्बास के साथ समिट को रद्द कर दिया है. यानी तीनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष ने बाइडेन से मुलाकात करने से साफ इनकार कर दिया है.
'इस्लामिक जिहाद का रॉकेट ही अस्पताल पर गिरा'
बता दें कि मंगलवार को हमास ने दावा किया है कि गाजा शहर के अल-अहली बैपटिस्ट अस्पताल पर इजरायल ने रॉकेट अटैक किया है, जिसमें 500 लोगों की मौत हो गई है. हालांकि, इजरायल का कहना है कि इसका जिम्मेदार इस्लामिक जिहाद है. क्योंकि फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद की ओर से दागा गया रॉकेट ही अस्पताल पर गिरा. इसमें इजरायल की कोई भूमिका नहीं है. वहीं, अचानक हुए हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की मिडिल ईस्ट की पहले से ही मुश्किल यात्रा पूरी तरह से फेल हो गई है.
'जब एयरपोर्ट के रास्ते में थे बाइडेन, तब समिट रद्द होने की खबरें आई'
हमले के बाद फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने बाइडेन के साथ प्रस्तावित बैठक को तुरंत रद्द कर दिया. फिर जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला ने समिट को रद्द कर दिया, जिसमें बाइडेन को मिस्र और फिलिस्तीनी नेताओं के साथ बैठकर बातचीत करनी थी. बताते चलें कि बाइडेन अपनी एक दिवसीय यात्रा के दौरान तेल अवीव और जॉर्डन में उतरने वाले थे. अब वो सिर्फ इजरायल का दौरा करेंगे. यह घोषणा व्हाइट हाउस ने तब की, जब वो दौरे पर जाने के लिए एयरपोर्ट के रास्ते में थे.
'इजरायल को ईरान और तुर्की लगातार दे रहे हैं चेतावनी'
इससे पहले इजरायल-हमास युद्ध को लेकर दुनिया को दो हिस्सों में बंटा देखा जा रहा है. जंग के बीच तुर्की और ईरान ने इजरायल को सीधे तौर पर चेतावनी दी है. ये दोनों देश खुले तौर पर फिलिस्तीन के साथ खड़े हैं और इजरायल से कहा है कि अगर गाजा में हमले नहीं रोके गए तो युद्ध कई मोर्चे से शुरू हो जाएगा. इसके परिणाम इजरायल को भुगतने होंगे. इससे पहले तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा था, स्वतंत्र फिलिस्तीन बनने से ही शांति आएगी. तुर्की ने फिलिस्तीन की स्वतंत्रता की वकालत की है. उधर ईरान के राष्ट्रपति ने फिलिस्तीन को बधाई दी थी. इतना ही नहीं, तुर्की और ईरान ने इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) और संयुक्त राष्ट्र से संयुक्त प्रयास की अपील की थी.
इस जंग में दोनों ओर से 4200 से ज्यादा लोगों की जान गई है. इसमें 1400 इजरायली नागरिक मारे गए हैं. जबकि करीब 2,700 से ज्यादा फिलिस्तीनी नागरिकों की जान गई है.
बाइडेन ने मारे गए लोगों के प्रति संवेदनाएं जताईं
व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बताया कि बाइडेन ने गाजा में अस्पताल विस्फोट में मारे गए निर्दोष लोगों के लिए गहरी संवेदना जताई है और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है. उन्होंने कहा, बाइडेन जल्द ही मिस्र, फिलिस्तीनी और जॉर्डन के नेताओं के साथ व्यक्तिगत रूप से बात करने के लिए उत्सुक हैं. वे आने वाले दिनों में सभी के साथ नियमित और सीधे जुड़े रहेंगे. वहीं, गाजा के अधिकारियों का कहना है कि अस्पताल में बमबारी के लिए इजरायल की सेना जिम्मेदार है.
क्यों इजरायल और मिडिल ईस्ट जा रहे थे बाइडेन?
