scorecardresearch
 

भारत के साथ टेंशन के बीच चीन ने बनाया नया सीमा कानून, बॉर्डर विवाद पर कही ये बात

एक जनवरी 2022 से लागू हो रहा ये कानून यह कहता है कि "चीन के जनवादी गणराज्य की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता अटूट और अनुल्लंघनीय है."

Advertisement
X
China President Xi Jinping
China President Xi Jinping
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चीन में नए भूमि सीमा कानून को मंजूरी
  • भारत के साथ सीमा विवाद पर पड़ेगा असर

चीन ने भूमि सीमा क्षेत्रों के संरक्षण पर एक नया कानून अपनाया है. ये कानून भारत के साथ बीजिंग के सीमा विवाद पर असर डाल सकता है. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) ने शनिवार को संसद सत्र की समापन बैठक में इस कानून को मंजूरी दी. 

अगले साल 1 जनवरी से लागू हो रहा ये कानून यह कहता है कि "चीन के जनवादी गणराज्य की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता अटूट और अनुल्लंघनीय है." रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन क्षेत्रीय अखंडता और भूमि की सीमाओं की रक्षा के लिए उपाय करेगा और क्षेत्रीय संप्रभुता और भूमि सीमाओं को कमजोर करने वाले किसी भी कार्य से बचाव करेगा. 

बॉर्डर विवाद को सुलझाने का भरोसा

इसमें कहा गया है कि समानता, आपसी विश्वास के सिद्धांत का पालन करते हुए चीन विवादों और लंबे समय से चले आ रहे सीमा मुद्दों को पड़ोसी देशों के साथ बातचीत के माध्यम से हल करेगा.

बता दें कि भारत और भूटान दो ऐसे देश हैं जिनके साथ चीन को अभी सीमा समझौतों को अंतिम रूप देना है, जबकि बीजिंग  12 अन्य पड़ोसियों के साथ सीमा विवाद सुलझाने का दावा करता है. पिछले हफ्ते, भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास हुई घटनाओं ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति को बुरी तरह से भंग किया है, और इसका स्पष्ट रूप से संबंधों पर व्यापक प्रभाव पड़ा है.

Advertisement

विदेश सचिव ने 21 अक्टूबर को "चीन की अर्थव्यवस्था का लाभ उठाने" पर एक सेमिनार में  विदेश मंत्री एस जयशंकर की बयान का भी जिक्र किया था. जयशंकर ने कहा था कि भारत और चीन की एक साथ काम करने की क्षमता एशियाई सदी के निर्धारित करेगी.

बता दें कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 3,488 किलोमीटर के क्षेत्र में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद है. वहीं भूटान के साथ चीन का विवाद दोनों के बीच की 400 किलोमीटर की सीमा पर है. 14 अक्टूबर को, चीन और भूटान ने सीमा वार्ता में तेजी लाने के लिए तीन-चरणीय रोडमैप को मजबूत करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. इसको लेकर बीजिंग ने कहा कि ये सीमा वार्ता को गति देने और राजनयिक संबंधों की स्थापना के लिए एक "सार्थक योगदान" देगा.

 

Advertisement
Advertisement