विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जर्मनी की राजधानी बर्लिन से एक बार फिर चीन के साथ व्यापार पर टिप्पणी की है. मंगलवार को उन्होंने कहा कि भारत ने चीन के साथ व्यापार के लिए अपने दरवाजे बंद नहीं किए हैं, लेकिन मुद्दा यह है कि वह किन क्षेत्रों में चीन के साथ व्यापार करता है और किन शर्तों पर. विदेश मंत्री का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब चीन से व्यापार को लेकर इससे पहले दिए गए उनके बयान से चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स को मिर्ची लगी है.
इससे पहले एस जयशंकर ने 31 अगस्त को नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि पूरी दुनिया को चीन के साथ एक कॉमन दिक्कत है. उन्होंने कहा था, 'केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी विश्व चीन को लेकर अलग-अलग मसलों पर बहस कर रहा है. यूरोप में भी, प्रमुख आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा बहस के केंद्र में चीन ही है.'
विदेश मंत्री ने आगे कहा था कि कई देश सुरक्षा कारणों से अपने देश में चीनी निवेश की जांच करते हैं और भारत को भी ऐसा ही करना चाहिए. उन्होंने आगे कहा था, 'चीन कई तरह से एक यूनिक समस्या है जैसे कि उसकी राजनीति और अर्थव्यवस्था अनोखी है. हम जब तक उसके यूनिकनेस को समझने की कोशिश करेंगे तब तक हमारी नीति और फैसले गलत हो सकते हैं.'
विदेश मंत्री की टिप्पणी से भड़क गया था चीन का सरकारी अखबार
विदेश मंत्री की इन टिप्पणियों से चीन का सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स भड़क गया था और उसने कई लेख छापकर उन्हें व्यक्तिगत तौर पर निशाना बनाया. सोमवार को भी चीनी अखबार ने एक लेख प्रकाशित किया था और एस जयशंकर की आलोचना की. चीनी अखबार ने लिखा कि एस जयशंकर की टिप्पणियों से चीन के प्रति उनकी जलन और नफरत नजर आई.
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि भारत का विदेश मंत्री होने के नाते जयशंकर की नीतियां राष्ट्र नीति में नहीं है. चीन और भारत के बीच रिश्तों में आए सुधार से विदेश मंत्री डरे हुए हैं. ग्लोबल टाइम्स के लेख में सीमा लांघते हुए ये तक लिखा गया कि एस जयशंकर में न तो जवाहर लाल नेहरू की कूटनीति की नैतिकता है और न ही इंदिरा गांधी की कूटनीति का सदाचार है.
हालांकि, लेख को लेकर विवाद बढ़ता देख ग्लोबल टाइम्स ने यह लेख अपनी अंग्रेजी वेबसाइट से हटा लिया था.