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रिटायर्ड साइंटिस्ट से 1.29 करोड़ ठगे... फर्जी CBI अफसर बनकर डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाया, STF ने दो आरोपी दबोचे

लखनऊ में यूपी एसटीएफ ने साइबर ठगी के एक शातिर गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो खुद को सीबीआई अफसर बताकर लोगों को डिजिटल अरेस्ट का डर दिखा रहा था. इस गैंग ने बरेली के एक रिटायर्ड वैज्ञानिक को तीन दिन तक मानसिक दबाव में रखकर 1.29 करोड़ रुपये हड़प लिए. मामले में दो आरोपी लखनऊ से गिरफ्तार हुए हैं, जिनसे पूछताछ में बड़े खुलासे हुए हैं

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डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर की ठगी. (Photo: Representational)
डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर की ठगी. (Photo: Representational)

उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने साइबर ठगी के एक हाई-प्रोफाइल मामले का खुलासा करते हुए लखनऊ से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ये आरोपी एक संगठित साइबर फ्रॉड गैंग से जुड़े हैं, जो खुद को CBI अधिकारी बताकर लोगों को 'डिजिटल अरेस्ट' का डर दिखाकर ठगी करते हैं। इस गैंग ने भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान से सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ. शुकदेव नंदी को अपना निशाना बनाकर उनसे 1.29 करोड़ रुपये ठग लिए थे.

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान 50 वर्षीय प्रदीप कुमार सिंह निवासी लखनऊ और 21 वर्षीय महफूज निवासी लखनऊ के रूप में हुई है. प्रदीप मूल रूप से अयोध्या का रहने वाला है. इन आरोपियों को 12 जुलाई 2025 को इकाना स्टेडियम के पास से अरेस्ट किया गया. STF की कार्रवाई में आरोपियों के पास से दो मोबाइल फोन, दो आधार और पैन कार्ड, और क्रिप्टो वॉलेट से जुड़े दस्तावेज बरामद किए गए हैं.

पीड़ितों को गैंग वॉट्सऐप कॉल के जरिए संपर्क करता था. CBI या किसी अन्य केंद्रीय एजेंसी का अधिकारी बनकर उन्हें कथित आपराधिक मामलों में फंसाने की धमकी देता था. इसी प्रकार डॉ. नंदी को करीब तीन दिनों तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखने का डर दिखाया गया और उनसे अलग-अलग बैंक खातों में 1.29 करोड़ रुपये ट्रांसफर करवा लिए गए.

यह भी पढ़ें: 1930 हेल्पलाइन का झांसा देकर करता था ठगी, साइबर फ्रॉड पीड़ितों को फिर बना रहा था शिकार, हुआ गिरफ्तार

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पूछताछ में प्रदीप ने स्वीकार किया कि वह श्री नारायणी इंफ्रा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी का डायरेक्टर है. उसने इस कंपनी के नाम पर ICICI बैंक में एक कॉर्पोरेट खाता खुलवाया था, जिसका इस्तेमाल धोखाधड़ी में किया जाता था. उसे इस राशि में से कमीशन के रूप में Binance एप के जरिए क्रिप्टोकरेंसी (USDT) में भुगतान किया गया. अब तक वह 871 USDT कमा चुका था.

महफूज ने पुलिस के सामने कबूल किया कि वह एक ठग के कहने पर इंडियन बैंक में खाता खुलवाकर अपने ATM और सिम कार्ड गैंग को सौंप देता था. उसके खाते में करीब 9 लाख रुपये की ठगी की रकम आई थी. इस मामले में बरेली के साइबर थाना में FIR दर्ज कर ली गई है. इससे पहले STF ने 5 जुलाई को इसी गैंग के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया था. अब पूरे गिरोह की क्रिप्टो वॉलेट, बैंक खातों और नेटवर्क की छानबीन की जा रही है. बरामद डिवाइसों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है.

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