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इस देश में अब लोगों को हफ्ते में 4 दिन ही करना होगा काम? सरकार ने उठाया बड़ा कदम

जर्मनी की अर्थव्यवस्था धीमी पड़ गई है और लोगों की प्रोडक्डिविटी भी कम हो रही है जिसे देखते हुए वहां के श्रमिक संगठनों ने सरकार को कुछ सुझाव दिए हैं. इन सुझावों के आधार पर जर्मनी अपने यहां हफ्ते में चार दिन काम करने का ट्रायल शुरू करने जा रहा है.

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जर्मनी में काम के घंटे को कम करने पर बात चल रही है (Representational Image- Reuters)
जर्मनी में काम के घंटे को कम करने पर बात चल रही है (Representational Image- Reuters)

एक तरफ जहां भारत में हफ्ते में 70 घंटे काम करने को लेकर बहस छिड़ी हुई है. वहीं, जर्मनी में काम के दिनों को पांच से घटाकर चार दिन करने की बात चल रही है. जर्मनी 1 फरवरी से हफ्ते में चार दिन काम करने के फॉर्मूले को 6 महीने तक आजमाने जा रहा है. इससे जो नतीजे मिलेंगे, उसी के आधार पर सरकार आगे कोई फैसला लेगी.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, जर्मनी की अर्थव्यवस्था फिलहाल सुस्त पड़ी है, महंगाई बढ़ी है और वहां स्किल्ड वर्कर्स की कमी हो गई है. इसे देखते हुए श्रमिक संगठनों ने सरकार को सुझाव दिया है कि कर्मचारियों को एक स्वस्थ और खुशनुमा वातावरण दिया जाए जिससे वो अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल कर पाएं. श्रमिक संगठनों के सुझाव पर जर्मनी की सरकार ने यह बड़ा फैसला किया है.

हफ्ते में 4 दिन काम करने के 6 महीनों का ट्रायल 1 फरवरी से शुरू होगा जिसमें 45 कंपनियां हिस्सा लेंगी. इस ट्रायल का जिम्मा न्यूजीलैंड स्थित नॉन प्रॉफिट कंपनी 4 डे वीक ग्लोबल को सौंपा गया है.

फेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ ऑक्यूपेशनल सेफ्टी एंड हेल्थ के मुताबिक, साल 2022 में जर्मनी के लोग साल में औसतन 21.3 दिन काम करने में सक्षम नहीं थे जिससे 207 अरब यूरो (लगभग 1,86,55,87,26,60,900 रुपये) का नुकसान हुआ. ब्लूमबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि अधिक काम करने से नाखुश कर्मचारी अपने काम में मन नहीं लगाते जिससे साल 2023 में वैश्विक अर्थव्यवस्था को 1 खरब यूरो का नुकसान हुआ.

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काम के घंटे कम करने से सैलरी पर क्या होगा असर?

जर्मनी में 4 दिन काम का ट्रायल शुरू करने वाली कंपनी 4 डे वीक ग्लोबल का कहना है कि ट्रायल पीरियड के दौरान कर्मचारियों के काम के घंटे पहले से कम होंगे लेकिन उनकी सैलरी में कोई कटौती नहीं की जाएगी. अगर परिणाम 5 दिन काम करने के बराबर या उससे ज्यादा निकलता है तभी इस ट्रायल को सफल माना जाएगा.

माना जा रहा है कि 4 दिन काम से प्रोडक्टिविटी तो बढ़ेगी ही साथ ही कर्मचारी छुट्टियां भी कम लेंगे जो कि वो बीमारी, काम के स्ट्रेस की वजह से लेते थे. इससे कंपनियों को फायदा होगा साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी कम नुकसान होगा.

कंपनी 4 डे वीक ग्लोबल का कहना है कि वो इस तरह के सफल ट्रायल अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और पुर्तगाल में कर चुकी है. जिन कर्मचारियों ने हफ्ते में 4 दिन काम करने के ट्रायल में हिस्सा लिया उन्होंने बताया कि इससे उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत में सुधार आया और काम से वो कम थके. जर्मनी को जो कंपनियां इस ट्रायल में हिस्सा ले रही हैं, उन्हें भी ऐसे ही परिणामों की उम्मीद है.

कई देशों में है हफ्ते में चार दिन काम का चलन 

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यह कोई पहली बार नहीं है जब कोई देश हफ्ते में 4 दिन के काम का सुझाव दे रहा हो या ऐसी कोई शुरुआत कर रहा हो. साल 2022 में बेल्जियम हफ्ते में 4 दिन काम शुरू करने वाला यूरोपीय यूनियन का पहला देश बना. हालांकि, यहां 4 दिन काम ऑप्शनल है जिसमें कर्मचारियों के काम के घंटे 5 दिन के काम के घंटे के बराबर ही होते हैं.

जापान भी हफ्ते में 4 दिन काम शुरू करने वाले देशों में शामिल है. जापान की सरकार ने ऐसा अपनी बूढ़ी होती आबादी और बेहद कम जन्मदर को देखते हुए किया है. जापान की सरकार देश के युवाओं को परिवार बनाने, बच्चे पैदा करने और पैसे खर्च करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है ताकि अर्थव्यवस्था में सुधार आए और जन्मदर में सुधार हो.

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