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बढ़ती ताकत और सख्त फैसलों के कारण अमेरिका को चुभ रहा भारत... ट्रंप के कॉमर्स मिनिस्टर की ये टिप्पणी है सबूत

डोनाल्ड ट्रंप के वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लटनिक ने भारत-रूस के रक्षा संबंधों पर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप ने इसे लेकर भारत के समक्ष आपत्ति दर्ज की है. लटनिक ने ब्रिक्स को लेकर भी टिप्पणी की है.

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भारत-रूस के रक्षा संबंधों से अमेरिका नाराज रहता है (File Photo)
भारत-रूस के रक्षा संबंधों से अमेरिका नाराज रहता है (File Photo)

रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा हथियार आपूर्तिकर्ता है और यह बात हमेशा से अमेरिका को चुभती आई है. पाकिस्तान के साथ संघर्ष में भारत ने रूसी और स्वदेशी हथियारों का जिस शानदार तरीके से इस्तेमाल किया, वो अमेरिका समेत पूरी दुनिया ने देखा. लेकिन अब अमेरिका ने भारत के रक्षा व्यापार पर आपत्ति जताई है. अमेरिका के वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक ने भारत-रूस रक्षा संबंधों पर आपत्ति जताते हुए मंगलवार को कहा कि भारत का रूस से हथियार खरीदना अमेरिका को परेशान करने का एक तरीका है.

यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम के आठवें सत्र को संबोधित करते हुए लटनिक ने कहा कि रूस के साथ भारत का लंबे समय से चला आ रहा हथियार व्यापार अमेरिका के साथ उसके विवाद का विषय बन गया है.

अमेरिकी वाणिज्य सचिव ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के समक्ष इस मुद्दे को उठाया है और उन्होंने दावा किया कि भारत सरकार इसे सुलझाने के लिए कदम उठा रही है. लटनिक ने यह भी कहा कि भारत अमेरिका से सैन्य उपकरण खरीदने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.

उन्होंने कहा, 'भारत सरकार ने कुछ ऐसी चीजें कीं, जो आम तौर पर अमेरिका को नापसंद थीं. उदाहरण के लिए, आप आम तौर पर रूस से अपना सैन्य साजो-सामान खरीदते हैं. अगर आप रूस से अपने हथियार खरीदने जा रहे हैं, तो यह अमेरिका को परेशान करने का एक तरीका है.'

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ब्रिक्स को लेकर भी बोले अमेरिकी वाणिज्य सचिव

अमेरिकी वाणिज्य सचिव ने ब्रिक्स को लेकर भी भारत पर निशाना साधा. BRICS ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों का संगठन है जो वर्ल्ड ऑर्डर में पश्चिमी के आधिपत्य को चुनौती देने का काम करता है. कुछ समय पहले खबर आ रही थीं कि ब्रिक्स देश मिलकर अपनी करेंसी लॉन्च करने वाले हैं जो वैश्विक व्यापार में डॉलर के आधिपत्य को चुनौती देगी. लेकिन इस पर फिलहाल कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है.

अमेरिका इस बात से काफी चिढ़ गया था. फोरम में अमेरिकी विदेश सचिव ने भी इस मुद्दे को उठाया. उन्होंने कहा, 'ब्रिक्स का हिस्सा होने के नाते भी इस तरह के रिश्ते बन रहे हैं. वहां कहा जा रहा कि चलो अब डॉलर और डॉलर के आधिपत्य का समर्थन नहीं करते हैं. लेकिन इससे अमेरिका आपका दोस्त नहीं बनेगा और न ही यहां के लोगों को प्रभावित करने का यह एक तरीका है.'

अमेरिकी दबाव को नजरअंदाज कर अपनी ताकत बढ़ा रहा भारत

वर्तमान में भारतीय सेना के लगभग 60% रक्षा हथियार रूसी मूल के हैं. पाकिस्तान के साथ हाल ही में हुए संघर्ष के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देश की वायु रक्षा की शक्ति की प्रशंसा की, खासकर उन्होंने रूस में बने एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम के प्रदर्शन का उल्लेख किया. मोदी ने सेना को संबोधित करते हुए कहा, 'एस-400 जैसे प्लेटफॉर्म ने देश को अभूतपूर्व ताकत दी है.'

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भारत ने रूस से 2016 में 5.4 अरब डॉलर के एक समझौते के तहत एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद की थी. इस खरीद के दौरान भारत को अमेरिका से प्रतिबंधों की धमकी भी मिली थी जिसे नजरअंदाज करते हुए भारत ने रूस से ये खरीद की थी. 

भारत ने उत्तर प्रदेश में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के लिए एक प्रोडक्शन यूनिट का भी उद्घाटन कर दिया है. यह भारत को अस्थिर सुरक्षा माहौल में अपने रक्षा भंडार को बढ़ाने में मदद करेगी.

भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है अमेरिका

वित्त वर्ष 2024-25 में भारत और अमेरिका के बीच 131 अरब डॉलर का व्यापार हुआ जिससे अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है.

भारत अमेरिका को आयात से ज्यादा निर्यात करता है. इस वजह से अमेरिका को व्यापार में 41 अरब डॉलर से ज्यादा का व्यापार घाटा होता है. अमेरिका लगातार इसे लेकर सवाल खड़े करता है और इसे पाटने के लिए उसने दुनिया के अन्य देशों की तरह ही भारत पर भी रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की है.

भारत-रूस का व्यापार

वहीं, रूस और भारत के व्यापार की बात करें तो, 2022 में यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद रूस पर बढ़े दबाव के बावजूद, भारत-रूस का व्यापार बढ़ा है. अमेरिका ने भारत पर भी दबाव डाला है कि वो रूस के साथ व्यापार न करें, बावजूद इसके, दोनों देशों का व्यापार बढ़कर 60 अरब डॉलर से अधिक हो गया है. भारत और रूस ने इस व्यापार साझेदारी को बढ़ाकर 100 अरब डॉलर करने का टार्गेट रखा है.

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