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PM मोदी ने भेजा खालिदा जिया को संदेश, क्या फिर से पिघल रही भारत-बांग्लादेश रिश्तों में जमी बर्फ?

भारत और बांग्लादेश के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव में हाल ही में नरमी आई है. बांग्लादेश के NSA की दिल्ली यात्रा और पीएम मोदी का खालिदा जिया की खराब सेहत पर चिंता जताना इस बदलाव के प्रमुख संकेत हैं. BNP की बढ़ती राजनीतिक भूमिका और 2026 के चुनावों में उसकी संभावित सफलता भारत के लिए महत्वपूर्ण है. दोनों देशों के NSA स्तर पर हुई बातचीत से भी भरोसा बढ़ा है.

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पीएम मोदी ने भेजा खालिदा जिया को संदेश, BNP से बढ़ती नजदीकियों की चर्चा तेज
पीएम मोदी ने भेजा खालिदा जिया को संदेश, BNP से बढ़ती नजदीकियों की चर्चा तेज

बीते समय से भारत और बांग्लादेश के बीच ठंडे पड़ चुके रिश्तों में अब थोड़ी गर्माहट दिखने लगी है. कुछ हालिया कदमों से संकेत मिला है कि दोनों देशों के तनाव कम करने की कोशिशें शुरू हो गई हैं.

रिश्तों में जमी धूल की परत पहली बार तब हटी जब बांग्लादेश के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) चुपचाप दिल्ली आए. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और BNP प्रमुख खालिदा जिया की खराब सेहत पर चिंता जताते हुए शुभकामनाएं दीं. उनके इस संदेश से कूटनीतिक हलकों में हलचल बढ़ गई है.

ढाका की ओर से भी नरमी

बांग्लादेश की ओर से भी भारत के खिलाफ कड़ी बयानबाजी कुछ कम हुई है. बांग्लादेशी विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने कहा कि कुछ अनसुलझे मुद्दों के बावजूद भारत के साथ रिश्ते आगे बढ़ेंगे.

PM मोदी का खालिदा जिया को संदेश

भारत जानता है कि शेख हसीना से जुड़ा मामला हल होने तक रिश्तों में तनाव बना रहेगा. हसीना को हाल ही में मानवता के खिलाफ अपराधों के मामले में मौत की सजा सुनाई गई है. वे भारत की करीबी मानी जाती थीं.

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ऐसे माहौल में PM मोदी का खालिदा जिया के लिए शुभकामना संदेश खास माना जा रहा है. उन्होंने अंग्रेजी और बांग्ला, दोनों भाषाओं में लिखा कि वे जिया की बिगड़ती सेहत को लेकर चिंतित हैं और हर संभव मदद के लिए तैयार हैं. BNP ने मोदी के इस 'गुडविल जेस्चर' की सराहना की.

खालिदा जिया अभी अस्पताल में भर्ती हैं. रविवार को उनकी हालत और बिगड़ गई. सोमवार को चीन के पांच डॉक्टरों की टीम भी ढाका पहुंच गई.

भारत के लिए BNP क्यों जरूरी?

पिछले कई दशकों से भारत ने बांग्लादेश में सिर्फ शेख हसीना और उनकी पार्टी अवामी लीग पर भरोसा किया. लेकिन हसीना की विदाई के बाद भारत के पास वहां कोई मजबूत राजनीतिक दोस्त नहीं बचा.

इसी बीच अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने कट्टरपंथी समूहों को फिर से जगह दी. पाकिस्तान और चीन भी सक्रिय हैं. ऐसे में BNP, जो अब सबसे बड़ी मुख्यधारा की पार्टी है, भारत के लिए अहम बन गई है.

हालिया सर्वे बताते हैं कि 2026 के चुनाव में BNP सबसे ज्यादा सीटें जीत सकती है, जबकि जमात-ए-इस्लामी भी पीछे नहीं है. जमात भारत-विरोधी और पाकिस्तान-समर्थक मानी जाती है, इसलिए उनके सत्ता में आने की संभावना भारत के लिए चिंता का विषय है. वहीं, BNP का इस बार अकेले चुनाव लड़ना भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है.

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क्यों बढ़ रही है BNP के प्रति सहानुभूति?

खालिदा जिया की खराब हालत BNP के लिए सहानुभूति भी बढ़ा रही है. पार्टी चाहती है कि जिया के बड़े बेटे तारिक रहमान जो 2008 से लंदन में रहकर पार्टी चला रहे हैं, चुनाव से पहले लौटें. हालांकि उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि उनका वापस आना पूरी तरह उनके हाथ में नहीं है जिससे कानूनी या राजनीतिक अड़चनों की चर्चा तेज हो गई है.

NSA स्तर की मीटिंग से भी बढ़ा भरोसा

हसीना के खिलाफ फैसले के अगले ही दिन बांग्लादेश के NSA खलील-उर-रहमान दिल्ली आए और उन्होंने भारत के NSA अजीत डोभाल से मुलाकात की. दोनों देशों ने इस बैठक की जानकारी सार्वजनिक नहीं की, लेकिन इतना साफ है कि तनाव के बावजूद बातचीत जारी है. बांग्लादेश की ओर से भारतीय NSA को ढाका आने का न्योता भी दिया गया है.

बता दें कि 2026 के चुनावों से पहले भारत और बांग्लादेश दोनों ही रिश्तों को स्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं. भारत नई राजनीतिक परिस्थितियों में अपने लिए मजबूत विकल्प तलाश रहा है और BNP का महत्व लगातार बढ़ रहा है.

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