अमेरिका और चीन एक दूसरे पर निशाना साधने का एक भी मौका नहीं छोड़ रहे हैं. कई मुद्दों एक दूसरे के आमने-सामने रहने वाले देश अब फिर तकरार करते दिख रहे हैं. इस तकरार की वजह है Summit for Democracy कार्यक्रम जिसमें दुनिया के कई दिग्गजों ने हिस्सा लिया. पीएम मोदी ने भी इस कार्यक्रम में अपने विचार रखे थे.
चीन का अमेरिका पर वार
अब क्योंकि इस कार्यक्रम में रूस और चीन को नहीं बुलाया गया, ऐसे में विवाद तो खड़ा हुआ ही, साथ ही अमेरिका पर भी तीखा प्रहार किया गया. चीन ने जोर देकर कहा कि अमेरिका पूरी दुनिया को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने की कोशिश करता लेकिन फिर इसी लोकतंत्र का इस्तेमाल पूरी दुनिया को बांटने के लिए करता है.
जारी बयान में चीन ने कहा कि लोकतंत्र के नाम पर भटकाना, लोगों को आमने-सामने खड़ा कर देना, ऐसा कर सिर्फ दुनिया को पीछे खींचना होता है. ऐसा करने से पूरी दुनिया में सिर्फ तबाही ही आएगी. ये तो लंबे समय से देखा गया है अमेरिका अपने सिद्धांतों को पूरी दुनिया पर थोपता आया है, इसका हमेशा ही गलत परिणाम देखने को भी मिला.
अमेरिका सिर्फ हस्तक्षेप करता है- चीन
चीन ने आगे कहा कि अमेरिका ने तो लोकतंत्र का इस्तेमाल सिर्फ दूसरे देशों के मामलों में दखलअंदाजी करने के लिए किया है. इस कार्यक्रम के जरिए भी अमेरिका ने लोकतंत्र को सिर्फ हथियार की तरह इस्तेमाल किया है. वैसे चीन को ज्यादा गुस्सा इसलिए भी आया क्योंकि अमेरिका की तरफ से इस कार्यक्रम में ताइवान को भी बुलाया गया. अब क्योंकि चीन, ताइवान को अपने देश का अहम हिस्सा मानता है, ऐसे में उसने अमेरिका के इस कदम को हस्तक्षेप का नाम दे दिया है.
बता दें कि Summit for Democracy में अमेरिका ने पाकिस्तान को भी न्योता दिया था. लेकिन बताया जा रहा है कि कार्यक्रम से एक दिन पहले ही चीन की तरफ से पाकिस्तान को फोन मिलाया गया और पाक ने भी हिस्सा लेने से मना कर दिया. वैसे इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जरूर लोकतंत्र को लेकर बड़े बयान दिए. उनके मुताबिक आने वाले समय में दुनिया के सामने कई चुनौतियां आने वाली हैं. लेकिन सभी एकजुट होकर उनका सामना करेंगे. ये भी कहा गया कि साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों में और ज्यादा विकास की जरूरत है जिससे आने वाली पीढ़ियां भी लोकतंत्र का वहीं लाभ उठा सकें, जो अभी उठाया जा रहा है.