पाकिस्तान में अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने के डिप्टी स्पीकर के फैसले पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान PML-N के वकील मकदूम अली खान ने अपना पक्ष रखा. साथ ही कहा कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाना अदालत को प्रभावित करने का प्रयास है. जबकि इमरान खान को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाना संविधान के अनुरूप नहीं है. इसके बाद सुनवाई कल तक के लिए स्थगित कर दी गई.
बता दें कि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव पर नेशनल असेंबली की कार्यवाही का रिकॉर्ड मांगा. पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल और न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन, न्यायमूर्ति मोहम्मद अली मजहर, न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर और न्यायमूर्ति जमाल खान मंडोखाइल की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई की.
वहीं बीते दिन मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि अदालत इस मुद्दे पर उचित आदेश जारी करेगी. लेकिन बीते दिन भी पीपीपी और अन्य विपक्षी दलों के वकील फारूक एच. नाइक द्वारा अपनी दलीलें पेश करने के बाद सुनवाई स्थगित कर दी गई थी.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पीपीपी सीनेटर रजा रब्बानी ने कहा कि मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने कहा था कि 3 महीने के भीतर आम चुनाव कराना संभव नहीं है. हालांकि, चुनाव आयोग ने इलेक्शन के संबंध में कोई भी बयान जारी करने से इनकार किया है. साथ ही रब्बानी ने कहा कि संसद में जो कुछ भी हुआ उसे सिर्फ नागरिक मार्शल लॉ कहा जा सकता है. लिहाजा इसकी समीक्षा की जानी चाहिए.
पीपीपी सीनेटर रजा रब्बानी ने कहा कि डिप्टी स्पीकर का फैसला अवैध था. उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 95 का हवाला देते हुए कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान किए बिना उसे खारिज नहीं किया जा सकता है. रब्बानी ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ एक कहानी बनाने का प्रयास किया गया था. उन्होंने यह भी कहा कि सूरी का विपक्षी सांसदों को बिना कोई सबूत दिए देशद्रोही करार देना गलत था.