बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को लेकर हताश और उदास करने वाली खबर आ रही है. अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस की अगुआई में चल रहा बांग्लादेश कर्ज के भंयकर जाल में फंस गया है. ये जानकारी किसी विदेश एजेंसी ने नहीं बल्कि बांग्लादेश की सरकार की एजेंसियों ने ही दी है. बांग्लादेश के वित्त मंत्रालय के अनुसार इस साल मार्च तक बांग्लादेश का कुल बकाया कर्ज 19,99,928 करोड़ टका था. इसमें से विदेशी कर्ज 8,41,992 करोड़ टका था. इस दौरान मुल्क में विदेशी निवेश लगभग निल हो गया है.
बांग्लादेश "कर्ज के जाल" में फंस गया है. आज की तारीख में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा खर्च कर्ज का सूद चुकाना बन गया है. जबकि टैक्स-टू-GDP रेश्यो 10 प्रतिशत से घटकर लगभग 7 प्रतिशत हो गया है. ये बातें देश के रेवेन्यू अथॉरिटी के प्रमुख ने कही है.
ढाका में एक सेमिनार में बोलते हुए नेशनल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (NBR) के चेयरमैन एम अब्दुर रहमान खान ने चेतावनी दी कि बांग्लादेश धीरे-धीरे "एक खतरनाक और मजबूरी वाली निर्भरता" की ओर बढ़ रहा है. जिसका मुख्य कारण उसका लगातार कम रेवेन्यू-GDP रेश्यो है.
'दुबले-पतले इंसान को वजन घटाने कहा जा रहा है'
उन्होंने कहा, "हम पहले ही कर्ज के जाल में फंस चुके हैं. इस सच्चाई को माने बिना आगे बढ़ना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि यह ट्रेंड "ऐसी इकॉनमी के लिए खतरनाक है जो पहले से ही सीमित फिस्कल स्पेस से जूझ रही है."
सेमिनार में मौजूद थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी डायलॉगके फेलो और जाने-माने अर्थशास्त्री मुस्तफिजुर रहमान ने कहा कि रेवेन्यू बजट में सैलरी और पेंशन के बाद दूसरा सबसे बड़ा खर्च एग्रीकल्चर और एजुकेशन पर होता था जबकि "अब यह इंटरेस्ट पेमेंट पर होता है."
फाइनेंस सेक्रेटरी एम खैरूज्जमां मजूमदार ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार इस साल का नेशनल बजट छोटा था.
उन्होंने कम बजट आवंटन की तुलना ऐसी स्थिति से की जब "एक पतले आदमी को और वजन कम करने के लिए कहा जाता है" और चेतावनी दी कि अगर बजट में ज़्यादा कटौती जारी रही, तो बुनियादी विकास की समस्याएं सामने आएंगी.
मजूमदार ने कहा कि देश की आमदनी आर्थिक जरूरतों से काफी कम रही है.
सेमिनार में हिस्सा लेने वाले बांग्लादेश बैंक के गवर्नर अहसान एच मंसूर ने कहा कि नॉन-परफॉर्मिंग लोन से निपटने के लिए कानूनी सुधार किए जा रहे हैं और ऑपरेशन्स को चालू रखने के लिए "रिंग-फेंसिंग" पॉलिसी अपनाते हुए देश और विदेश दोनों जगह एसेट्स को रिकवर करने के उपाय किए गए हैं.
कुल विदेशी कर्ज $104.48 बिलियन
इस बीच वर्ल्ड बैंक की इंटरनेशनल डेट रिपोर्ट 2025 के डेटा से पता चलता है कि पिछले पांच सालों में बांग्लादेश का बाहरी कर्ज 42 प्रतिशत बढ़ गया है, और 2024 के आखिर तक कुल विदेशी कर्ज $104.48 बिलियन तक पहुंच गया है.
बांग्लादेश में अब बाहरी कर्ज एक्सपोर्ट से होने वाली कमाई का 192 परसेंट हो गया है, और कर्ज चुकाने का पेमेंट बढ़कर एक्सपोर्ट का 16 परसेंट हो गया है.
वर्ल्ड बैंक ने बांग्लादेश को उन देशों में से एक बताया है जहां बाहरी कर्ज चुकाने का दबाव तेजी से बढ़ रहा है, जबकि श्रीलंका को इसी कैटेगरी में एकमात्र दूसरा दक्षिण एशियाई देश बताया है.
वित्त मंत्रालय के डेटा के अनुसार इस साल मार्च तक बांग्लादेश का कुल बकाया कर्ज़ 19,99,928 करोड़ टका था जिसमें से विदेशी कर्ज़ 8,41,992 करोड़ टका था.
पिछले महीने बांग्लादेश बैंक ने सिर्फ छह महीनों में डिफॉल्ट लोन में 2.24 लाख करोड़ टका की भारी बढ़ोतरी की रिपोर्ट दी थी, जो सितंबर के आखिर में बढ़कर 6.44 लाख करोड़ टका हो गया था. ये कुल बैंकिंग क्रेडिट का 35.7 प्रतिशत है.
सेंट्रल बैंक ने कहा था कि पिछले साल दिसंबर में 3.45 लाख करोड़ टका से इस साल के पहले नौ महीनों में डिफॉल्ट लोन बढ़कर लगभग 3 लाख करोड़ टका हो गया.
बैंक के आंकड़ों से पता चला कि कुल डिफॉल्ट लोन दर मार्च में 24 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर के आखिर में 35.73 प्रतिशत हो गई.
पैसा लगाने को तैयार नहीं निवेशक
बांग्लादेश की इकोनॉमी पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति ने बैंकिंग सिस्टम की कमजोर हालत को उजागर किया और फाइनेंशियल गवर्नेंस को लेकर चिंताएं बढ़ा दीं है. इस समय इकोनॉमी इन्वेस्टमेंट की कमी से जूझ रही है.
प्रोथोम आलो अखबार ने एक रिपोर्ट में कहा कि, "बांग्लादेश ने पहले कभी इन्वेस्टमेंट में इतनी बड़ी गिरावट नहीं देखी थी."
इस रिपोर्ट में मौजूदा "अशांति" और "अनिश्चितता" को इस गिरावट का मुख्य कारण बताया गया है. इसमें एनर्जी संकट, ज़्यादा ब्याज दर, ज़्यादा महंगाई, कम सैलरी, खरीदने की क्षमता में कमी, राजनीतिक हिंसा और लोकतंत्र की कमी जैसे वजहों की ओर इशारा किया गया है.
पाकिस्तान की राह पर बांग्लादेश की इकोनॉमी
बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था कभी एशिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली मानी जाती थी. लेकिन अगस्त 2024 के राजनीतिक उथल पुथल के बाद इस देश की इकोनॉमी लगातार नीचे जा रही है. पाकिस्तान की तरह, बांग्लादेश भी आईएमएफ के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है, लेकिन चीन और अन्य साझेदारों से रोलओवर पर निर्भरता बढ़ रही है. यदि सुधार न हुए, तो 2026 तक पूर्ण कर्ज संकट अनिवार्य हो सकता है, निवेशक विश्वास खो चुके हैं और आर्थिक विकास रुक चुका है. ऐसे में बांग्लादेश को आखिरकार वर्ल्ड बैंक के दरवाजे पर जाना ही पड़ेगा. आज ही पाकिस्तान को वर्ल्ड बैंक ने कर्जे की नई खेप मंजूर की है.