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अफगान राजदूत चुपचाप दूतावास छोड़ चले गए, चीन को भी नहीं लगी भनक

चीन में अफगानिस्तान के राजदूत ने अपना पद छोड़ दिया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पत्र साझा किया है जिसमें उन्होंने बताया कि दूतावास के कई राजनयिक पहले ही सैलरी न मिलने के कारण नौकरी छोड़ चुके हैं. चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि कैम ने बिना कोई जानकारी दिए देश छोड़ दिया है.

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जाविद अहमद कैम ने राजदूत का अपना पद छोड़ दिया है (Photo- Reuters)
जाविद अहमद कैम ने राजदूत का अपना पद छोड़ दिया है (Photo- Reuters)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चीन में अफगानिस्तान के राजदूत ने छोड़ा पद
  • महीनों से नहीं मिली सैलरी
  • चीन बोला- नहीं पता कहां गए कैम

चीन में अफगानिस्तान के राजदूत जाविद अहमद कैम ने महीनों सैलरी नहीं मिलने पर अपना पद छोड़ दिया है. तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के बाद से ही उन्हें और दूतावास के बाकी स्टाफ को सैलरी नहीं दी जा रही है. कैम को पिछले 6 महीने की सैलरी नहीं मिली है जिसके कारण उन्होंने राजदूत के अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसकी जानकारी उन्होंने ट्विटर के जरिए दी है.

कैम ने अपने इस्तीफे के पत्र को ट्विटर पर भी पोस्ट किया गया है जिसमें उन्होंने कहा कि दूतावास में कई राजनयिक पहले ही जा चुके हैं. अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने उन्हें अगस्त से ही वेतन नहीं भेजा था. पद छोड़ने के अपने फैसले पर कैम ने कहा, 'व्यक्तिगत और पेशेवर कई कारण हैं, लेकिन मैं यहां उनका उल्लेख नहीं करना चाहता.'

चीन और अफगानिस्तान के बीच की अंतर्राष्ट्रीय सीमा ज्यादा लंबी नहीं है. तालिबान के सत्ता में आने के बाद चीन ने मानवीय सहायता भेजकर अफगानिस्तान की मदद भी की है.

अपने पत्र में कैम ने ये भी कहा है कि दूतावास में एक नए व्यक्ति 'मिस्टर सादत' की नियुक्ति की गई है. अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने हालांकि इस बात का जवाब नहीं दिया है कि जाविद अहमद कैम की जगह किसे नियुक्त किया जाएगा.

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चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने मंगलवार को एक ब्रीफिंग में कहा कि कैम ने बिना ये बताए कि वो कब और कहां जाएंगे, चीन छोड़ दिया है. 

चीन ने तालिबान की सरकार को मान्यता नहीं दी है. अमेरिका समेत कई देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से अफगानिस्तान की आर्थिक हालत बेहद खराब हो गई है. तालिबान की अचानक सत्ता में वापसी की वजह से तमाम राजनयिकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

कैम ने अपने पत्र में कहा है कि 1 जनवरी तक दूतावास के एक बैंक खाते में एक लाख डॉलर शेष थे. साथ ही एक दूसरे खाते में अज्ञात राशि भी थी. पत्र में यह भी कहा गया है कि दूतावास की पांच कारों की चाबियां कैम के कार्यालय में छोड़ दी जाएंगी. इनमें दो पुरानी कारें हैं जिनकी मरम्मत की जरूरत है.'
 
पत्र में कैम ने कहा कि उन्होंने सभी स्थानीय चीनी कर्मचारियों को सैलरी का भुगतान कर दिया है और उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं. उन्होंने लिखा, 'मैंने 20 जनवरी, 2022 तक सभी स्थानीय कर्मचारियों को भुगतान किया है. उनका नौकरी समाप्त हो गई है.'

वहीं, चीन की बात करें तो, वो अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से कहता रहा है कि वो समावेशी बने और तमाम सुधारों को लागू करे. चीन ने तालिबान से उन समूहों पर कार्रवाई की भी बात कही है जिन्हें वह अपने सुदूर पश्चिमी क्षेत्र शिनजियांग में स्थिरता के लिए खतरा मानता है.

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चीन ने पाकिस्तान की तरह ही पश्चिमी देशों से अफगानिस्तान पर लगाए प्रतिबंधों को समाप्त करने और मानवीय सहायता भेजने का भी आह्वान किया है. तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान की जनता आर्थिक बदहाली का सामना कर रही है. देश में खाने-पीने की सभी जरूरी सामानों की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है और लोग भुखमरी का शिकार हो रहे हैं. 

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