ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के पति प्रिंस फिलिप का 99 साल की उम्र में शुक्रवार को निधन हो गया. प्रिंस फिलिप लंबे समय से बीमार चल रहे थे. 16 मार्च को ही वह अस्पताल से विंडसर महल लौटे थे.
प्रिंस फिलिप का जीवनकाल एक पूरी सदी का गवाह बना. ग्रीक के शाही परिवार में जन्म लेने वाले फिलिप ब्रिटेन के सबसे लंबे समय तक कॉन्सर्ट (महारानी के साथी) बने रहे.
फिलिप को उनकी शादी के मौके पर 'ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग' का टाइटल दिया गया था. फिलिप उस दौर में थे, जब ब्रिटेन राजशाही के दौर से निकलकर आधुनिक दुनिया की तरफ कदम आगे बढ़ा रहा था और लोग अपने नेताओं को ज्यादा करीब से देखना और सुनना चाहते थे.
फिलिप महारानी एलिजाबेथ की जिंदगी में हमेशा एक मजबूत पिलर की तरह रहे. 1970 के दशक में फिलिप के एक पुराने दोस्त और ब्रिटिश नेवी में रहे माइकेल पार्कर ने बताया था, फिलिप ने मुझे नौकरी के पहले ही दिन बताया था कि उनका पहला, दूसरा और आखिरी काम एक ही है और वह है- एलिजाबेथ का सिर कभी ना झुकने देना.
क्वीन एलिजाबेथ को बहुत कम ही सार्वजनिक रूप से प्रिंस फिलिप के प्रति अपने स्नेह का प्रदर्शन करते देखा गया है. हालांकि, एक बार उन्होंने सबके सामने प्रिंस फिलिप को अपने जीवन की सबसे बड़ी मजबूती बताया था. फिलिप एलिजाबेथ को 'लिलिबेट' बुलाया करते थे हालांकि, दूसरों से बातचीत के दौरान वह उन्हें 'क्वीन' ही कहते थे.
ब्रिटेन में प्रिंस की भूमिका निभाना किसी चुनौती से कम नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रिटेन की महारानी के पति के लिए कोई आधिकारिक भूमिका नहीं होती है. प्रिंस फिलिप का जीवन कई मामलों में विवादास्पद भी रहा. उनके सार्वजनिक जीवन और निजी जीवन में काफी अंतर था. सार्वजनिक तौर पर वह हमेशा अपनी पत्नी यानी महारानी एलिजाबेथ से तीन कदम पीछे चलते थे लेकिन निजी जीवन में वही परिवार के असली मुखिया थे.
वह अक्सर शाही महल में अपनी भूमिका को लेकर जूझते रहते थे. ब्रिटेन के इतिहास में सबसे लंबे वक्त तक कॉन्सर्ट रहने के बाद साल 2009 में प्रिंस फिलिप ने कहा था, संवैधानिक रूप से मेरा कोई अस्तित्व ही नहीं है. अपने 90वें जन्मदिन पर बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में प्रिंस फिलिप ने कहा था, अगर मैं किसी से पूछता हूं कि वो मुझसे क्या चाहते हैं तो वे निरुत्तर हो जाते हैं. बाद में उनके पोते प्रिंस हैरी के रॉयल फैमिली छोड़ने के बाद भी ये मतभेद खुलकर सामने आए.
फिलिप नौसेना का करियर छोड़कर एलिजाबेथ के कॉन्सर्ट बने थे. एलिजाबेथ 25 साल की उम्र में ही महारानी बन गई थीं. हालांकि, फिलिप उन लोगों में से नहीं थे जो हाशिए पर रहकर भी ऐशो-आराम की जिंदगी का लुत्फ ले. प्रिंस फिलिप ने ब्रिटेन के उद्योगों, वैज्ञानिकों और पर्यावरण संरक्षण को खूब प्रोत्साहन दिया. उन्होंने अपने चैरिटी कार्य के लिए कई देशों की यात्राएं कीं. प्रिंस फिलिप का व्यवहार कई लोगों को अशिष्ट भी लगता था. हालांकि, कई लोग उनकी इसी स्पष्टवादिता के मुरीद थे.
कई लोग इस बात को मानते हैं कि प्रिंस फिलिप ही महारानी एलिजाबेथ को जरूरी और अच्छी सलाह दे सकते थे क्योंकि वह अपने मन की बात बोलने में हिचकिचाते नहीं थे. शाही परिवार के इतिहासकार रॉबर्ट लेसे कहते हैं, ब्रिटिश राजशाही व्यवस्था में उन्होंने अपने दम पर अपनी जगह बनाई और महारानी के लिए वह एक बहुत बड़ा सपोर्ट थे. महारानी एलिजाबेथ हमेशा 'यस मैम' कहने वालों से घिरी रहती थीं लेकिन फिलिप ने हमेशा जो सही माना, वही कहा.
फिलिप का जन्म 10 जून 1921 को कोर्फू नाम के ग्रीक आइलैंड में हुआ था. फिलिप ग्रीस के राजा के छोटे भाई प्रिंस एंड्रू के इकलौते बेटे और पांचवीं संतान थे. फिलिप के दादा 1860 के दशक में ग्रीस के राजमहल को संभालने के लिए डेनमार्क से आए थे. फिलिप की मां भी एक राजकुमारी थी.
