पाकिस्तान में प्रतिबंधित आतंकी समूह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के एक वरिष्ठ कमांडर ने दावा किया है कि उनका संगठन बलूचिस्तान में प्रतिबंधित अलगाववादी समूहों के साथ मिलकर 60 अरब डॉलर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपैक) परियोजनाओं को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहा है. यह दावा अशांत बलूचिस्तान सूबे के गृहमंत्री मीर जिया लन्ग्रोव ने बुधवार को क्वेटा में किया.
लन्ग्रोव ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘तहरीक-ए-तालिबान के रक्षा शूरा (परिषद) प्रमुख नसरुल्लाह उर्फ मौलवी मंसूर को हाल में सुरक्षाबलों ने बलूचिस्तान से तब गिरफ्तार किया जब वह सूबे में आतंकवादी हमले की योजना बना रहा था. मौलवी मंसूर ने बलूचिस्तान में आतंकवादी गतिविधि को लेकर कुछ अहम खुलासे किए हैं.’ द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, ये गिरफ्तारियां संघीय कैबिनेट द्वारा ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकाम को मंजूरी दिए जाने के एक दिन बाद हुई है.
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मौलवी का वीडियो
संवाददाता सम्मेलन में एक वीडियो भी प्रसारित किया गया जिसमें मौलवी स्वीकार करता हुआ दिखाई दे रहा है कि टीटीपी, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के साथ मिलकर अपहरण की योजना बनाता है और अपहृत लोगों को अफगानिस्तान भेज दिया जाता है जबकि उन्हें लापता के तौर पर पेश किया जाता है.मंसूर ने कहा, 'मैं जर्ब अजाब ऑपरेशन के दौरान अफगानिस्तान भाग गया था और तब से मैं सीमा पर पाकिस्तानी सेना की चौकियों पर आतंकी हमले कर रहा था. टीटीपी और बीएलए कई क्षेत्रों में एक साथ काम कर रहे हैं. हम फिरौती के लिए लोगों का अपहरण करते हैं और पीड़ितों को अफगानिस्तान ले जाते हैं और फिर उन्हें लापता व्यक्ति के रूप में दिखाते हैं."
उन्होंने कहा कि बीएलए के शीर्ष कमांडरों ने भी टीटीपी के साथ अफगानिस्तान में शरण ली थी. लन्ग्रोव ने कहा कि आतंकवादियों के खिलाफ एक कठिन ऑपरेशन के बाद टीटीपी के दो शीर्ष कमांडरों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन गिरफ्तारी के स्थान का खुलासा नहीं किया. मौलवी मंसूर ने वीडियो में यह भी कबूल किया कि टीटीपी और बीएलए बलूचिस्तान में सीपीईसी परियोजनाओं को नुकसान पहुंचाने के लिए काम कर रहे थे.
चीनी परियोजनाओं पर होते रहे हैं हमले
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ने वाला सीपीईसी चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) की प्रमुख परियोजना है. बीआरआई को चीन द्वारा दुनिया भर में चीनी निवेश द्वारा वित्तपोषित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के माध्यम से विदेशों में अपने प्रभाव को बढ़ाने के प्रयास के रूप में देखा जाता है.
चीन ने 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर की CPEC योजना के तहत पाकिस्तान में विभिन्न बिजली परियोजनाओं और सड़क नेटवर्क में भी अरबों डॉलर का निवेश किया है. हाल के महीनों में इन उपक्रमों पर काम कर रहे चीनी कर्मियों पर आतंकी हमलों के बाद विभिन्न परियोजनाओं का काम धीमा हो गया है. द न्यूज इंटरनेशनल ने यह भी बताया कि मौलवी मंसूर के साथ इदरीस उर्फ 'इरशाद' को भी गिरफ्तार किया गया था.
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2024 में हमलों के आंकड़े
सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज (CRSS) द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में आतंकी हमलों और आतंकवाद विरोधी अभियानों की 245 घटनाओं की वजह से नागरिकों, सुरक्षा कर्मियों और अपराधियों के बीच हुई हिंसा से कम से कम 432 मौतें हुई हैं और 370 घायल हुए हैं.
इसमें कहा गया है, "ये आंकड़े केवल चालू वर्ष 2024 के पहले चार महीनों के हैं और इसमें 281 नागरिक और सुरक्षा बलों के हताहत होने की बात शामिल है. बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा को इन हमलों का खामियाजा भुगतना पड़ा है, जहां 92 प्रतिशत मौतें हुई हैं और 86 प्रतिशत हमले, जिनमें आतंकवाद और सुरक्षा बलों के अभियानों से संबंधित हमले भी शामिल हैं, इन दो प्रांतों में हुए हैं."