इस्लामिक देश सऊदी अरब ने शराब बेचने और पीने पर लगी पाबंदी को हटाने की घोषणा की है. एक्स्पो 2030 और फीफा वर्ल्ड कप 2034 जैसे अंतरराष्ट्रीय इंवेंट्स की तैयारी कर रहे किंगडम ने शराब से बैन हटाने का फैसला किया है जिसके तहत 2026 से देश में शराब की नियंत्रित खरीद और बिक्री की अनुमति होगी.
पाबंदी हटने के बाद सऊदी अरब में शराब की बिक्री कुछ इलाकों तक सीमित होगी. शराब किंगडम के 600 जगहों पर बेची जाएगी जिसमें मुख्य रूप से पर्यटकों के लिए बनाए गए लग्जरी होटल्स, रिजॉर्ट्स और पर्यटन स्थल शामिल होंगे. सऊदी अरब का नया बन रहा नियोम शहर, सिंदाला और रेड सी प्रोजेक्ट ऐसे कुछ स्थान हैं, जहां शरीब बेचने की इजाजत होगी.
सऊदी अरब में केवल बीयर, वाइन और साइडर जैसे एल्कोहलिक ड्रिंक्स को बेचने की इजाजत होगी. जिन ड्रिंक्स में एल्कोहल की मात्रा ज्यादा होती है, उनकी बिक्री पर फिलहाल पाबंदी रहेगी. इसके साथ ही घरों, दुकानों या सार्वजनिक जगहों पर शराब की इजाजत नहीं होगी और व्यक्तिगत तौर पर शराब का उत्पादन भी बैन रहेगा.
सऊदी अरब ने बेहद सोच-समझकर और कड़े नियमों के साथ शराब से बैन हटाया है जिसमें लाइसेंस प्राप्त जगहों और अच्छी तरह से प्रशिक्षित स्टाफ को ही शराब परोसने की इजाजत होगी.
सऊदी अरब ने 73 सालों बाद क्यों हटाया शराब पर लगा प्रतिबंध?
सऊदी अरब में 1952 से ही शराब पर पाबंदी लगी है लेकिन 73 सालों बाद किंगडम ने इस सख्त पाबंदी को हटा दिया है. इस पाबंदी को हटाने के पीछे सऊदी अरब के वास्तविक शासक क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) की सोच है जिसके तहत वो सऊदी की रुढ़िवादी इस्लामिक छवि को बदलकर देश में पर्यटन और निवेश को बढ़ावा देना चाहते हैं.
एमबीएस ने अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'विजन 2030' के तहत देश की तेल आधारित अर्थव्यवस्था में विविधता लाने के लिए कई बड़े प्रोजेक्ट्स लॉन्च किए हैं. उन्होंने कई सामाजिक सुधार भी किए हैं जिसमें सिनेमा और संगीत को बढ़ावा देना, मिक्स्ड जेंडर कल्चरल इवेंट्स को आयोजित करना शामिल है.
बड़े स्पोर्ट्स इवेंट्स को होस्ट करना भी विजन 2030 का ही हिस्सा है. सऊदी अरब इसके लिए सभी तरह के टेक्नोलॉजी से युक्त आधुनिक स्टेडियम बना रहा है और इवेंट के लिए देश में आने वाले दर्शकों की हर सुविधा को ध्यान में रख रहा है. इसी क्रम में उसने शराब से प्रतिबंध हटाने की घोषणा की है.
सऊदी अरब ने क्यों लगाया था शराब पर प्रतिबंध?
शराब को इस्लाम में हराम माना गया है लेकिन 1952 तक सऊदी अरब ने एक तरह से शराब बेचने और पीने की इजाजत दे रखी थी. शराब पर पाबंदी लगाने के पीछे 1951 की एक घटना थी जिसमें शाही परिवार के नशे में धुत्त राजकुमार ने एक ब्रिटिश डिप्लोमैट की हत्या कर दी थी.
सऊदी अरब के तत्कालीन राजा अब्दुल अजीज अल-सऊद के बेटे प्रिंस मिशारी बिन अब्दुल अजीज अल-सऊद ने एक इवेंट में खूब शराब पी और बदला लेने की भावना से ब्रिटिश डिप्लोमैट सिरिल उस्मान को गोली मार दी. इवेंट का आयोजन जेद्दा में ब्रिटिश डिप्लोमैट ने ही किया था.
19 वर्षीय प्रिंस ने इवेंट के दौरान खूब शराब पी और जब डिप्लोमैट ने उन्हें और शराब देने से इनकार किया तो उन्होंने बंदूक निकाली और गोली चला दी. इस घटना में ब्रिटिश डिप्लोमैट की मौत हो गई और राजा ने अपने बेटे को उम्रकैद की सजा सुनाई. इस घटना के एक साल बाद 1952 में सऊदी अरब में शराब पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगा दी गई.
हालांकि, सऊदी अरब में रह रहे डिप्लोमैटिक स्टाफ को शराब आयात करने की अनुमति थी. डिप्लोमैटिक स्टाफ सीलबंद पैकेट्स में शराब आयात करते हैं जिसे डिप्लोमैटिक पाउच कहा जाता है.
सऊदी ने डिप्लोमैट्स की सुविधा के लिए जनवरी 2024 में घोषणा की थी कि रियाद में गैर-मुस्लिम प्रवासियों और डिप्लोमैटिक स्टाफ के लिए एक शराब की दुकान खोली जाएगी. अब सऊदी ने शराब बेचने और खरीदने पर लगी पाबंदी को ही नियंत्रित तरीके से हटा दिया है.