अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुए भीषण धमाके में 100 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबर हैं जिनमें करीब 90 अफगान नागरिक हैं. भीड़ के बीच घुसकर हुए आत्मघाती हमले के बाद हर तरफ चीख-पुकार मच गई. घायलों को परिजन अस्पताल लेकर भागे. काबुल एयरपोर्ट के करीब हुए ये धमाके इतने भीषण थे कि प्रत्यक्षदर्शी इनकी तुलना कयामत के दिन से कर रहे हैं.
अफगानिस्तान से बाहर निकलने की आस लिए बड़ी संख्या में लोग काबुल एयरपोर्ट के बाहर कतार में खड़े थे. लंबी लाइन लगी थी. इस भीड़ में कई लोग ऐसे थे जो कतार में 10 घंटे या इससे भी ज्यादा समय से खड़े थे. देश छोड़ने की उम्मीद में हवाई अड्डे के बाहर खड़े लोगों के बीच आत्मघाती धमाके के बाद तबाही का मंजर था. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक एक इंटरनेशनल डेवलपमेंट ग्रुप का कर्मचारी भी उस समय कतार में खड़ा था. कर्मचारी ने विस्फोट को भयावह बताया और कहा कि इस जीवन में कयामत देखना भले संभव नहीं है लेकिन आज इसे मैंने अपनी आंखों से देखा है.
कर्मचारी के मुताबिक वह करीब 10 घंटे से हवाई अड्डे के बाहर लाइन में लगा था. शाम करीब 5 बजे जोरदार धमाका हुआ. उसने आगे बताया कि ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे पैरों के नीचे से जमीन खींच ली हो. एक पल के लिए तो ऐसा लगा कि मेरे कान के पर्दे फट गए हैं, सुनने की शक्ति गंवा दी है. विस्फोट के वक्त का मंजर याद करते हुए प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि शरीर के अंग हवा में उड़ रहे थे जैसे बवंडर में प्लास्टिक के थैले उड़ते हैं. घटनास्थल पर शव और शरीर के अंग बिखरे हुए थे.
काबुल में हमलों के बाद सुरक्षाकर्मी मौके पर पहुंचकर घेराबंदी कर मृतकों और घायलों को अस्पताल ले जाते थे, लोगों को पिछले 20 साल से इसकी आदत पड़ गई थी लेकिन इसबार ऐसा नहीं हुआ. घायलों को अस्पताल ले जाया गया तो सदमे में जीवित बचे लोगों को छोड़ दिया गया. विस्फोट के बाद मृतकों या घायलों को अस्पताल ले जाने वाला कोई नहीं था. शव और घायल सड़क पर, नहर में पड़े थे. नहर में बहता थोड़ा सा पानी खून से रंग गया था.
धमाके में मारे गए 13 अमेरिकी
काबुल एयरपोर्ट पर हुए धमाके में मारे गए लोगों में 13 अमेरिकी भी शामिल हैं. इस हमले में 90 अफगान नागरिक मारे गए हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से अफगानिस्तान के बाहर निकलने के लिए निर्धारित 31 अगस्त की समय सीमा से ठीक पांच दिन पहले हुए धमाकों को अमेरिकी सेना के लिए साल 2011 से अब तक का सबसे घातक दिन माना जा रहा है. बता दें कि व्हाइट हाउस के मुताबिक 14 अगस्त से अब तक करीब एक लाख लोगों को अफगानिस्तान से निकाल लिया गया है.