उत्तर प्रदेश में चल रहे 16000 से अधिक मदरसों के 17 लाख से ज्यादा छात्रों को मिली राहत बरकरार रहेगी. सुप्रीम कोर्ट में यूपी के मदरसा एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर निर्णायक सुनवाई अगले सप्ताह होगी. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि अगली सुनवाई में इस मामले पर हम फाइनल हियरिंग करेंगे. मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते ये कानून राज्य सरकार ने पास किया था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसमें संविधान के कई प्रावधानों का उल्लंघन मानते हुए इसे रद्द कर दिया था. हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. एक मदरसे के मैनेजर अंजुम कादरी और बाकी की ओर से दायर इस याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे मनमाना बताया गया है. हालांकि मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगाते दी थी, जिसके चलते मदरसा एक्ट के तहत मदरसों में पढ़ाई अभी चल रही है.
यह भी पढ़ें: यूपी का मदरसा कानून क्या है? समझें- सुप्रीम कोर्ट के फैसले से 17 लाख छात्रों को कैसे मिलेगी राहत
अब सुप्रीम कोर्ट को मदरसा एक्ट की संवैधानिकता पर विचार करना है. फिलहाल 2004 के कानून के तहत ही राज्य भर के मदरसों में पढ़ाई चलती रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का निर्णय प्रथम दृष्टया सही नहीं है. ये कहना सही नहीं कि ये धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन है. खुद यूपी सरकार ने भी हाई कोर्ट में एक्ट का बचाव किया था. हाई कोर्ट ने 2004 के मदरसा एक्ट को असंवैधानिक करार दिया था.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ बताते हुए रद्द कर दिया था. राज्य में चल रहे मदरसों की जांच के लिए यूपी सरकार ने अक्टूबर 2023 में एसआईटी का गठन किया था. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्र की पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही है.