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चारपाई बनी स्ट्रेचर, कंधे बने एंबुलेंस... पश्चिम बंगाल के गांवों में झकझोर देने वाली स्थिति

बंगाल के बांकुरा जिले के कई गांवों में सड़कों की हालत इतनी खराब है कि बीमारों को चारपाई पर लिटाकर ग्रामीण कंधों पर उठा ले जाते हैं. एंबुलेंस और छोटे वाहन गांव में घुसने से कतराते हैं. बेलडांगा, जनारा, इलमबाजार जैसे गांवों में हालात बदतर हैं. ग्रामीण रस्सी से चारपाई बांधकर बीमारों को मुख्य सड़क तक ले जाते हैं.

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चारपाई ही गांवों की एंबुलेंस बन गई. (Photo: ANUPAM/ITG)
चारपाई ही गांवों की एंबुलेंस बन गई. (Photo: ANUPAM/ITG)

पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले के कई गांवों से रोजाना सामने आ रही दर्दनाक तस्वीरें राज्य की ग्रामीण बदहाली की सच्चाई बयां कर रही हैं. इन इलाकों में सड़कों की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि न एंबुलेंस पहुंच पाती है, न ही कोई छोटा वाहन. नतीजा ये है कि यदि किसी ग्रामीण की तबीयत अचानक बिगड़ जाए, तो उसे अस्पताल ले जाने के लिए चारपाई ही स्ट्रेचर बनती है और ग्रामीण खुद उसे कंधों पर ढोते हैं.

दरअसल, बेलडांगा, धानसात्रा, इलमबाजार, मल्लीकडिही, नोइडा और ब्रजराजपुर ग्राम पंचायत के जनारा गांव जैसे कई इलाकों की हालत बेहद दयनीय है. यहां की टूटी-फूटी सड़कों से होकर न तो कोई वाहन गुजर सकता है और न ही मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सकता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि बारिश के मौसम में स्थिति और भी भयावह हो जाती है.

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इस दौरान सड़कें कीचड़ में तब्दील हो जाती हैं और हर कदम पर जान जोखिम में पड़ती है. सबसे शर्मनाक बात यह है कि यदि किसी बीमार व्यक्ति की हालत गंभीर हो जाए, तो परिजन उसे रस्सियों से बांधी गई चारपाई पर लिटाकर गांव से मुख्य सड़क तक लगभग दो किलोमीटर तक पैदल ढोते हैं. इसके बाद किसी वाहन में लादकर अस्पताल तक पहुंचाया जाता है.

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ये नजारे केवल एक गांव के नहीं हैं, यह एक पूरी व्यवस्था की विफलता की तस्वीर है. प्रशासन की लापरवाही और बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी ने ग्रामीणों को मानवता की परीक्षा देने पर मजबूर कर दिया है. स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि अगर कोई अचानक बीमार पड़ जाए, तो कोई भी एंबुलेंस या छोटा वाहन उसे अस्पताल ले जाने के लिए गांव में प्रवेश नहीं करना चाहता.

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