अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए ऐतिहासिक सुरक्षा समझौते 'ऑकस' के चलते फ्रांस गुस्से में है. तीनों देश फ्रांस को मनाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन फ्रांस के तेवर नरम नहीं पड़ रहे हैं.
फ्रांस को इस डील से काफी नुकसान पहुंचा है. दरअसल, ऑकस समझौते के तहत अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया को न्यूक्लियर पनडुब्बी की तकनीक मुहैया कराएगा. 50 सालों में ऐसा पहली बार होगा जब अमेरिका अपनी पनडुब्बी तकनीक किसी देश के साथ शेयर कर रहा है. इससे पहले अमेरिका ने केवल ब्रिटेन के साथ यह तकनीक शेयर की थी.
इस डील के चलते ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस के साथ किया सौदा रद्द कर दिया था. साल 2016 में ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के लिए फ्रांसीसी डिजाइन की 12 पनडुब्बियों के निर्माण का कॉन्ट्रैक्ट फ्रांस को मिला था. इस डील के रद्द होने के चलते फ्रांस को 36 अरब डॉलर का नुकसान पहुंचा है. इसके बाद से ही फ्रांस, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से नाराज है.
हमारे साथ हुआ धोखा: फ्रांस के विदेश मंत्री
फ्रांस की नाराजगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि फ्रांस ने पहली बार अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से अपने राजदूतों को वापस बुला लिया है. फ्रांस के विदेश मंत्री ने फ्रांस 2 टीवी पर बातचीत करते हुए कहा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से राजदूतों को बुलाना ये दिखाता है कि हम इन देशों के रवैये से कितने आहत हुए हैं और दोनों ही देशों के साथ हमारे संबंधों में खटास आई है. इस मामले में झूठ और दोहरापन देखने को मिला है और हमारे साथ धोखा हुआ है.
ऑस्ट्रेलिया के पीएम का आया जवाब
वहीं, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने भी इस मामले में सिडनी में संवाददाताओं के सामने अपनी बात रखी. उन्होंने उन आरोपों से इंकार किया कि ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस को धोखा दिया है. स्कॉट ने कहा कि उन्होंने फ्रांस के साथ डील को लेकर कुछ महीने पर चिंताएं जताई थीं. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि उन्हें ये जानना चाहिए कि हमारी चिंताएं गंभीर थीं. हमने साफ तौर पर कहा था कि हम अपना फैसला राष्ट्रीय हित के आधार पर लेंगे. हम समझ सकते हैं कि फ्रांस हमारे फैसले से दुखी है लेकिन हमारे लिए ऑस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय हित सबसे बड़ी प्राथमिकता है और रहेगी और मुझे इसे लेकर किसी भी तरह का अफसोस नहीं है.'
अमेरिका कर रहा फ्रांस के साथ सुलह की कोशिश
वही, अमेरिका फ्रांस के साथ सुलह की लगातार कोशिश कर रहा है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने फ्रेंच राष्ट्रपति मैक्रों के साथ फोन कॉल का अनुरोध किया है. फ्रांस सरकार के प्रवक्ता ग्रैबियाल एटाल ने कहा कि अगले कुछ दिनों में फ्रांस और अमेरिका के राष्ट्रपति एक दूसरे से बातचीत कर सकते हैं. फ्रांस को इस मामले में अमेरिका से स्पष्टीकरण चाहिए. अमेरिका ने हमारे ट्रस्ट को तोड़ा है और उन्हें इस मामले में जवाब देना होगा.
गौरतलब है कि फ्रांस ने ब्रिटेन से अपने राजदूत को नहीं बुलाया है लेकिन इसे लेकर भी फ्रांस के विदेश मंत्री ने काफी तीखा जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन से फ्रेंच राजदूत को लाने की जरूरत महसूस नहीं हुई. हम उनके अवसरवादी रवैये को जानते हैं. इसलिए इसकी जरूरत नहीं थी. वहीं, ब्रिटेन पीएम बोरिस जॉनसन ने कहा कि ब्रिटेन और फ्रांस के बीच बहुत दोस्ताना संबंध हैं और ये उनके लिए काफी मायने रखता है.