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बीजेपी में बैठकों का दौर, उपचुनाव का तनाव... यूपी की सियासत में ऑल इज वेल?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस तरह से एक के बाद एक अलग-अलग मंडल से आने वाले मंत्रियों, सांसदों, विधायकों के साथ मुख्यमंत्री एकदम एक्शन मोड वाली मीटिंग ले रहे हैं, तब दस्तक देता सवाल है उत्तर प्रदेश बीजेपी में क्या चल रहा है? शक्ति प्रदर्शन? रूठों को मनाने का दर्शन? डैमेज कंट्रोल? या फिर सबकुछ अंडर कंट्रोल?

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सीएम योगी ने अलग-अलग मंडल के विधायकों संग बैठक की
सीएम योगी ने अलग-अलग मंडल के विधायकों संग बैठक की

मॉनसून का मौसम है और देशभर से जलभराव जैसी खबरें सामने आ रही हैं. यूपी के कई जिले भी बाढ़ से प्रभावित हैं. इस बीच प्रदेश की सियासत भी सुर्खियों में बनी हुई है. कारण, विपक्ष दावा कर रहा है कि अपने ही अपनी सरकार को पलट देना चाहते हैं. हालांकि बीजेपी इन सभी दावों को खारिज कर रही है. लेकिन जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस तरह से एक के बाद एक अलग-अलग मंडल से आने वाले मंत्रियों, सांसदों, विधायकों के साथ मुख्यमंत्री एकदम एक्शन मोड वाली मीटिंग ले रहे हैं, तब दस्तक देता सवाल है उत्तर प्रदेश बीजेपी में क्या चल रहा है? शक्ति प्रदर्शन? रूठों को मनाने का दर्शन? डैमेज कंट्रोल? या फिर सबकुछ अंडर कंट्रोल? 

कारण, अब तक जहां मुख्यमंत्री का काफिला ही हर जगह पहुंचता आ रहा था, जहां अब तक मुख्यमंत्री ही जाकर लोगों तक पहुंचते आ रहे थे. वहां अब लखनऊ में पांच कालिदास मार्ग, मुख्यमंत्री आवास पर जनप्रतिनिधियों की गाड़ियां पहुंचने लगी हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुरादाबाद मंडल के सांसद और विधायकों से मिले. मेरठ मंडल के सांसदों विधायकों से बातचीत की गई. बरेली मंडल के भी सांसदों और विधायकों को बुलाकर योगी आदित्यनाथ ने बैठक की. 

इन बैठकों में दावा है कि मुख्यमंत्री ये जानना चाहते हैं कि वोट क्यों घटा? मुख्यमंत्री ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को ज्यादा से ज्यादा समय जनता के बीच देना चाहिए. वहीं विधायक, सांसद अपने क्षेत्र की अफसरशाही के बेलगाम होने की शिकायत कर रहे हैं. वे चाहते हैं कि जनप्रतिनिधियों के प्रोटोकॉल का पालन अधिकारी करें. अधिकारियों की वजह कार्यकर्ताओं में फैसले अंसतोष को दूर किया जाए. वोटिंग लिस्ट में गड़बड़ी करने वाले अधिकारी छोड़े ना जाएं. इसी बैठक से निकले लोनी से बीजेपी विधायक नंद किशोर गुर्जर ने आजतक से बातचीत में कहा कि अगर मुख्यमंत्री अधिकारियों के खिलाफ सबूत मांगें तो विधायक का बोलना ही काफी होना चाहिए.

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कई विधायक कर चुके अधिकारियों की शिकायत

दरअसल, पिछले दिनों जौनपुर से बीजेपी के प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह रहे हों, बुलंदशहर से विधायक प्रदीप चौधरी हों, योगीराज पार्ट-1 में मंत्री रहे मोती सिंह, कन्नौज से हारे सुब्रत पाठक, रत्नाकर मिश्रा, बीजेपी विधायक, मिर्जापुर वाराणसी से विधायक त्रिभुवन राम ऐसे दर्जन भर से ज्यादा विधायक, या बीजेपी नेता रहे हैं. जिन्होंने थाने, कचहरी समेत हर जगह सरकारी अधिकारियों के नाकारेपन और भ्रष्टाचार की शिकायत पहले रखी. अब दावा है कि जो विधायक योगी आदित्यानाथ से मिल रहे हैं, वो अब भी कह रहे हैं कि एक्शन होना ही चाहिए. 

योगी और केशव मौर्य की अलग-अलग चल रही बैठक

विधायक-सांसद इस बात से तो खुश हैं कि उनकी सीधे मुख्यमंत्री सुन रहे हैं और भरोसा दे रहे हैं. लेकिन यूपी में होती इसी बैठक के बीच केशव प्रसाद मौर्य के घर होने वाली बैठकों पर भी नजर रखना जरूरी है. पांच कालिदास मार्ग और सात कालिदास मार्ग. मुख्यमंत्री का घर और डिप्टी सीएम का घर. उत्तर प्रदेश में बैठक के साथ सियासी उठापटक की दस्तक अभी जारी है. योगी आदित्यनाथ ने 15 जुलाई से करीब 100 विधायकों से मुलाकात की. इनमें प्रयागराज मंडल के करीब 10 विधायक, मेरठ मंडल के करीब 20 विधायक, मुरादाबाद मंडल के करीब 10 विधायक, बरेली मंडल के करीब 20 विधायक शामिल हैं. 

