अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर रूस ने अमेरिका को आड़े हाथों लिया है. रूस ने अफगानिस्तान में लगातार बिगड़ते हालात के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है. रूस ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका अफगानिस्तान में अपने मिशन में विफल रहा है और युद्धग्रस्त देश की तेजी से बिगड़ती स्थिति के लिए विदेशी सैनिकों की वापसी को जिम्मेदार ठहराया. अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी के बाद ही तालिबान तेजी से अफगानिस्तान के विभिन्न हिस्सों पर कब्जा कर रहा है. आतंकी गुट का दावा है कि उसने अफगानिस्तान के 85 फीसदी हिस्से पर कब्जा कर लिया है.
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रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि व्हाइट हाउस ने विदेशी सैनिकों की वापसी को सकारात्मक तरीके से पेश करने में जुटा हुआ है. लेकिन हर कोई जानता है कि अफगानिस्तान में अमेरिका सैन्य मिशन नाकाम रहा है.
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रुसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शुक्रवार को अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ उज्बेकिस्तान में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अमेरिका पर निशाना साधा. सर्गेई लावरोव पहले भी अमेरिका और नाटो सैनिकों की जल्दबाजी में वापसी को अफगानिस्तान की सुरक्षा के लिए घातक बता चुके हैं. उन्होंने चेतावनी दी थी कि विदेशी सैनिकों की इस तत्परता से वापसी के चलते अफगानिस्तान में अराजकता की स्थिति पैदा होगी. इससे आस-पड़ोस के देशों के लिए भी नया संकट खड़ा होगा.
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पत्रकारों से बातचीत में सर्गेई लावरोव ने कहा कि हाल के दिनों में हमने दुर्भाग्य से अफगानिस्तान की स्थिति में तेजी से गिरावट देखी है. अमेरिका और नाटो सैनिकों की जल्दबाजी में वापसी के चलते इस देश में राजनीतिक और सैन्य स्थिति के भविष्य को लेकर भारी अनिश्चितता पैदा हो गई है.
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सर्गेई लावरोव ने पहले भी अमेरिकी सेना की वापसी को 'जल्दबाजी में उठाया गया कदम करार दिया था. उनका कहना था कि नाटो सैनिकों के कारण अफगानिस्तान में सुरक्षा व्यवस्था अत्यधिक खराब हो रही है, इसे लेकर लावरोव ने पड़ोसी देशों को भी चेताया था.
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एक रूसी न्यूज एजेंसी से बातचीत में लावरोव ने कहा था, ''हाल के दिनों में अफगानिस्तान में दुर्भाग्यपूर्ण रूप से स्थिति बिगड़ी है. नाटो और अमेरिकी सैनिकों की निकासी की वजह से अफगानिस्तान के राजनीतिक और सैन्य स्थिति को लेकर अनिश्चितता पैदा हो गई है.''
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पिछले हफ्ते अफगानिस्तान को लेकर तालिबान प्रतिनिधियों के साथ मॉस्को में वार्ता हुई थी. मीटिंग के दौरान तालिबान ने अफगानिस्तान के लगभग 85 प्रतिशत हिस्सों पर नियंत्रण का दावा किया था. मास्को तालिबान को लेकर स्थिति पर करीब से नजर बनाए हुए है. रूस अपने पड़ोसी देशों में तालिबान के चलते संभावित संकट को लेकर चिंतित है. रूस को डर है कि अफगानिस्तान में हालात बिगड़ने से पड़ोसी देशों में शरणार्थियों की संख्या बढ़ेगी. इससे आतंकी संकट भी खड़ा हो सकता है.
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रूस लगातार तालिबान की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है. और इस बात से भी चिंतित है कि अगर अफगानिस्तान में अस्थिरता आती है तो उसके सैन्य अड्डों पर भी खतरा रहेगा. रूसी न्यूज एजेंसी TASS के अनुसार सर्गेई लावरोव ने कहा ''ये स्पष्ट है कि ऐसी परिस्थितयों से पड़ोसी देशों में भी अस्थिरता का खतरा है.''
विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि अगर अफगानिस्तान में सुरक्षा खतरा बना रहा तो इसका असर पड़ोसी देशों पर भी पड़ेगा. आतंकियों के मध्य एशियाई देशों और पाकिस्तान के माध्यम से चीन में एंट्री की आशंका है. रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक चीन की तुलना में रूस अधिक दबाव में है. क्योंकि कुछ आतंकवादी गुट पूर्व सोवियत संघ के देशों के माध्यम से रूस में घुसपैठ कर सकते हैं काकेशस और चेचन्या तक पहुंच सकते हैं.
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हाल ही में रूसी मिशन के उप प्रमुख रोमन बाबुश्किन और राजदूत निकोलाए कुदाशेव ने भारत के साथ अफगान समस्या को हल करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है. साथ ही ये भी कहा कि रूस अंतर-अफगान वार्ता का समर्थन करता है जिसमें सभी पक्ष हों.
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