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मशहूर लेखिका झुम्पा लाहिड़ी ने न्यूयार्क म्यूजियम में अवॉर्ड लेने से किया इनकार, जानिए क्या है वजह?

पुलित्जर पुरस्कार विजेता और मशहूर लेखिका झुम्पा लाहिड़ी ने न्यूयॉर्क शहर के नोगुची संग्रहालय से पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया है. क्योंकि संग्रहालय ने तीन कर्मचारियों को केफियेह हेड स्कार्फ (फिलिस्तीनी एकजुटता का प्रतीक) पहनने के कारण नौकरी से निकाल दिया है.

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पुलित्जर पुरस्कार विजेता और लेखिका झुम्पा लाहिड़ी. (फोटो: रॉयटर्स)
पुलित्जर पुरस्कार विजेता और लेखिका झुम्पा लाहिड़ी. (फोटो: रॉयटर्स)

मशहूर लेखिका झुम्पा लाहिड़ी ने न्यूयॉर्क शहर के नोगुची म्यूजियम से अवॉर्ड लेने से इनकार कर दिया है. वे केफियेह पर प्रतिबंध लगाए जाने से नाराज हैं और उसी के विरोध में उन्होंने अवॉर्ड ठुकरा दिया है. हालांकि, म्यूजियम का कहना है कि झुम्पा के निर्णय का सम्मान करते हैं, लेकिन नई ड्रेस कोड पॉलिसी में केफियेह पर प्रतिबंध लगाया गया है. 

इससे पहले म्यूजियम ने केफियेह (काले या सफेद कपड़े) पहनने के आरोप में तीन कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था. दरअसल, केफियेह को फिलिस्तीनी एकजुटता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. 

झुम्पा लाहिड़ी, भारतीय मूल की अमेरिकी लेखिका हैं. वे उपन्यास, निबंध और लघु कहानियां लिखने के लिए फेमस हैं. लाहिड़ी की बड़ी खासियत है कि उनकी लेखन शैली बहुत सरल है.

'हम उनके नजरिए का सम्मान करते हैं'

म्यूजियम ने बुधवार को बयान में कहा, पुलित्जर अवॉर्ड विजेता लेखिका ने अपना नॉमिनेशन वापस ले लिया है. झुम्पा लाहिड़ी ने हमारी अपडेटेड ड्रेस कोड पॉलिसी के जवाब में 2024 इसामु नोगुची पुरस्कार की अपनी स्वीकृति वापस लेने का फैसला किया है. हम उनके दृष्टिकोण का सम्मान करते हैं और समझते हैं कि यह पॉलिसी सभी के विचारों से मेल खा भी सकती है और नहीं भी. लाहिड़ी को उनकी पुस्तक "इंटरप्रेटर ऑफ मैलेडीज" के लिए 2000 में पुलित्जर पुरस्कार मिला था. न्यूयॉर्क टाइम्स ने सबसे पहले यह खबर दी है.

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'फिलिस्तीनी एकजुटता का प्रतीक है केफियेह'

इजरायल के गाजा में हमले के बाद दुनियाभर में प्रदर्शनकारी युद्ध समाप्त करने की मांग कर रहे हैं और काले-सफेद केफियेह सिर का स्कार्फ पहन रहे हैं. ये फिलिस्तीनी एकजुटता का प्रतीक है.

रंगभेद विरोधी दक्षिण अफ्रीकी नेता नेल्सन मंडेला को भी कई अवसरों पर यह स्कार्फ पहने देखा गया है. दूसरी ओर इजराइल के समर्थकों का कहना है कि यह चरमपंथ को बढ़ावा देने जैसा है.

नवंबर में वर्मोंट में फिलिस्तीनी मूल के तीन छात्रों पर हमला किया गया था. उनमें से दो केफियेह पहने हुए थे. गाजा पर इजरायल के हमले में हजारों लोग मारे गए हैं और लगभग सभी लोग पलायन कर गए थे. 

'सालभर से इजरायल-हमास के बीच चल रहा है युद्ध'

7 अक्टूबर को सबसे पहले फिलिस्तीन समर्थित हमास के लड़ाकों ने इजरायल पर घुसकर हमला किया था और सैकड़ों लोगों को मार दिया था. करीब 250 लोगों को बंधक बनाकर गाजा ले गए थे. उसके बाद इजरायल ने पलटवार करने का ऐलान किया और हमास के आखिरी लड़ाके को मार गिराने तक युद्ध समाप्त ना करने की कसम खाई है.

पिछले महीने जापानी अमेरिकी मूर्तिकार इसामु नोगुची द्वारा स्थापित कला संग्रहालय ने एक पॉलिसी की घोषणा की है, जिसके तहत कर्मचारियों को राजनीतिक संदेश, नारे या प्रतीक से जुड़ा कुछ भी पहनने या दर्शाने पर रोक लगा दी है. तीन कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है. इजरायल-गाजा युद्ध पर अपने रुख के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका में अन्य लोगों को भी अपनी नौकरियां खोनी पड़ी हैं.

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मई में न्यूयॉर्क शहर के एक अस्पताल ने एक फिलिस्तीनी अमेरिकी नर्स को नौकरी से निकाल दिया था. उसने एक पुरस्कार के लिए भाषण के दौरान गाजा में इजरायल की कार्रवाई को नरसंहार बताया था. इजरायल ने इंटरनेशनल कोर्ट में नरसंहार के आरोपों से इनकार किया है.

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