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'हमारे पास नहीं है पैसा', किसानों के प्रदर्शन पर जर्मनी सरकार का दो टूक जवाब

जर्मनी के सभी 16 राज्यों में कड़कती ठंड के बीच ट्रैक्टर्स के काफिले के साथ किसान सड़कों पर जमे हुए हैं. पुलिस से भिड़ते प्रदर्शनकारी किसान सरकार को चेतावनी दे रहे हैं कि अगर उनकी मांगें नहीं पूरी की गई तो वे और कड़ा रुख करेंगे. 

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जर्मनी में किसानों का प्रदर्शन
जर्मनी में किसानों का प्रदर्शन

जर्मनी में सरकार के खिलाफ किसान सड़कों पर उतरे हुए हैं. ये किसान टैक्स में बढ़ोतरी को लेकर विरोध कर रहे हैं. लेकिन अब किसानों के प्रदर्शन को लेकर सरकार ने दो टूक कह दिया है कि उनके पास किसानों की सब्सिडी के लिए पैसा नहीं है.

जर्मनी की वित्त मंत्री क्रिस्टीन लिंडर (Christian Lindner) ने कहा कि मैं आपको संघीय बजट से सब्सिडी देने का वादा नहीं कर सकती. लेकिन हम आपकी स्वतंत्रता और सम्मान से काम करने के आपके अधिकार की आपकी लड़ाई में आपके साथ हैं. 

किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी में कटौती के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं. राजधानी बर्लिन से लेकर कई बड़े शहरों में किसानों ने सड़कें जाम कर दी हैं. सड़कों पर खाद फैलाकर प्रदर्शन किए जा रहे हैं. 

जर्मनी के सभी 16 राज्यों में कड़कती ठंड के बीच ट्रैक्टर्स के काफिले के साथ किसान सड़कों पर जमे हुए हैं. इस दौरान पुलिस से भिड़ते प्रदर्शनकारी किसान सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं पूरी की गई तो वे और कड़ा रुख करेंगे. 

जर्मनी सरकार के किस फैसले से भड़के हैं किसान?

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जर्मनी की सरकार ने पिछले साल दिसंबर में किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी में कटौती कर दी थी. कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल डीजल पर दिए जाने वाले टैक्स रीफंड, ट्रैक्टर्स पर टैक्स छूट को खत्म कर दिया गया था. इसके लिए सरकारी पैसे की बचत का हवाला दिया गया.  

सरकार दरअसल किसानों को हर साल मिलने वाली सब्सिडी में से तकरीबन 90 करोड़ यूरो की बचत करना चाहती है. किसानों की मांग है कि सब्सिडी में कटौती को जल्द से जल्द बहाल किया जाए. इसी मांग के साथ पिछले साल 18 दिसंबर को किसानों ने प्रदर्शन शुरू किया था. 

किसानों का प्रदर्शन हाइजैक होने की संभावना

इस साल जर्मनी में होने जा रहे चुनावों में जीत की संभावनाएं तलाश रही धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी ने किसानों के इस प्रदर्शन का समर्थन किया है. पार्टी इस प्रदर्शन को मौजूदा सरकार के प्रति जर्मनी के लोगों की असंतुष्टि के सबूत के तौर पर इस्तेमाल कर रही है. 

जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर न्यू सोशल आनर्स के हर्मन ब्लिंकर्ट कहते हैं कि सरकार फिलहाल दुविधा में है. अगर वह इस कटौती को वापस लेती है तो यह उनके लिए सही नहीं लगेगा. सरकार की समस्या ये है कि वह पहले ही लोगों के विश्वास के साथ खेल चुकी है.

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जर्मनी की खुफिया एजेंसी के चीफ ने चेतावनी देते हुए कहा है कि दक्षिणपंथी चरमपंथी इस प्रदर्शन को भुना सकते हैं. इन चरमपंथियों की योजना इन प्रदर्शनों को हाइजैक करने की है. 

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