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पहले ऑपरेशन सिंदूर में राफेल गिरने का झूठ, अब टूरिज्म पर फर्जी बातें... चीन के प्रोपेगैंडा की खुली पोल

चीन के सोशल मीडिया पर एडिटेड वीडियो शेयर किए जा रहे हैं जो भारत के टूरिज्म के खिलाफ प्रोपेगैंडा फैला रहे हैं. चीनी प्रोपेगैंडा वीडियो में पश्चिमी इंफ्लूएंसर्स के ट्रैवल ब्लॉग से अपनी सहूलियत के हिसाब से क्लिप लिए जा रहे हैं और फिर उन्हें एडिट कर भारत की खराब छवि पेश करने की कोशिश की जा रही है.

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चीन भारतीय पर्यटन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है (Photo- PTI)
चीन भारतीय पर्यटन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है (Photo- PTI)

पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने भारतीय फाइटर जेट राफेल के कथित नुकसान को लेकर काफी प्रोपेगैंडा फैलाया था. अब चीन ने भारत के टूरिज्म को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में एक नया कैंपेन शुरू कर दिया है.

इंडिया टुडे की ओपन सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) टीम ने चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो और यूट्यूब पर कम से कम 100 ऐसे अकाउंट का खुलासा किया है, जो वीडियो के जरिए भारत को विदेशी यात्रियों के लिए एक गंदा, खराब और असुरक्षित स्थान के रूप में दिखा रहे हैं.

अपने कैंपेन को विश्वसनीय दिखाने के लिए ये चीनी अकाउंट्स पश्चिमी देशों के इंफ्लूएंसर्स के वीडियो ब्लॉग्स के कुछ हिस्सों को अपनी सहूलियत के हिसाब से उठाते हैं. सेलेक्टिव वीडियो क्लिप्स में अक्सर वो हिस्से होते हैं जिसमें पश्चिमी देशों के इंफ्लूएंसर्स भारत के बारे में शिकायत करते दिखते हैं.

चीन के प्रोपेगैंडा कैंपेन में पांच एडिटेड वीडियो शामिल हैं, जिनमें इंफ्लूएंसर्स भारत की स्वच्छता, सफाई, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, शहरी रोड ट्रैफिक मैनेजमेंट और महिला सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर भारत की आलोचना करते दिख रहे हैं.

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भारत के खिलाफ चीन की तरफ से यह कैंपेन 17 जुलाई को वीबो पर एक ब्रिटिश इंफ्लूएंसर की तरफ से शेयर किए गए वीडियो क्लिप से शुरू हुआ जो चीन के बाद भारत घूमने आया था. इस क्लिप के साथ चीनी भाषा में एक हैशटैग भी लिखा जिसका मतलब है- ब्रिटिश इंटरनेट सेलिब्रिटी जिसने चीन के बारे में शिकायत की, भारत में रो पड़ी.' इसमें वो रोते हुए कहती है, 'चीन के बारे में शिकायत करना अब मुझे बेवकूफी लगता है.'

प्रोपेगैंडा कैंपेन के क्लिप्स को चीन की तरफ से चुनिंदा ढंग से एडिट किया गया ताकि पश्चिमी इंफ्लूएंसर्स को भारत की आलोचना करते और चीन की तारीफ करते हुए दिखाया जा सके.

इस कैंपेन में भारत और चीन दोनों देशों की यात्रा करने वाले इंफ्लूएंसर्स के वीडियो क्लिप शामिल किए गए हैं. एडिटेड वीडियो चीनी सबटाइटल्स और वॉइस-ओवर के साथ साझा किए गए, ताकि चीन के लोग कंटेंट को अच्छे से समझ जाएं.

लेकिन सच्चाई कुछ अलग है. विदेशी पर्यटकों का भारत की साफ-सफाई और महिला सुरक्षा की आलोचना करना एक सच्चाई है लेकिन जिस तरीके से चीनी प्रोपेगैंडा में इसे बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जा रहा है, वो सच नहीं है.

इंफ्लूएंसर्स के मूल वीडियो को देखें तो, पता चलता है कि इंफ्लूएंसर्स को जिस जगह कोई खामी नजर आती है, वो उसकी तरफ इशारा करते हैं और जो चीजें उन्हें अच्छी लगती है, वो उनकी तारीफ करते हैं. उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया स्थित 'ट्रैवल फॉर फोएबे' यूट्यूब चैनल पर एक व्लॉग में राजस्थान के उदयपुर में भारतीय खाने और दर्शनीय स्थलों की तारीफ की गई है, साथ ही भारत में हैरेसमेंट की एक घटना का जिक्र है.

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हालांकि, चीनी प्रोपेगैंडा में केवल उसी हिस्से को उठाया गया जहां इंफ्लूएंसर हैरेसमेंट की शिकायत कर रही थी.

YouTube पर भी चल रहा चीनी कैंपेन

यह कैंपेन सिर्फ चीनी मैसेजिंग प्लेटफॉर्म वीबो तक ही सीमित नहीं है. कम से कम चार चीनी यूट्यूब चैनलों ने भी विदेशी इंफ्लूएंसर्स लोगों के ऐसे ही वीडियो अपलोड किए हैं. यूट्यूब पर दर्जनों की संख्या में अपलोड किए गए प्रोपेगैंडा वीडियो में भारत के लिए अपमानजनक शीर्षक का इस्तेमाल किया गया है जैसे- 'क्या चीनी टॉयलेट भारतीय रेस्तरां से अधिक साफ हैं?', 'पृथ्वी पर सबसे खराब देश' और 'ब्लॉगर खुशी-खुशी भारत गए, और रोते हुए घर लौटे.'

चीन अपनी छवि को बेहतर बनाने, अपने नैरेटिव और हितों को बढ़ावा देने के लिए दूसरे देशों के टार्गेट करता है और इसके लिए वो सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स का बखूबी इस्तेमाल करने के लिए जाना जाता है.

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में चीन ने अपनी सकारात्मक छवि को बढ़ावा देने के लिए अमेरिकी कंटेंट क्रिएटर्स को 10 दिनों की पूरी तरह से स्पॉन्सर्ड ट्रिप पर बुलाने के लिए एक प्रोग्राम की घोषणा की थी.

पिछले साल, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने कई इंफ्लूएंसर्स की पहचान की थी जिनके ट्रैवल और वीडियो प्रोडक्शन का खर्च कथित तौर पर चीन ने किया था. जांच में पता चला कि चीन उन भारतीय इंफ्लूएंसर्स को चीन समर्थक नैरेटिव को बढ़ावा देने के लिए पैसे दे रहा था. 

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