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजरायल यात्रा से पहले अपने दौरे को लेकर तस्वीर साफ की थी. उन्होंने कहा था, बुधवार को मैं हमास के क्रूर आतंकवादी हमले के खिलाफ एकजुटता दिखाने के लिए इजरायल की यात्रा करूंगा. फिर मैं गंभीर मानवीय जरूरतों के संबंध में जॉर्डन की यात्रा करूंगा. वहां नेताओं से मिलूंगा और स्पष्ट करूंगा कि हमास, फिलिस्तीनियों के अधिकार के लिए नहीं खड़ा है.
- इससे पहले बाइडेन से पूछा गया था कि क्या वो इस समय गाजा पर इजरायली कब्जे का समर्थन करेंगे? इस पर उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि यह एक बड़ी गलती होगी. देखिए, मेरे विचार से गाजा में जो हुआ, वह हमास की वजह से हुआ और हमास के चरमपंथी सभी फिलिस्तीनी लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. मुझे लगता है कि इजरायल के लिए गाजा पर दोबारा कब्जा करना एक गलती होगी. लेकिन हम अंदर जा रहे हैं. चरमपंथियों को बाहर निकाल रहे हैं. हिजबुल्लाह उत्तर में है लेकिन हमास दक्षिण में है.
- बाइडेन से पूछा गया कि क्या आप मानते हैं कि हमास को पूरी तरह खत्म कर देना चाहिए? इस पर उन्होंने कहा, हां, मैं समर्थन करता हूं. लेकिन वहां एक फिलिस्तीनी अथॉरिटी की जरूरत है. फिलिस्तीनी राज्य के लिए एक मार्ग की जरूरत है.
'अब इजरायल जाकर क्या हासिल करेंगे बाइडेन?'
बाइडेन के इस दौरे को जटिल राजनयिक मिशन के तौर पर माना जा रहा था. जिसका उद्देश्य लंबे समय से अमेरिकी सहयोगी इजरायल के लिए समर्थन दिखाना था. इसके अलावा, क्षेत्रीय शांति का संदेश देना और गाजा के लिए मानवीय प्रयासों को बढ़ावा देना शामिल था. हालांकि, अब यह स्पष्ट नहीं है कि अस्पताल में विस्फोट और हमले को लेकर आरोप-प्रत्यारोप के बीच जॉर्डन में समिट रद्द होने के बाद वो क्या हासिल कर पाएंगे?
'युद्ध को नियंत्रण में रखना चुनौती भरा'
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के संयुक्त राष्ट्र निदेशक रिचर्ड गोवन ने कहा, इस तरह की भयावह घटना कूटनीति को कठिन बनाती है और जोखिम बढ़ाती है. बाइडेन की यात्रा यह संदेश देने के लिए भी थी कि हालात पर अमेरिका की पकड़ है. इस तरह की दुखद घटना से पता चलता है कि युद्ध को नियंत्रण में रखना कितना कठिन है. बाइडेन को बुधवार को तेल अवीव में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मिलना है. फिर जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला, मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी और फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से मुलाकात करने अम्मान के लिए उड़ान भरनी थी.
'समिट रद्द से बाइडेन की रणनीति कमजोर?'
जानकार कहते हैं कि अब्बास या किसी फिलिस्तीनी अधिकारी से मुलाकात रद्द होने से बाइडेन के राजनयिक संदेश को कमजोर कर सकती है. देश और विदेश में आलोचकों को मौका दे सकती है. चूंकि, गाजा में मानवीय प्रयासों में मदद के लिए अमेरिका, मिस्र पर बहुत ज्यादा निर्भर है.
इधर, अस्पताल में हमले के बाद अमेरिका में बाइडेन से सवाल भी तेज हो गए हैं. संसद में एकमात्र फिलिस्तीनी अमेरिकी प्रतिनिधि रशीदा तलीब ने बाइडेन की आलोचना की है. उन्होंने कहा, यह तब होता है जब आप युद्ध विराम की कोशिश करते हैं और तनाव कम करने में मदद करने का संदेश देते हैं. लेकिन, इस घटना के बाद मेरी और मेरे जैसे कई फिलिस्तीनी अमेरिकियों की आंखें खोल दी हैं.