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Israel Hamas Conflict: हमास और इजरायल की खौफनाक जंग के बीच फिलिस्तीन ने भारत से की ये अपील

भारत में फिलिस्तीन के राजदूत अबू अलहैजा ने कहा है कि फिलिस्तीन नागरिकों की हत्या के खिलाफ है और इस संकट का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है. भारत, इजरायल और फिलिस्तीन दोनों का मित्र है. इसलिए हम चाहते हैं कि भारत इसमें हस्तक्षेप करे और बातचीत में हमारी मदद करे. 

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फोटो- भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास
फोटो- भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास

भारत में फिलिस्तीन के राजदूत अबू अलहैजा ने कहा है कि भारत, इजरायल और फिलिस्तीन दोनों का मित्र देश है और गाजा पट्टी में मौजूदा संकट को हल करने के लिए उसे जरूर हस्तक्षेप करना चाहिए. 

फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास और इजरायल के बीच जारी जंग के बीच अबू अलहैजा का यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि भारत ने हमास द्वारा इजरायल पर किए गए हमले को 'आतंकी हमला' बताया है और इसकी कड़ी निंदा की है. 

शनिवार को हमास द्वारा इजरायल के शहर पर रॉकेट दागने के बाद से ही इजरायल की सेना गाजा पट्टी और खासतौर पर हमास के ठिकानों पर बम बरसा रही है. हमास और इजरायल के बीच जारी जंग में पश्चिमी देशों ने जहां इजरायल का पक्ष लिया है. वहीं, मध्य पूर्व के कई देशों ने कहा है कि हमास और इजरायल के बीच की वर्तमान स्थिति इजरायल की नीतियों का परिणाम है.

वहीं, भारत ने हमास की आलोचना करते हुए इजरायल का पक्ष लिया है. पीएम मोदी ने कहा है कि भारत आतंकवाद के सभी रूपों की कड़ी निंदा करता है. इस मुश्किल घड़ी में भारत के लोग इजरायल के साथ मजबूती के साथ खड़े हैं. 

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यह हमला वेस्ट बैंक में इजरायल की नीतियों की प्रतिक्रियाः अबू अलहैजा

राष्ट्रपति महमूद अब्बास के नेतृत्व वाली फिलिस्तीनी सरकार की ओर से भारत में नियुक्त फिलिस्तीन के राजदूत अबू अलहैजा ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, "जो कुछ भी हुआ, वह वेस्ट बैंक में इजरायल की नीतियों की प्रतिक्रिया है. इस युद्ध के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय जिम्मेदार है. संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन को लेकर 800 प्रस्ताव पारित किए. लेकिन इजरायल ने एक भी नहीं माना. यदि इजरायल फिलिस्तीन की कब्जाई जमीन पर से अपना नियंत्रण समाप्त कर देता है तो हमले भी बंद हो जाएंगे."

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भारत इसमें हस्तक्षेप कर बातचीत में मदद करेः अबू अलहैजा

फिलिस्तीनी राजदूत अबू अलहैजा ने आगे कहा, फिलिस्तीन आम नागरिकों की हत्या के खिलाफ है और इस संकट का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है. इसको लेकर हमारे राष्ट्रपति कई यूरोपीय देशों के साथ संपर्क में हैं. भारत, इजरायल और फिलिस्तीन दोनों का दोस्त है. ऐसे में हम चाहते हैं कि भारत इसमें हस्तक्षेप करे और बातचीत में हमारी मदद करे. 

इजरायल की ओर से गाजा की पूरी तरह से घेराबंदी और आवश्यक मूलभूत सुविधाओं में कटौती पर अबू अलहैजा ने कहा कि इजरायल ने कहा है कि वह गाजा प्रांत के बिजली और खाद्य आपूर्ति में कटौती करेगा. यह एक तरह से युद्ध का कृत्य है. बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार इजरायल के इतिहास में सबसे अतिवादी (most extreme) शासन है.

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हालांकि, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास के हमले के बाद कहा था, "इजरायल यह युद्ध नहीं चाहता था. हमास ने हम पर बहुत ही क्रूर और बर्बर तरीके से इस युद्ध को थोपा है. इजरायल ने इस युद्ध की शुरुआत नहीं की है, लेकिन इसे खत्म करेगा. एक समय था जब यहूदी लोग राज्यविहीन और रक्षा करने में सक्षम नहीं थे. लेकिन अब और नहीं."

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इजरायल अंतरराष्ट्रीय कानून को नहीं मानताः अलहैजा

इससे पहले इंडिया टुडे से खास बातचीत में फिलिस्तीनी राजदूत ने कहा, इजरायल ही एक ऐसा देश है, जो कभी अंतरराष्ट्रीय कानून को नहीं मानता है. यूएन ने 800 से ज्यादा प्रस्ताव पास किए, लेकिन इजरायल ने एक भी प्रस्ताव नहीं माना.

उन्होंने कहा, "1993 में हमारा समझौता हुआ था, हमें उम्मीद थी कि हम आजाद हो जाएंगे और इजरायल के साथ पड़ोसी देश और भाई की तरह रहेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. फिलिस्तीन को कोई अधिकार नहीं दिया गया. हम गाजा और पश्चिमी बैंक में 60 लाख लोग रहते हैं. हम शांति देखना चाहते है. हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे भी अन्य बच्चों की तरह खेले. उन्हें मारा न जाए."

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