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इसके अलावा 30 से ज्यादा विधायकों से मिले. इसके साथ ही 50 से ज्यादा सांसद, राज्यसभा सांसद, विधान परिषद सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष, मेयर, पूर्व विधायक और पूर्व सांसदों से भी मिल चुके हैं. वहीं केशव प्रसाद मौर्य की ने 15 जुलाई से करीब 40 से ज्यादा विधायकों से मुलाकात की है. इनके अलावा करीब 5 सांसद और 10 से ज्यादा विधान परिषद सदस्य और 30 से ज्यादा पूर्व विधायक, पूर्व सांसद, पूर्व राज्यसभा सांसद या पार्टी के पदाधिकारी से मुलाकात कर चुके हैं.

क्या ये शक्ति प्रदर्शन का दौर तो नहीं?

ये बैठक इसलिए अहम हैं क्योंकि आगे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री दिल्ली बैठक के लिए आने वाले हैं. पांच कालिदास मार्ग. आवास है मुख्यमंत्री का. सात कालिदास मार्ग. आवास है सरकार से बड़ा संगठन बताने वाले केशव प्रसाद मौर्य का. विधायकों, नेताओं, मंत्रियों से शिष्टाचार मुलाकातें बताती तस्वीरें दोनों तरफ से यूपी की सियासत में पोस्ट हो रही हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये दिल्ली में होने वाली बैठक से पहले का शक्ति प्रदर्शन वाला दौर है? जहां केशव प्रसाद मौर्य अगर अपने घर विधायकों और नेताओं से मिलते हैं तो यूपी में बीजेपी के ही विधायक खेमेबाजी करते हुए इशारों में केशव को ही बड़ा नेता बताने लगते हैं. 

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यूपी में सियासी खेमेबाजी भी तेज?

वहीं खेमेबाजी के उत्तर प्रदेश में संजय निषाद का भी रोल देखने को मिल रहा है. निषाद दल के प्रमुख और यूपी में मंत्री संजय निषाद उत्तर प्रदेश में बुलडोजर म़़ॉ़डल तक पर सवाल उठा चुके हैं. वह पहले केशव प्रसाद मौर्य सेमिले थे और अब मुख्यमंत्री योगी से भी मिल लिए हैं. इन्हीं बैठकों के बीच खबर आई कि पल्लवी पटेल जिन्होंने सिराथू की सीट से केशव प्रसाद मौर्य को अबकी हार का स्वाद चखाया है, वो बुधवार को योगी आदित्यनाथ से मिलीं. केशव को हराने वाली विधायक का इस सियासी हलचल के बीच मुख्यमंत्री से मिलना क्या कहता है? फिलहाल दावा तो यही है कि वो सिर्फ अपने इलाके की समस्या लेकर मिलीं. लेकिन अभी के वक्त में लखनऊ से दिल्ली तक की बैठकों पर नजर अखिलेश यादव की भी हैं, जो मानसून ऑफर 100 विधायक लाओ सरकार बनाओ का पहले दे चुके हैं. 

सीएम योगी के सामने अभी दो चुनौती

बैठकों की इन दस्तक के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के सामने दो चुनौतियां हैं. एक चुनौती दस सीटों पर होने वाले उपचुनाव की. दूसरी चुनौती उत्तर प्रदेश में पहले पुलिस भर्ती का पेपर लीक होने के बाद रद्द हुई परीक्षा को अब दोबारा बिना पेपर लीक के कराना. फरवरी में परीक्षा रद्द हुई. फिर चुनाव आ गया. यूपी पुलिस भर्ती की तैयारी करने वालों का इंतजार अब खत्म हुआ है. 23, 24, 25, 30, 31 अगस्त को फिर से परीक्षा होगी. कुल 48 लाख बेरोजगार युवा इस भर्ती में शामिल होंगे. यूपी में अबकी पेपर लीक रोकने के लिए कड़ा कानून बना है. जिसमें आजीवन उम्रकैद से लेकर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा. 

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मिल्कीपुर सीट से अयोध्या का बदला लेगी बीजेपी?

हार के मंथन पर हुई बैठक में जिस मोमेंटम को बनाए रखने की बात मुख्यमंत्री ने कही है, वो उत्तर प्रदेश में चलती खींचतान में क्या तब भी कायम रहेगी. जब चुनौती उपचुनाव की है. उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों करहल, मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी, गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, फूलपुर, मंझवा और सीसामऊ पर उपचुनाव होना है. इन सीटों में 5 समाजवादी पार्टी के पास हैं तो RLD- निषाद पार्टी की एक-एक सीटें हैं, जबकि BJP की 3 सीटें हैं यानी पांच एनडीए की हैं. पांच INDIA ब्लॉक की हैं. लेकिन असली चुनौती क्या अयोध्या विधानसभा से जुड़ी फैजाबाद सीट से लोकसभा में जीते अवधेश प्रसाद वाली मिल्कीपुर के उपचुनाव में हैं? अवधेश प्रसाद जिन्हें अखिलेश यादव और राहुल गांधी दोनों लगातार बीजेपी के राम मंदिर मुद्दे की हार वाली ट्रॉफी की तरह पोस्टर बॉय बनाते दिखते हैं. क्या इन्हीं अखिलेश यादव की मिल्कीपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव में जीत कर बीजेपी अय़ोध्या से जुड़ी फैजाबाद की हार का बदला ले लेगी? 

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