ईरान और अमेरिका के तनाव के बीच पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को संसद में पूरे घटनाक्रम को लेकर सरकार का रुख स्पष्ट करना पड़ा. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने सोमवार को कहा कि उनका देश किसी भी क्षेत्रीय संघर्ष का हिस्सा नहीं बनेगा. इससे पहले पाकिस्तानी सेना ने कहा था कि वह ना तो अमेरिका के साथ है और ना ईरान के बल्कि वह सिर्फ शांति का साथी है.
कुरैशी ने संसद को बताया कि विश्लेषक कह रहे हैं कि अलकायदा नेता ओसामा बिन लादेन और आईएसआईएस सरगना अबु बकर अल बगदादी की हत्या से भी ज्यादा गंभीर अंजाम सुलेमानी की हत्या के होंगे.
कुरैशी ने कहा कि इराक ने अपने विदेश मंत्री को संयुक्त राष्ट्र में विरोध
दर्ज कराने के लिए भेजा है. इराक का मानना है कि अमेरिका ने बगदाद में एयर
स्ट्राइक कर अंतरराष्ट्रीय समझौतों और यूएन चार्टर का उल्लंघन किया है.
कुरैशी ने कहा, मैंने मध्य-पूर्व देशों के विदेश मंत्रियों से संपर्क किया है. कल मैंने ईरान के विदेश मंत्री के साथ विस्तार से बातचीत की और पाकिस्तान का पक्ष सामने रखा. इसके अलावा, यूएई, तुर्की और सऊदी अरब से भी बातचीत हुई. मध्य-पूर्व में स्थिति बेहद संवेदनशील और चिंताजनक है. कुरैशी ने कहा कि ईरान के सुप्रीम नेता ने सुलेमानी की हत्या का बदला लेने का वादा किया है जबकि ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने अमेरिकी स्ट्राइक को अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद करार दिया है.
कुरैशी ने इसके बाद अमेरिका का पक्ष रखा और कहा कि वॉशिंगटन का तर्क है कि सुलेमानी अमेरिकी सैनिकों पर हमले की योजना बना रहा था और यह कार्रवाई उसने बचाव के तहत की. पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा, तनाव रातो रात नहीं पैदा हुआ है बल्कि हालात बहुत
पहले से ही खराब हो रहे थे. अब अमेरिका के इस कदम ने क्षेत्र में हालात और
खराब कर दिए हैं.
कुरैशी ने कहा कि एक तरफ अमेरिका दावा करता है कि उनकी कार्रवाई रक्षात्मक थी और युद्ध शुरू करने के मकसद से नहीं की गई है लेकिन वॉशिंगटन दूसरी तरफ ये भी चेतावनी दे रहा है कि अगर ईरान उसके खिलाफ कोई कदम उठाता है तो उसे कड़ा जवाब दिया जाएगा.
कुरैशी ने संसद के सामने 10 मुद्दे सामने रखे जिन्हें लेकर पाकिस्तान सबसे ज्यादा चिंतित है-
1. ईरान-अमेरिका के बीच तनाव से पूरे मध्य-पूर्व क्षेत्र में अस्थिरता पैदा हो गई है, खासकर इराक और सीरिया में हालात बिगड़ गए हैं.
2. इस संकट का अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया पर नकारात्मक असर पड़ सकता है और पाकिस्तान द्वारा की गई सारी मेहनत पर पानी फिर सकता है.
3. यमन में स्थिति नियंत्रण से बाहर जा सकती है और सऊदी अरब पर हूती विद्रोहियों के हमले बढ़ सकते हैं.
4. हालिया घटनाक्रमों की वजह से इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के देशों में गहरे मतभेद हो सकते हैं.
5. ईरान-अमेरिका के तनाव से कश्मीर को लेकर इस्लामिक सहयोग संगठन को एकजुट करने की पाकिस्तान की कोशिशों को झटका लगा है.
6. इन भयावह हालात में मध्य-पूर्व में अमेरिकी नागरिकों की हत्याएं हो सकती हैं.
7. मध्य-पूर्व में समुद्री व्यापारिक मार्ग ब्लॉक हो सकता है जिससे पाकिस्तान समेत कई देशों की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा.
8. ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ा सकता है.
9. इस संकट की वजह से पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा मिल सकता है.
10. अतीत में कई रॉकेट हमलों को अंजाम दे चुका लेबनान का हेजबुल्लाह संगठन आगे बढ़कर इजरायल पर स्ट्राइक कर सकता है.
पाकिस्तान की तमाम चिंताओं को गिनाने के बाद कुरैशी ने अमेरिका-ईरान तनाव पर इस्लामाबाद का पक्ष स्पष्ट किया. कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान किसी भी तरह की एकतरफा कार्रवाई का समर्थन नहीं करता है. वह सैन्य समाधान के भी खिलाफ है क्योंकि इससे कभी समस्याएं नहीं सुलझती हैं.
उन्होंने कहा, पाकिस्तान संप्रभुता और क्षेत्रीय एकता के यूएन सिद्धांतों को मानता है और सभी पक्षों से अधिकतम संयम बरतने की अपील करता है. विदेश मंत्री ने कहा, मैंने ईरान से अपनी पारंपरिक बुद्धिमानी का परिचय देते हुए क्षेत्र के व्यापक हित में तनाव बढ़ाने वाली किसी कार्रवाई से बचने की अपील की है.
कुरैशी ने आगाह किया कि मध्य-पूर्व को एक अन्य युद्ध में नहीं धकेला जा सकता है. यह बहुत ही विनाशकारी होगा और इसका पाकिस्तान पर भी गंभीर असर होगा. कुरैशी ने संसद को जानकारी दी कि विदेश मंत्रालय में एक टास्क फोर्स बना दी गई है जो मध्य-पूर्व के हालात पर निगरानी रखेगी और नियमित तौर पर अपने सुझाव सरकार को देगी.