पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अब जंग की आहट दिख रही है. तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद से ही दोनों देशों में धीरे-धीरे बढ़ रहा था, लेकिन मंगलवार को पाकिस्तान की ओर से अफगानिस्तान के पूर्वी पक्तिका प्रांत पर की गई एयरस्ट्राइक के बाद तनाव चरम पर पहुंच गया. ये इस साल दूसरा ऐसा मामला है जब पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की सीमा में घुसकर हमला किया हो. इस हवाई अटैक के बाद अब तालिबान ने भी बदला लेने की धमकी दे दी है. ऐसे में आइए आपको बताते हैं कि आखिर पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अगर जंग हुई तो कौन भारी पड़ेगा?
जानें दोनों देशों में कौन कितना असरदार
दोनों देशों की सैन्य ताकत की बात करें तो पाकिस्तान के मुकाबले अफगानिस्तान की सेना हर मोर्च पर कमजोर दिखती है. रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी सैनिकों की कुल संख्या साढ़े 6 लाख से ज्यादा है. हवाई ताकत के मामले में भी पाकिस्तान भारी है. उसके पास 1400 से ज्यादा विमान हैं. टैंकरों की संख्या भी साढ़े 3 हजार से ज्यादा है. वहीं, पाकिस्तान के पास 50 हजार से ज्यादा आर्म्ड व्हीकल भी हैं. नेवी की ताकत भी अफगानिस्तान से कहीं ज्यादा है. 387 लड़ाकू विमान भी पाकिस्तान के पास हैं.
अफगानिस्तान के पास क्या है...
अफगानिस्तान की सेना की बात करें तो अफगानिस्तान के पास 3 लाख से ज्यादा सैनिक हैं. इसमें अफगान आर्मी, एयर फोर्स और पुलिस बल की संख्या भी है. अफगानिस्तान की वायु सेना के पास भी कोई खास ताकत नहीं है. अफगानिस्तान के सामने जो सबसे बड़ी मुसीबत है वो ये है कि उसके सैनिक प्रशिक्षित नहीं हैं. वायु सेना में तो उसकी ताकत बेहद ही कम है.
लेकिन अमेरिका ने अफगानिस्तान को बनाया मजबूत?
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान में लगभग 7 बिलियन डॉलर मूल्य के सैन्य उपकरण छोड़े हैं. इममें M4 कार्बाइन, 82 एमएम मोर्टार लॉन्चर, M16 राइफल और सेना के हथियार के साथ-साथ सैन्य वाहन, नाइट विजन, ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर, A29 लड़ाकू विमान, संचार और निगरानी में इस्तेमाल होने वाले उपकरण शामिल हैं. वहीं, बताते हैं कि रूसी हथियारों का भी बड़ा जखीरा अफगानिस्तान में है जो अब तालिबानी लड़ाकों के कब्जे में है. बता दें कि लंबे समय तक अफगानिस्तान में अमेरिका और रूस का बेस रहा है.
लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अफगानिस्तान की सेना के पास इन आधुनिक हथियारों को चलाने की दक्षता ही नहीं है. जिसके चलते ये हथियार बर्बाद हो रहे हैं.
फिर भी पाकिस्तान के लिए क्यों अफगानिस्तान चुनौती
इस बात में कोई संदेह नहीं की पाकिस्तान के मुकाबले अफगानिस्तान हर मोर्चे पर कमजोर है. लेकिन अगर युद्ध हुआ तो पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. दरअसल, तालिबान के लड़ाके हमले में माहिर हैं. जानकार बताते हैं कि तालिबान की सेना को उनके आंकड़ों पर जज नहीं किया जाना चाहिए. क्योंकि उनके लड़ाकों की संख्या जरूरत के हिसाब से बढ़ती रहती है. तालिबान के पास छिपकर युद्ध लड़ने की कमाल की कला है.
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तालिबान की ये रणनीति भी मजबूत
अफगान तालिबान के पास भारी मात्रा में हथियार और दुर्गम इलाकों में छिपने की क्षमता है. उनके पास एके-47, मोर्टार, रॉकेट लॉन्चर जैसे आधुनिक हथियारों का विशाल भंडार है. इसके अलावा, तालिबानी लड़ाके उन पहाड़ों और गुफाओं से हमले करते हैं, जिनके बारे में पाकिस्तानी सेना को जानकारी तक नहीं है.
तालिबान को इंटरनेशनल प्रेशर का डर नहीं
अफगान तालिबान लंबे समय से यह दिखाता आया है कि वह किसी भी बड़े सैन्य शक्ति के सामने झुकने वाला नहीं है. अमेरिका और रूस जैसी महाशक्तियों को उसने वर्षों तक चुनौती दी और आखिरकार उन्हें अफगानिस्तान से लौटने पर मजबूर कर दिया. पाकिस्तान के पास न तो वैसी सैन्य ताकत है और न ही आर्थिक क्षमता, जिससे वह तालिबान का सामना कर सके.
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पाकिस्तान की ओर बढ़ रहे 15 हजार लड़ाके
रिपोर्ट के मुताबिक, एयरस्ट्राइक के बाद करीब 15 हजार तालिबान के लड़ाके पाकिस्तान की ओर बढ़ रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, लगभग 15 हजार तालिबानी लड़ाके काबुल, कंधार और हेरात से निकलकर खैबर पख्तूनख्वा के मीर अली बॉर्डर की ओर बढ़ रहे हैं. तालिबान प्रवक्ता ने कहा है कि पाकिस्तान को उसकी कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब मिलेगा.