कुंभ मेले में शंकराचार्य ने स्नान के पूर्व दिया महत्वपूर्ण संदेश. उन्होंने कहा कि भारत की प्राचीन संस्कृति लोक कल्याण पर केंद्रित है. शंकराचार्य ने जाति और मत-पंथ में न बंटने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि हम सभी पहले हिंदू और सनातनी हैं. राष्ट्र कल्याण के लिए एकजुट रहने और सर्वस्व समर्पित करने का आग्रह किया. शंकराचार्य ने भारत की एकता और सशक्तता पर बल दिया.