बांग्लादेश में अगले साल अप्रैल तक संसदीय चुनाव कराने की सरकार की घोषणा का देश की दो बड़ी मुख्य पार्टियों ने विरोध किया है. पिछले साल अगस्त में कथित क्रांति के बाद सत्ता से बाहर कर दी गई शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग ने तो इस चुनाव प्लान का विरोध किया ही है. बांग्लादेश की पूर्व पीएम और शेख हसीना की कट्टर प्रतिद्वंदी रहीं खालिदा जिया की पार्टी BNP ने भी अप्रैल तक चुनाव खींचने का विरोध किया है.
खालिदा जिया की पार्टी BNP मुहम्मद यूनुस के खिलाफ खुलकर आ गई है. BNP अप्रैल 2026 में देश में आम चुनाव कराने का खुलकर विरोध कर रही है.
बीएनपी की स्थायी समिति के सदस्य आमिर खासरू महमूद चौधरी ने अंतरिम सरकार से पूछा है कि अगले साल अप्रैल में संसदीय चुनाव कराकर मुहम्मद यूनुस किसका हित साधना चाह रहे हैं
रविवार को एक कार्यक्रम में आमिर खासरू महमूद चौधरी ने साफ साफ कहा, "चुनाव के मुद्दे पर सरकार अपनी तटस्थता खो रही है."
BNP ने कहा कि अप्रैल 2026 में चुनाव कराने में कई परेशानियां हैं. रमजान, खराब मौसम और परीक्षाओं जैसे मुद्दों का जिक्र करते हुए बीएनपी नेता ने कहा कि इस अवधि के दौरान चुनाव कराना पूरी तरह से अव्यावहारिक है क्योंकि यह सही समय नहीं है.
"अधिकांश राजनीतिक दल चाहते हैं कि चुनाव दिसंबर तक हो जाएं और इससे आगे जाने का कोई तार्किक कारण नहीं है. यह अगस्त या सितंबर में भी हो सकता है."
खसरू ने कहा कि अप्रैल में चुनाव का समय बिल्कुल अतार्किक है. BNP ने सरकार की मंशा पर सीधे सीधेर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे किसके हित सधेंगे.
“अगर कुछ व्यक्तियों के हित कायम रहते हैं, तो इस बात पर संदेह है कि अंतरिम सरकार के तहत आगामी चुनाव निष्पक्ष होंगे या नहीं.”
उन्होंने सरकार से सभी दलों के बीच आम सहमति के आधार पर चुनाव की तारीख तय करने का आग्रह किया.
बता दें कि 6 जून की शाम को मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने घोषणा की कि अगला राष्ट्रीय चुनाव अप्रैल 2026 के पहले पखवाड़े में किसी भी दिन होगा.
शेख हसीना की पार्टी ने किया चुनाव का विरोध
बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना अभी भारत में रह रही हैं. उनकी पार्टी आवामी लीग ने इस चुनाव प्लान का विरोध किया है. गौरतलब है कि यूनुस सरकार ने शेख हसीना की पार्टी को प्रतिबंधित कर दिया है और अब यह पार्टी बांग्लादेश में चुनाव ही नहीं लड़ सकती है. इस पार्टी के नेता अब भारत समेत कई देशों में शरण लिए हुए हैं.
इस फैसले का विरोध करते हुए बांग्लादेश आवामी लीग यूएसए के नेता रब्बी आलम ने कहा कि हमारा संविधान राष्ट्र के मूल सिद्धांतों का मूल है और यह संविधान अधिकार देता है. शेख हसीना लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई हैं. हम इस तथाकथित चुनाव की निंदा करेंगे क्योंकि हमारे संविधान के अनुसार शेख हसीना 2029 तक प्रधानमंत्री हैं. लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में जनता ही मुख्य शक्ति होती है. लोगों ने वोट देकर शेख हसीना को चुना है."
दिसंबर तक चुनाव कराने का वादा
वहीं बीएनपी ने बार बार वादा किया है कि पार्टी इस वर्ष दिसंबर तक अगला संसदीय चुनाव करवाएगी. मुहम्मद यूनुस की नई घोषणा के बाद अभी तक अपनी अगली कार्रवाई तय नहीं की है. पार्टी ईद की छुट्टियों के बाद समान विचारधारा वाले दलों और सहयोगियों के साथ चर्चा करके अगली कार्ययोजना तय करेगी.
बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरूल इस्लाम ने कहा, " अप्रैल की जो समय-सीमा तय की गई है वह बांग्लादेश में चुनाव कराने के लिए उपयुक्त नहीं है. अप्रैल में भीषण गर्मी पड़ती है और तूफान और भारी बारिश का खतरा रहता है. यह रमजान के तुरंत बाद आता है और इसी समय सार्वजनिक परीक्षाएं भी होती हैं. हमें नहीं लगता कि समय-सीमा ईमानदारी से तय की गई है. इसके अलावा, रमजान के दौरान चुनाव अभियान चलाना बेहद मुश्किल होगा"
बीएनपी नेताओं का तर्क है कि अप्रैल के पहले पखवाड़े में मौसम खराब रहने की संभावना है. इसके अलावा रमजान के दौरान प्रचार अभियान ऐसी स्थिति पैदा कर सकते हैं, जहां वे चुनाव में और देरी करने पर विचार कर सकते हैं.