अमेरिका जहां पहले अफ्रीका के गरीब देशों को हर तरह से मदद करता आया था, अब उसने महाद्वीप को नजरअंदाज करने का मन बना लिया है. डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने आते ही दुनिया भर के जरूरतमंद देशों की मदद करने वाले USAID पर प्रतिबंध लगा दिया जिससे अफ्रीका के गरीब देशों पर भारी मार पड़ी है. अमेरिकी एजेंसी दवाओं, वैक्सीन, शिक्षण प्रोग्राम और नौकरियों के अवसर पैदा करने पर अरबों डॉलर अफ्रीकी देशों में खर्च करती थी. एजेंसी पर प्रतिबंध के बाद अब ट्रंप ने अफ्रीका में अपनी राजनयिक उपस्थिति भी सीमित करने का फैसला कर लिया है.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक ड्राफ्ट कार्यकारी आदेश का हवाला देते हुए बताया कि ट्रंप प्रशासन विदेश विभाग में बड़े बदलाव कर रहा है जिसके तहत अफ्रीका में इसके अधिकांश काम को खत्म करने का प्लान बनाया जा रहा है. रिपोर्ट में बताया गया कि अगले हफ्ते डाफ्ट आदेश पर हस्ताक्षर हो सकते हैं.
ड्राफ्ट के मुताबिक, प्रशासन सब-सहारा अफ्रीका में अमेरिकी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों को बंद करने और विदेश विभाग के अफ्रीकी मामलों के ब्यूरो को समाप्त करने की योजना बना रहा है. इनकी जगह पर अमेरिका छोटे दूतावास ऑफिस बनाएगा जो कि व्हाइट हाउस के नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल को रिपोर्ट करेंगे और आतंकवाद-रोधी समन्वय जैसी सीमित प्राथमिकताओं पर फोकस करेंगे.
ड्राफ्ट में केवल अफ्रीका को लेकर विदेश नीति में बदलाव का जिक्र नहीं है बल्कि इसमें 'अमेरिका फर्स्ट' रणनीति के तहत पूरे विभाग के पुनर्गठन की रुपरेखा दी गई है.
16 पन्नों के ड्राफ्ट के मुताबिक, अफ्रीका में राजनयिक उपस्थिति कम करने के अलावा अमेरिका कनाडा में भी ऐसा ही करेगा. कनाडा के संचालन को विदेश मंत्री मार्को रुबियो के नेतृत्व में एक छोटे उत्तरी अमेरिकी मामलों की टीम को सौंप दिया जाएगा.
ईरान को पाकिस्तान के साथ, भारत, बांग्लादेश जैसे देशों के लिए इंडो-पैसिफिक कोर
ड्राफ्ट के मुताबिक, क्षेत्रीय ब्यूरो को चार "क्षेत्रीय कोर" में समेट दिया जाएगा. ये चार कोर होंगे- यूरेशिया कोर, जिसमें यूरोप, रूस और मध्य एशिया शामिल होंगे; अरब देशों ईरान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के लिए मध्य-पूर्व कोर; मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और कैरीबियाई क्षेत्रों के लिए लैटिन अमेरिका कोर; और इंडो-पैसिफिक कोर, जो पूर्वी एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और मालदीव पर फोकस करेगा.
लोकतंत्र, मानवाधिकार, महिला मुद्दे, प्रवासन और जलवायु नीति के लिए पहले बने डिप्लोमैटिक ऑफिसों और प्रोग्राम्स को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा.
प्रस्तावित आदेश पर न तो अमेरिकी विदेश विभाग और न ही व्हाइट हाउस नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने कोई टिप्पणी की है. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो, जिन्हें उत्तरी अमेरिकी मामलों के ऑफिस की देखरेख करने वाले ड्राफ्ट में नामित किया गया है, ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट में इन रिपोर्टो को 'फर्जी खबर' बताया है.