जब फिलिप 10 महीने के थे तो उनके पिता को भागकर फ्रांस की शरण लेनी पड़ी. उनके पिता एक आर्मी कमांडर थे और तुर्कों के हाथों बुरी हार के बाद उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जा रहा था. ब्रिटेन के दखल देने के बाद ग्रीक जुन्ता ने एंड्रू को देश छोड़कर चले जाने की शर्त पर मौत की सजा नहीं दी. बाद में फिलिप के माता-पिता अलग हो गए. एक बयान में फिलिप ने कहा था कि उनकी परवरिश बहुत अच्छी तरह नहीं हुई और रिश्तेदारों की मदद से उनका घर चलता था. शादी से पहले उनके पास सिर्फ नेवी की सैलरी थी. हालांकि, उनकी किस्मत पलटी और उनकी शादी दुनिया की सबसे अमीर महिलाओं में से एक एलिजाबेथ से हो गई.
फिलिप ब्रिटेन के स्कूल में भर्ती हुए और ब्रितानिया रॉयल नैवी कॉलेज डार्टमाउथ में 1939 में कैडेट के रूप में भर्ती हुए. साल 1940 में उनकी पहली पोस्टिंग हुई लेकिन उन्हें दूसरे देश का प्रिंस होने की वजह से युद्ध क्षेत्र के नजदीक जाने की अनुमति नहीं थी. बाद में उन्हें युद्ध लड़ने की अनुमति मिली और फिर उन्होंने हिंद महासागर, भूमध्यसागर और प्रशांत क्षेत्र में कई जंगें लड़ीं. जब फिलिप को छुट्टी मिलती, वह अपने रॉयल कजिन्स के पास चले जाते. युद्ध के अंत तक, ये जगजाहिर हो गया कि फिलिप प्रिंसेस एलिजाबेथ को डेट कर रहे हैं. जुलाई 1947 में दोनों की सगाई का ऐलान हुआ और 20 नवंबर को उनकी शादी हो गई.
शुरुआत में इस बात को लेकर लोगों ने ऐतराज जताया कि एलिजाबेथ एक विदेशी से शादी कर रही हैं लेकिन बाद में फिलिप की एथलेटिक स्किल्स, आकर्षक व्यक्तित्व को देखकर हर कोई उनका प्रशंसक बन गया. शादी के कुछ साल तक एलिजाबेथ पर रॉयल फैमिली की जिम्मेदारियां नहीं थीं. हालांकि, 1952 में 56 साल की उम्र में किंग जॉर्ज का निधन हो गया और फिलिप को अपना नौसेना का करियर छोड़कर महारानी के सहयोगी की भूमिका में आना पड़ा. एलिजाबेथ को महारानी बनाए जाने के दौरान फिलिप अपनी पत्नी के सामने घुटनों के बल पर बैठे और उनके लिए अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की.
प्रिंस फिलिप की जिंदगी में कई नाटकीय बदलाव आए. प्रिंस फिलिप ने अपनी जीवनी के लेखक बासिल बुथ्रॉयड से कहा था कि उन्होंने घर में हर काम पत्नी के साथ किया. फिलिप ने रॉयल इस्टेट के प्रबंधन की जिम्मेदारी ली थी. उन्होंने दुनिया के हर कोने की यात्रा की. 2011 में 90 साल होने पर प्रिंस फिलिप ने कहा था कि अब वो आराम करना चाहते हैं.
90 साल के बाद प्रिंस फिलिप हॉस्पिटल में सेहत की जांच के लिए जाते रहे. 2017 में उन्होंने खुद को शाही जिम्मेदारियों से मुक्त कर लिया. प्रिंस फिलिप महारानी और अपने चार बच्चों- प्रिंस चार्ल्स, प्रिंस एने, प्रिंस एन्ड्र्यू और प्रिंस एडवर्ड के साथ रह रहे थे. इसके साथ ही प्रिंस फिलिप के आठ पोते और नौ पड़पोते हैं.
प्रिंस फिलिप का नाता कई विवादों से भी रहा. रॉयल फैमिली के इतिहासकार लेसे के मुताबिक, राजकुमारी डायना की चार्ल्स से शादी टूटने के बाद रॉयल फैमिली में बड़ी उथल-पुथल मची हुई थी तो प्रिंस फिलिप ने पूरी अथॉरिटी के साथ परिवार की तरफ से अपनी बात रखी. ऐसा माना जाता था कि राजकुमारी डायना यानी अपनी बहू के साथ प्रिंस फिलिप के रिश्ते अच्छे नहीं थे. उन्हें डायना का इंटरव्यू देना और चार्ल्स पर धोखेबाजी का आरोप लगाना अच्छा नहीं लगा था. हालांकि, डायना की मौत के बाद जारी किए गए खत से पता चला कि प्रिंस फिलिप ने कई मौकों पर अपनी बहू का साथ दिया था. साल 1997 में पैरिस में डायना की कार हादसे में मौत के बाद फिलिप पर उनकी हत्या की साजिश रचने के आरोप भी लगे. हालांकि, कोर्ट ने कहा था कि फिलिप के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं हैं.