यूपी की राजधानी लखनऊ में एटीएस ने एक बांग्लादेशी महिला को उसके पति समीर के साथ गिरफ्तार किया है. यह महिला कई सालों से भारत में फर्जी पहचान जैसे- निर्मला और जैसमीन के नाम से रह रही थी और उसने अपना धर्म भी छिपा रखा था.
एटीएस की जांच में सामने आया कि यह महिला साल 2006 में अवैध रूप से भारत में दाखिल हुई थी और तब से ही फर्जी दस्तावेजों के सहारे लखनऊ में रह रही थी. एटीएस ने अब दोनों पति-पत्नी को दबोचकर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है.
बांग्लादेशी महिला नरगिस ने पूछताछ में खुलासा किया है कि उसका पहला फर्जी आधार कार्ड पश्चिम बंगाल में 'जेसिका विश्वास' के नाम से बना था. 2022 में लखनऊ में हरिओम से मुलाकात के बाद उसने 'निर्मला देवी' के नाम से नए भारतीय दस्तावेज बनवाए.
इसी फर्जी पहचान का इस्तेमाल करके दोनों ने लगभग एक साल पहले, 2024 में शादी कर ली. एटीएस ने इस पूरे फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड हरिओम आनंद को भी दबोचा है, जिसने ये सभी फर्जी कागजात तैयार कराए थे.
पति-पत्नी से होगी नेटवर्क की पूछताछ
गिरफ्तारी के बाद महिला ने कुबूला है कि हरिओम ने केवल उसके ही नहीं, बल्कि कई अन्य महिलाओं के भी ऐसे ही फर्जी दस्तावेज बनवाए थे. एटीएस अब दोनों पति-पत्नी को गिरफ्तार कर इस पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच शुरू कर चुकी है.
सबसे बड़ा सवाल है कि बांग्लादेश से आने के बाद, 8 साल तक (वीजा अवधि खत्म होने के बाद) नरगिस कहां-कहां रही, एटीएस अब इस बारे में भी उनसे पूछताछ करेगी.
ठाकुरगंज के पड़ोसियों के मुताबिक, बांग्लादेशी महिला खुद को निर्मला बताती थी और पूजा-पाठ सहित हिंदू त्योहार भी मनाती थी. एटीएस ने उसके पास से जैसमीन और निर्मला के नाम पर फर्जी आधार कार्ड समेत अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं. एटीएस अब यह पता लगा रही है कि ये फर्जी कागजात किसने और कहां बनवाए.