बांग्लादेश के इस प्राचीन मंदिर में देश में रहने वाले 8% अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ पूरी दुनिया की आस्था जुड़ी है. 5 अगस्त को शुरू हुई हिंसा के बाद ढाकेश्वरी मंदिर में आने वाले हिंदू श्रद्धालुओं की संख्या कम हुई है. शादी विवाह जैसे रीति रिवाज और धार्मिक परंपराओं अनुष्ठानों के लिए कुछ लोग तारकेश्वरी मंदिर आ रहे हैं. विवाह के लिए मंदिर आए नवदंपति ने कहा कि हालात जल्द ठीक होने की उम्मीद है. श्रद्धालुओं के चेहरे पर चिंता के भाव भी दिखे.
मंदिर के प्रमुख पुजारी तपन चक्रवर्ती ने कहा कि वह देश में शांति और तमाम हिंदुओं की सुरक्षा के लिए ढाकेश्वरी माता से प्रार्थना कर रहे हैं. स्थानीय मुस्लिम ढाकेश्वरी मंदिर की सुरक्षा के लिए प्रांगण में दिखाई दिए तो हिंदू समाज के लोग भी मंदिर के प्रांगण में पहरा दे रहे हैं. हिंदुओं ने कहा कि आसपास के मुस्लिम समाज के लोग 5 अगस्त के बाद मंदिर की सुरक्षा के लिए आ रहे हैं लेकिन हमें ऐसी स्थिति नहीं चाहिए क्योंकि हम भी यहां के नागरिक हैं.
ढाकेश्वरी मंदिर की सुरक्षा में लगे हिंदुओं ने आजतक से कहा हमें सुरक्षा चाहिए और हम चाहते हैं कि हालत सामान्य हों क्योंकि किसी दूसरे समुदाय का काम सुरक्षा करना नहीं है बल्कि सरकार का है. रविवार को ढाकेश्वरी मंदिर में रोज की तरह शाम की आरती हुई इस दौरान आरती में स्थानीय हिंदू शामिल हुए.
बांग्लादेश में आक्रोश भले ही शांत हो गया है, लेकिन हिंसा और आगजनी के निशान आज भी ताजा हैं. पार्टी के समर्थक करीम उल हक ने आजतक को बताया कि उस दिन हुडदंगियों ने न सिर्फ हिंसा की ओर दफ्तर को तोड़ा बल्कि लाखों रुपये का सामान भी लूट कर ले गए. पार्टी की मुखिया शेख हसीना के कमरे से लेकर के पार्टी के मीटिंग हॉल बैठक और बिल्डिंग के तमाम हिस्सों को या तो जला दिया गया है या तोड़फोड़ दिया गया है.
इसी स्थिति के बीच बांग्लादेश के सड़कों से पुलिस नदारद है. शहर के बीचों-बीच पुलिस हेड क्वार्टर भी वीरान है जिसकी हिफाजत अब बांग्लादेश की सेना कर रही है. प्रदर्शन के दौरान पुलिस कर्मियों पर पत्थर बाजी हुई तो पुलिस हेडक्वार्टर को भी निशाना बनाया गया जिसके निशान ताजा है. टूटे-फूटे वीरान सुनसान पड़े हेड क्वार्टर के बाहर रविवार को कुछ पुलिसकर्मी प्रदर्शन करने आए थे जो अपनी नौकरी पर फिर से जाना चाहते हैं.
इन पुलिस कर्मियों में से एक करीम ने आजतक को बताया कि प्रदर्शन कार्यों पर कड़ी कार्यवाही करने का आदेश शेख हसीना की सरकार और सरकार में पुलिस विभाग में बैठ बड़े अधिकारियों का था. करीम ने कहा कि पुलिस कर्मियों ने अपने अधिकारियों का आदेश माना था और इस आदेश के चलते आज देश की जनता पुलिसकर्मियों को खोज रही है जिसकी वजह से तमाम पुलिस कर्मी या तो अंडरग्राउंड है या तो छुपे हुए हैं. आपको यह भी बता दें कि पूरे बांग्लादेश में कई इलाकों में पुलिस स्टेशनों को जला दिया गया था.