लाहौर के शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह के नाम पर रखने और वहां उनकी प्रतिमा स्थापित करने की योजना एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी की टिप्पणियों के बाद रद्द कर दी गई है. पंजाब प्रांत की सरकार ने अपने जवाब में कहा कि भगत सिंह स्वतंत्रता सेनानी नहीं, बल्कि आज की परिभाषा में आतंकवादी थे. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने हाईकोर्ट को ये जानकारी दी है.
लाहौर हाईकोर्ट में असिस्टेंट एडवोकेट जनरल असगर लेघारी ने शुक्रवार को लिखित जवाब में स्वतंत्रता सेनानी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे. भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान के अध्यक्ष इम्तियाज रशीद कुरैशी द्वारा एलएचसी में दायर अवमानना याचिका पर लाहौर मेट्रोपॉलिटन कॉरपोरेशन ने एक जवाब में कहा, "शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने और वहां उनकी प्रतिमा लगाने की लाहौर शहर जिला सरकार की प्रस्तावित योजना को कमोडोर (सेवानिवृत्त) तारिक मजीद द्वारा प्रस्तुत एक टिप्पणी के आलोक में रद्द कर दिया गया है."
'क्रांतिकारी नहीं, बल्कि अपराधी थे भगत सिंह'
इसमें कहा गया है कि शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने के लिए सरकार द्वारा बनाई गई समिति में शामिल मजीद ने अपनी टिप्पणियों में दावा किया कि भगत सिंह "क्रांतिकारी नहीं, बल्कि एक अपराधी थे और आज की परिभाषा में वह एक आतंकवादी थे. उन्होंने एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या की थी और इसके लिए इस अपराध के लिए उन्हें दो साथियों के साथ फांसी पर लटका दिया गया''
मजीद ने सरकार से सिफारिश की कि शादमान चौक का नाम भगत सिंह चौक नहीं रखा जाना चाहिए और वहां उनकी प्रतिमा भी नहीं लगाई जानी चाहिए.
'दुश्मन धार्मिक नेताओं से प्रभावित थे भगत सिंह'
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भगत सिंह "मुसलमानों के प्रति शत्रुतापूर्ण धार्मिक नेताओं से प्रभावित थे और एनजीओ भगत सिंह फाउंडेशन इस्लामी विचारधारा और पाकिस्तानी संस्कृति के खिलाफ काम कर रहा है, (और) इस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए."
"क्या फाउंडेशन के अधिकारी जो खुद को मुस्लिम कहते हैं. क्या वह नहीं जानते कि पाकिस्तान में किसी नास्तिक के नाम पर किसी जगह का नाम रखना स्वीकार्य नहीं है और इस्लाम मानव मूर्तियों पर प्रतिबंध लगाता है?"
रिपोर्ट के जवाब में कुरैशी ने रविवार को पीटीआई को बताया कि भगत सिंह को निर्विवाद रूप से एक महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी और शहीद घोषित किया गया था.
उन्होंने कहा, "मैं भगत सिंह फाउंडेशन के खिलाफ गंभीर आरोप लगाने के लिए सेवानिवृत्त कमोडोर मजीद को कानूनी नोटिस भेजूंगा और भगत सिंह पर उनके रुख का विरोध करूंगा."
अगले साल होगी मामले की सुनवाई
वकील खालिद ज़मान खान काकर के माध्यम से दायर अदालत की अवमानना याचिका में कुरैशी ने जिला सरकार, डीसी लाहौर, मुख्य सचिव पंजाब और प्रशासक सिटी जिला सरकार को पक्ष बनाया है. जिसमें कहा गया था कि एलएचसी न्यायाधीश शाहिद जमील खान ने संबंधितों को निर्देश जारी किए थे.
अधिकारियों ने 5 सितंबर 2018 को शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने के लिए कदम उठाने को कहा, लेकिन अदालत के आदेश को अभी तक लागू नहीं किया गया है.
याचिकाकर्ता के वकील की अनुपलब्धता के कारण एलएचसी न्यायमूर्ति शम्स महमूद मिर्जा ने अवमानना याचिका की सुनवाई 17 जनवरी, 2025 तक के लिए स्थगित कर दी है.
आपको बता दें कि ब्रिटिश सरकार के खिलाफ साजिश रचने और कथित तौर पर ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन पी सांडर्स की हत्या के आरोप भगत सिंह को गिरफ्तार किया था. इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने उन्हें और उनके दो साथी राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च, 1931 को फांसी दे दी.